चंद्रकांत मिश्र. और. जय कल्याणी
यह लड़ाई चंद्रकांत मिश्र की अगुवाई मे लड़ी जा रही थी, कुमार आयलानी के लौट आने पर उमेश सोनार शुलभा गायकवाड़ के साथ ले रहे थे फालोअप!
उल्हासनगर (अग्निपर्व टाइम्स) : उल्हासनगर शहर में अवैध बसे आम रहवासियों को जमीन का मालिकाना हक मिलना चाहिए, यह लड़ाई भाजपा के पूर्व महासचिव चंद्रकांत मिश्र, 1972 से लड़ रहे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार में राजस्व एवं पशु संवर्धन, दुग्ध व्यवसाय मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले को दिया था पत्र, सार्थक चर्चा कर कार्यान्वित करने के लिए थाने जिलाधिकारी ने अपने कार्यालय में बुलाया। उस दौरान कुमार आयलानी ने अपने फायदे हेतु सिर्फ जर्जर इमारतों का मुद्दा उठाया। मिश्र के दबाव में पत्र पर हस्ताक्षर तो किया परंतु फालोअप के बगैर लौट आये परंतु कल्याण पूर्व की विधायिका सुलभाताई गायकवाड़ लगातार फालोअप लेती रही, परिणाम स्वरूप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणविस ने सभी झोपड़पट्टीयों को पूर्ण मालिकाना हक पट्टे द्वारा देने का ऐलान कर दिया।
अग्निपर्व टाइम्स ने जमीनी मुद्दे को हर बार छापा, इस बार भी ४ दिसंबर २०२५ की जिलाधिकारी से भेंट व चर्चा की खबर भी कवर की थी। लगता है खबर मुख्यमंत्री तक पहुंच गयी। उसीके परिणाम स्वरूप मुख्यमंत्री ने 1972 से घिसटते मुद्दे पर निर्णय की मुहर लगा दी। कुमार आयलानी का लेटर, जो उनके निजी सचिव उमेश सोनार ने पूर्व भाजपा महासचिव चंद्रकांत मिश्र के निर्देशानुसार लिखा और कुमार आयलानी के लौट आने के बाद भी कल्याण पूर्व की विधायक सुलभाताई गायकवाड़ के साथ लगातार फालो करते रहे और मुद्दे को निर्णय तक पहुंचा दिया। जमीन का मालिकाना हक सिंधी और गैर सिंधी दोनो को समान मिले इसकी मांग सन 1972 से पूर्व भाजपा महासचिव चंद्रकांत मिश्र कर रहे हैं। कांग्रेस की सरकारों के समय भी अपने सहयोगियों के साथ मंत्रालय का चक्कर लगाते रहे हैं। कानूनी सलाहकार अधिवक्ता मिनाक्षी पाटिल, भाजपा पूर्व नगरसेवक जयदेव कल्याणी और सुरेश लुधवानी उनका साथ देते रहे हैं। मिश्र ने डीपी एक्ट १९५४ के साथ केन्द्र सरकार, राज्यसरकार व अखिल भारतीय सिन्धी कौंसिल 1980 व 1983 अनुसार जमीन मुद्दे का हल निकालने की मांग करते रहे। राजस्वमंत्री शालिनीताई व वसंत दादा पाटिल के समय से जमीन मुद्दा हल करने के लिए चंद्रकांत मिश्र मेहनत करते रहे हैं। अब देखना होगा की सरकार उल्हासनगर के लिए कितने अधिकारी और कर्मचारी मुकर्रर करती है। कब तक शहर के सभी लोगों को जमीन का मालिकाना हक दे पाती है। या फिर मामला वर्षों लटका रहता है। यह तो वक्त ही बतायेगा।
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