न्याय के इंतजार मे शिकायतकर्ता हुए दिवंगत, वाह रे भारत की न्याय व्यवस्था !
डाइंग स्टेटमैंट के बावजूद मारुती जाधव हत्याकांड मामला कोर्ट में नहीं चलाया गया? देश में नेता अधिकारी बेचते हैं न्याय, तो वंचितों को मिलेगा? मजबूत पप्पू कालानी ने खरीदा अशक्त होने का प्रमाणपत्र, १४/६५ के तहत जेल से हुए बाहर, "समरथ कर नहीं दोस गोसाईं"!!
कुमार आयलानी. पप्पू कालानी सड़क पर मिर्च पकौड़े खाते हुए
उल्हासनगर : कैम्प चार रहवासी रिक्शा युनियन नेता मारुति जाधव का कत्ल 1992 में हुआ, मुख्य साजिशकर्ता पप्पू कालानी हैं ऐसा मृतक का मरते समय बयान है। मुकदमें को 33 वर्ष बीत गए, मृत आत्मा व उसके परिवार को न्याय नहीं मिला! आठ टाडा के बावजूद भारतीय न्याय व्यवस्था की पोल खोलते, खुलेआम दबंगई के साथ सड़कों पर घूमते पप्पू कालानी !! सदरक्षाणय, खलनिग्रहणाय के स्लोगन का बंटाधार करती सरकार, पुलिस व न्याय व्यवस्था पर, आम आदमी कैसे भरोसा करे?
बतादें पप्पू कालानी का उदय उल्हासनगर शिवसेना प्रमुख और रिक्षा युनियन अध्यक्ष रमेश (रमाकांत) चव्हाण कत्ल के बाद 1986 में लगे कर्फ्यू से हुआ। उनपा में नगराध्यक्ष बने उसके बाद 1990 में विधानसभा चुनाव लड़े, चुनाव के दिन ही शाम को घनश्याम बठिजा का कत्ल करवा दिया, और महिना बितते बितते मुख्य गवाह, सगे भाई इंदर बठिजा का भी कत्ल करवा दिया। दोनों भाजपा के लिए चुनाव में काम कर रहे थे। इंदर बठिजा कत्ल मामले में पप्पू बुधरमल कालानी को उम्रकैद की सजा मिली, दस वर्ष जेल में रहकर कोविड-19 के दौरान जेल में भीड़ और उम्र को देखते हुए उन्हें पे रोल पर घर भेज दिया गया। परंतु पे रोल पर घर आये पप्पू फिर जेल नहीं गये। शिवसेना राष्ट्रवादी और कांग्रेस की सौ करोड़ वसुली वाली सरकार बन गयी और उसने पप्पू को नियम 14/65 के तहत चलने फिरने मे अशक्त, बिस्तर पर होने का सर्टिफिकेट देकर बरी कर दिया। और अब पप्पू कालानी सड़कों पर सरेआम दबंगई करते फिर रहे हैं। विठ्ठलवाड़ी पुलिस, एसीपी, डीसीपी व पुलिस आयुक्त विडियो पर लाइव देख रहे हैं। मुह पर उंगली रखकर चुपचाप बैठे हुए है। यही नहीं भाजपा विधायक कुमार आयलानी, पप्पू कालानी को दिए अशक्त के झूंठे सर्टिफिकेट पर विधानसभा में सवाल उठाने में अशक्त नजर आ रहे हैं। जबकि घनश्याम व इंदर बठिजा उनके सगे साले हैं।
हमारे देश की न्याय व्यवस्था इतनी जर्जर और सड़ी हुई है कि 1992 मे रिक्षा युनियन अध्यक्ष मारुति जाधव का कत्ल हुआ और कत्ल में पप्पू बुधरमल कालानी पर IPC की धारा 302, 120 (B) 147, 148, 149 और आर्म्स एक्ट 25 (1) के तहत मुकदमा दर्ज होता है। और 35 वर्ष बीत जाने के बाद भी मुकदमे का फैसला नहीं आता हैं। अब ऐसी न्याय व्यवस्था पर भला मैं कैसे भरोसा कर लूँ ? दुख की बात यह है कि उल्हासनगर का बच्चा बच्चा जानता है कि पप्पू बुधरमल कालानी अशक्त नहीं है, वह आज भी दो नौजवानों पर भारी है। विधानसभा चुनाव के दिन अपने अंगरक्षकों और सहयोगियों के साथ भाजपा विधायक कुमार आयलानी के कार्यालय तक पहुंच गए और बाहर आने के लिए ललकार रहे थे। तब बहू और बेटी ने सामने आकर कुमार आयलानी की रक्षा की। डर के मारे भारतीय जनता पार्टी विधायक (MLA) कुमार आयलानी विधानसभा में सवाल उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। जबकि पप्पू ने उल्हासनगर में भाजपा की मिट्टी पलीत कर रखी है। शर्म की बात यह है कि मुख्यमंत्री भाजपा नेता देवेन्द्र फडणविस हैं। और गृहमंत्रालय भी उन्हीं के पास है।
ठाणे पुलिस सिर्फ शिंदे बाप बेटे का ही सुनती है। और उन्होंने पप्पू कालानी के साथ दोस्ती का गठबंधन बना लिया है। और भाजपा में तोड़ फोड़ मचा रखा है। फिर भी भ्रष्टाचार कर उम्रकैद से बचे पप्पू कालानी की जांच का आदेश देने से मुख्यमंत्री/गृहमंत्री देवेन्द्र फडणविस ने जाने क्यो कतरा रहे हैं ? यह हाल है, न्याय व्यवस्था का, अगर न्यायालय ने सजा सुना भी दिया तो नेता और अधिकारी सांठगांठ / लेनदेन कर मुजरिम को छोड़ देते हैं। पुलिस और न्याय की नजर मे अशक्त पप्पू कालानी अपने अंगरक्षकों के साथ सड़कों पर धमाचौकड़ी मचाकर न्याय व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं।
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