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उल्हासनगर में सरकारी जमीन पर निर्मित झोपड़पट्टी/दुकानों को मालिकाना हक मिलना चाहिए।

            चंद्रशेखर बावनकुले को लिखे अपने पत्र पर हुई कार्रवाई की जानकारी
            लेने पुराने चंद्रकांत मिश्र, जय कल्यानी पहुंचे जिलाधिकारी कार्यालय। 
                                        चंद्रकांत मिश्र और जयदेव कल्यानी 

उल्हासनगर : उल्हासनगर की सरकारी जमीन पर निर्मित झोपड़पट्टीयों व अनाधिकृत निर्माणों सह संलग्न जमीनों के रहिवाश/व्यवसायिक उद्देश्य हेतु नियमितीकरण व मालिकाना हक्क प्रदान
करने की लड़ाई भाजपा के पूर्व महासचिव चंद्रकांत मिश्रा वर्षों से लड़ रहे हैं, उसी क्रम मे राजस्व, पशु संवर्धन एवं दुग्ध व्यवसाय मंत्री महाराष्ट्र सरकार, चंद्रशेखर बावनकुले को दिए पत्र का परिणाम, जानने पहुंचे ठाणे जिलाधिकारी कार्यालय, जहाँ जल्द कमेटी बनाकर निर्णय/निपटारा करने का मिला आश्वासन।

बतादें, पूर्व भाजपा महासचिव चंद्रकांत अक्सर उल्हासनगर के लोगों को जमीन का मालिकाना मिले इसकी लड़ाई लड़ते रहे हैं। कभी विधायक कुमार आयलानी के कार्यालय मे जाकर उनको झकझोरते हैं। तो कभी मंत्रियों को पत्र लिख/मुलाकात कर उनसे कहते हैं। पर हर सरकार जमीन मालिकाना हक के मुद्दे को लटकाती चली आ रही है। अब फिर अपने सहयोगी जय कल्याणी व सुरेश लुधवानी के साथ मालिकाना हक मुद्दे और अवैध इमारतों के मुद्दे को सुलझाने के लिए ठाणे कलेक्टर से मिलकर पुछने पहुंचे कार्रवाई कहाँ तक पहुंची, उसका जायजा लिया और जल्द से जल्द निराकरण की मांग की जिलाधिकारी महोदय से उन्होंने भी आश्वस्त किया और मातहत को बुलाकर जल्द कमेटी बनाने को कहा। 

 मांगे :- १) सरकारी जमीन पर बनी व एफ. एस. आई. के उल्लंघन के तहत आने वाली अवैध इमारतों का एफ.एस.आई. ४ के आधार पर नियमितीकरण के साथ मालिकाना हक्क। २) जमीनों का मूल्यांकन करते समय जिस वर्ष अतिक्रमित कर निर्माण कार्य किया गया है, उस वर्ष का सरकारी भाव निर्धारित करते हुए सनद/ जमीन का मालिकाना हक्क प्रदान करें। संदर्भ - १) वर्ष ११ मई १९६५ के पूर्व के अवैध निर्माणों को डी.पी.एक्ट १९५४ के तहत मालिकाना हक्क प्रदान करें।  २) सर्कुलर मेमोरंडम न. HS1072/40677-IC सचिवालय, ३२२७/०४/१९७३ UDPH Dept. Annexure "A" ३) शासन निर्णय परिपत्रक रेवेन्यु व फारेस्ट विभाग के द्वारा पात्र क्र. एल.ई.एन. १०९९/ पीके २७/जे-१ दिनांक २८/०९/१९९४) शासन परिपत्रक नगरविकास विभाग द्वारा जारी महाराष्ट्र ऑर्डनेंस न. १ ऑफ़ १४/०१/२००६ का अनुपालन एवं निर्माण (अतिक्रमण) तिथि के आधार पर जमीन भाव तय करने की मांग किया है। ५) भाजपा सेक्रेटरी द्वारा UDC को दि.१४/१२/२०२१, दि. २३/१०/२०२३ एवं दि.२६/०३/२०२४, को दिए पत्रों की ओर ध्यान आकृष्ट कर निवेदन के साथ स्मरण कराया है कि सरकारी जमीन पर निर्मित झोपड़पट्टीयों/अनाधिकृत बांधकामों हेतु वर्षानुवर्ष शासन निर्णय लेता रहा, परंतु प्रशासनिक अधिकारीयों की लापरवाही व अवहेलना के चलते जन समस्याओं पर गंभीरतापूर्वक ध्यान नहीं दिया गया, जिसके कारण आजतक सरकारी जमीन पर निर्मित झोपड़पट्टी, आवासों/दुकानों की जमीन के मालिकाना हक्क तथा बिल्डिंगों के एफ.एस.आई. उल्लंघन के मामलों का निर्णय बार-बार आदेशों /अध्यादेशों के बावजूद अधर में लटका पड़ा है | जिसके कारण लोगों को अवैध ढंग से घरों के मरम्मत व पुनर्निमाण का कार्य करना पड़ रहा है। जिसका गलत लाभ अधिकारी व बिचौलिए लेते है। फलस्वरूप जनता आर्थिक व मानसिक रूप से त्रस्त है, एवं सरकारी राजस्व की क्षति भी हो रही है। उन्होंने आगे लिखा है कि स्थानीय स्वार्थी बिल्डर लॉबी व मंत्रालय में बैठे वरिष्ठ मंत्रीगण के साथ वरिष्ठ सचिव शहर में क्लस्टर एवं एस. आर. ए. एवं प्रधानमंत्री आवास योजना का स्वप्न दिखा रहे है। जबकि उल्हासनगर शहर का क्षेत्रफल मात्र १३.२० वर्ग किमी है, एवं आबादी लगभग १० लाख के आसपास है। अतः क्लस्टर से शहर को कोई फायदा नहीं होगा, फायदा सिर्फ बिल्डर लॉबी व अधिकारीयों एवं सांसद को होगा। अत: उन्होंने उक्त संदर्भित विषयों पर शीघ्र ध्यान देकर शासन द्वारा निर्देशित आदेशों का पालन करते हुए, जन समस्या के समाधान हेतु सनद/ जमीन का मालिकी हक(स्वायत्तता) प्रदान करने हेतु जल्द से जल्द निर्णय लेने की अनुशंसा की है। अब देखना होगा लगभग ४५ वर्षो से लटका यह मुद्दा कब और कैसे और कौन सी सरकार निपटाती है। या फिर यह मांग ऐसे ही चलती रहेंगी और सरकारे आश्वासन देकर अपना कार्यकाल पूरा कर अगली सरकार के लिए छोड़ती रहेंगी।

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