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शिवसेना भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं, श्रीकांत शिंदे भाजपा को खत्म करने का मौका नहीं छोड़ते

                   कल्याण - डोंबिवली उल्हासनगर की लड़ाई पहुंची दिल्ली !


उल्हासनगर (कमलेश विद्रोही) - ठाणे के वर्चस्व की लड़ाई महाराष्ट्र के मंत्रालय होते हुए पहुंची दिल्ली, देवेन्द्र फडणविस के मंत्रियों ने उनकी मिटिंग का किया बायकाट, फडणविस का गुस्सा चरम पर उन्होंने कहा शुरुआत तुमने किया है तो जवाब तो मिलेगा ही, देवेन्द्र फडणविस की शिकायत लेकर एकनाथ शिंदे पहुंचे दिल्ली, लौटे खाली हाथ महाराष्ट्र की महायुति सरकार असहज हो गयी है। सभी ने अपने अपने फायदे के लिए युति का संदेश भुला दिया है। आगे देखिये क्या क्या होता है?

बतादें यह लड़ाई आज की नहीं वर्षो से चली आ रही है, भाजपा का स्थानिक नेतृत्व ठाणे लोकसभा सीट की मांग हर बार करता है। बाद में शिवसेना के नेतृत्व में ठाणे संसदीय चुनाव लड़ता है, और जीत भी दर्ज करता है। परंतु वहीं जब विधानसभा का चुनाव आता है तब शिवसेना कभी भाजपा प्रत्याशी की दिल से मदद नहीं करती, यह शिकायत स्थानीय नेता व कार्यकर्ता हर बार भाजपा शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाता है, परंतु निराशा ही हाथ लगती है। इस बार महाराष्ट्र भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ठाणे जिले के डोंबिवली से ही हैं और उनको सब पता ही नहीं वे भुक्त भोगी भी हैं। रविन्द्र चव्हाण एक दबंग टाइप के नेता हैं, और वे शिवसेना को उसकी भाषा में जवाब देना जानते हैं, सक्षम भी हैं। 

अब हम आपको बीते इस विधानसभा चुनाव की कहानी बताते हैं। बीते चुनाव में कल्याण पूर्व से, तीन बार के विधायक गणपत गायकवाड़ को जेल पहुंचा दिया गया जबकि गृहमंत्री देवेन्द्र फडणविस ही थे, चुनाव गणपत गायकवाड़ की पत्नी सुलभा गायकवाड़ ने लड़ा और वे अच्छे मार्जिन से चुनाव जीत गई, जबकि सांसद श्रीकान्त शिंदे ने उनको हराने के लिए एड़ी चोटी का जोर ही नहीं लगाया बल्कि अपने चहेते महेश गायकवाड़ को निर्दलीय चुनाव भी लड़ाया। उस समय दिखावे के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया और चुनाव खत्म होते ही पार्टी मे शामिल ही नहीं किया बल्कि उनको बड़ा पद देकर सम्मानित भी किया है, सांसद श्रीकांत शिंदे के कार्यालय के बाहर महेश गायकवाड का बड़ा आदमकद फोटो/बैनर लगाकर भाजपा के कार्यकर्ताओं को चिढाया जा रहा है। इसी तरह से उल्हासनगर विधानसभा चुनाव में टीओके से लोकसभा चुनाव में दोस्ती का गठबंधन बनाकर पप्पू कालानी व उनके पूत्र ओमी कालानी की पार्टी टिओके की मदद ही नहीं लिया, टिओके के लोगों ने भाजपा को जलील भी किया। सांसद जब भी उल्हासनगर आते हैं तो टिओके को ही तव्वजो देते हैं, कालानी महल में ही पहुंचते हैं । भाजपा के लोगों को दरकिनार कर देते हैं। टीओके प्रत्याशी ओमी कालानी को शिवसेना द्वारा अंदरूनी खूब मदद किया गया जिसका असर यह रहा कि ओमी कालानी को पिछले चुनाव की अपेक्षा इस चुनाव में ज्यादा मत मिले, उल्हासनगर में मतदान प्रतिशत बढ़ने की वजह से कुमार आयलानी की जीत हुई, क्योंकि बढ़ा हुआ मतप्रतिशत भाजपा के पक्ष में गया।
जनसंघ के जनता पार्टी में विलय होने के बाद १९७७ से ठाणे लोकसभा सीट पर भारी मतों से भाजपा प्रत्याशी जितता रहा है, रामभाऊ म्हालगी, जगन्नाथ पाटील और रामभाऊ कापसे ठाणे से भाजपा सांसद रहे। जब शिवसेना से युति हुई उस समय बालासाहब ठाकरे के अनुरोध पर यह सीट शिवसेना को दे दिया गया, तबसे यह लोकसभा सीट शिवसेना जीत रही है और हर चुनाव से पहले ठाणे जिले के भाजपा कार्यकर्ता यह सीट वापस लेने की बात करते हैं। और जब सीट भाजपा को नहीं मिलती तब ईमानदारी से मित्रपक्ष शिवसेना के लिए काम करते हैं क्योंकि उनकी नजर में एक संसदीय क्षेत्र न होकर प्रधानमंत्री की कुर्सी रहती है। हर बार प्रधानमंत्री तो भाजपा का ही रहता है।

जबसे श्रीकांत शिंदे सांसद बने हैं हर बार स्थानीय भाजपा को कमजोर करने के लिए हर हथकंडा अपना रहे हैं। सोने पर सुहागा तब हुआ जब शिवसेना में टूट के बाद एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया गया। पिता के मुख्यमंत्री बनते ही सांसद ने ठाणे पुलिस आयुक्तालय को अपने कब्जे में कर लिया और पुलिस अधिकारियों से अपने मन माफिक काम कराने के लिए उपयोग करने के साथ ही भाजपा कार्यकर्ताओं को परेशान करने के लिए भी उपयोग करने लगे। उदाहरण है भाजपा के पूर्व विधायक गणपत गायकवाड़ का जेल में होना और आठ टाडा, २० गंभीर मुकदमों में शामिल तथा उम्रकैद की सजा भोग रहे पप्पू कालानी का जेल से बाहर होना। पप्पू को जेल से बाहर निकालने के लिए एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री काल में एक कमेटी बनती है और वह कमेटी कहती है पप्पू बुधरमल कालानी बिस्तर से उठ नहीं सकते, चल फिर नहीं सकते और निर्णय लिया गया की इन्हें १४/६५ के तहत उनको जेल से मुक्त कर दिया गया। अब वे दिनभर सड़कों पर ही रहते है। रहते ही नहीं तांडव मचाते हैं। श्रीकांत पुलिस अफसरों/कर्मचारियों के तबादलों में भी हस्तक्षेप करते हैं। जिसके लिए वे अपने निजी सचिवों अभिजित कदम, इस बार विधायक चुने गए राजेश मोरे, योगेश जुईकर व राजेश कदम का उपयोग करते हैं। ऐसे काम करते हैं श्रीकांत शिंदे, पद प्रतिष्ठा दांव पर लगती है एकनाथ शिंदे की। अब उन्होंने भाजपा के कई बार अध्यक्ष, उपमहापौर स्थायी समिति में रहे जमुनो पुरस्वानी, अध्यक्ष रहे महेश सुखरामानी, स्थायी समिति सभापति और प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रहे प्रकाश माखीजा और स्थायी समिति सदस्य रहे राम चर्ली पारवानी को तोड़ लिया है। और उनको टीओके में भेज दिया। जवाब में कुछ लोगों को भाजपा अध्यक्ष रविन्द्र चव्हाण ने भी अपनी पार्टी में लाया है। बौखलाहट में एकनाथ शिंदे देवेन्द्र फडणविस की शिकायत लेकर दिल्ली पहुंच गए। सूत्र बताते हैं कि इसबार बेरंग ही लौटे हैं। कुल मिलाकर यह लड़ाई वर्चस्व की है। इसमें नुकसान तो आम जनता का ही होना है, भ्रष्टाचार और बढ़ने वाला है। फैसला तो जनता करती है, जो भविष्य के गर्भ में छिपा है। 

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