बार के नाम पर चल रहे डांसबार पर मेहरबान पुलिस, पुलिस पर मेहरबान सरकार !!
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बता दें अग्निपर्व जो लिख रहा है पूरी जिम्मेदारी के साथ, जानकारी इक्टठा करने के बाद लिख रहा है। इसी तरह हम जब मुंबई, विलेपार्ले के बारों में भीतर जाकर देखना चाहते तो हमें भीतर नहीं जाने दिया गया, तब हम एक पुलिस अधिकारी की मदद से भीतर गये और वहाँ लाखों रुपये उड़ाने का चलचित्र (Video) भी निकाल लाये थे। और वह विडियो यु ट्युब पर चलाया और कार्यवाही के लिए पत्र लिखा था। जब कार्रवाई नहीं हुई। तब 25 दिनों तक मुंबई के आजाद मैदान पर भूखहड़ताल पर भी बैठे, फिर भी बंद नहीं हुआ और आज भी धड़ल्ले से चल रहा है। कहा जाता है महायुति सरकार के गृहराज्य मंत्री योगेश कदम के भी इस तरह के बार हैं, वह मुद्दा विधानसभा में भी उठा था।
उल्हासनगर के 17 सेक्सन व उसके आसपास रंगिला, पैराडाइज, टोपाज, डब्ल्यू-डब्ल्यू एफ लगभग आठ आरकेस्ट्रा बार के नाम पर डांसबार चल रहे हैं । इन होटलों में सारी रात चलती है शराबखोरी, तेज आवाज में डीजे और अश्लील नाच। ऐसे बार गुनाहगारों के लिए पनाहगाह बने हुए हैं। (अचल प्लाजा में भरे हुए देशी कट्टे के साथ एक व्यक्ति पकड़ा गया) बतादें दुकानों व होटलों को रात ग्यारह बजे बंद करने के आदेश हैं परंतु स्थानीय, पुलिस को हफ्ता देकर यह अवैध डांसबार सारी रात चलते हैं। आरकेस्ट्रा बार में 40/50 लड़कियां अधनंगी अवस्था में अश्लील नृत्य करती हैं और लोग उनकी इस अदा पर मस्त होकर नोट उड़ाते हैं। यह दृश्य महाराष्ट्र के कई शहरों में देखने को मिल जायेगा। ऐसे बारों को छह से आठ महिला वेटर रखने का नौकरनामा मिलता है। परंतु रखी जाती है 40/50 वयस्क - अवयस्क लड़कियाँ। नियमतः इन महिला वेटरों के लिए ड्रेस कोड होता है। ग्राहकों से नियमित दूरी बनाकर रखना होता है और नौकरनामे पर जिसका नाम लिखा हो वही लड़की होटल में होनी चाहिए, साथ ही परिचयपत्र पहना हुआ होना चाहिए। परंतु ऐसा होता नहीं। लड़कियां शराब और भोजन परोसने के बदले अधनंगे कपड़ो में अश्लील नृत्य व इशारे करती हैं और ग्राहक मोहित होकर रुपये उड़ाते हैं। रुपये उड़ाने के कंपटीशन में कयी नामी-गिरामी कंपनियों के मालिक व भवन निर्माता दिवालिया होकर सड़क छाप हो गये हैं। कई बार ऐसे कंपटीशन में मारपीट व कत्ल की नौबत तक आ जाती है। यही कारण है कि तत्कालीन गृहमंत्री व उपमुख्यमंत्री आर.आर. पाटिल ने 2005 में डांसबारों पर पाबंदी लगा दिया था। परंतु सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ वह बंदी हटा दी। अब कोर्ट द्वारा लगाई शर्तो की पूर्ती न करवाने के बदले वरिष्ठ निरीक्षक, एसीपी, डीसीपी, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त व अन्य शाखाओं के अधिकारी तो छोड़िए कहीं कहीं तो सीपी ने भी अपने लिए अलग से कलेक्टर रख रखा है। डांसबार वाले बताते हैं, शटर उठा गया तो प्रतिदिन पचास हजार से ज्यादा का हफ्ता लागू हो जाता है। हर दिन इन अवैध डांसबारों के सामने रुपये लेने के लिए पुलिसकर्मियों की कतार लगी रहती है। कुछ उंगलियों पर गिने जा सकने वाले पुलिसवाले ही इन बातों के अपवाद हैं। अगर किसी अन्य संस्था द्वारा जांच हो तो कयी पुलिस सिपाही अरबपति निकलेंगे बाकी वरिष्ठों के धन की गणना, जिताना बताया जाय उतना ही कम नजर आता है। पुलिस की जांच पुलिस ही करती है, इसलिए सब साफ सुथरा नजर आता है।
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