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मारुति जाधव कत्ल के मामले को 25 वर्ष बीतने को है, न्यायालय को कब फुर्सत मिलेगी?

   पूर्व विधायक पप्पू कालानी अशक्त होने के कारण १४/६५ के तहत जेल से बाहर हैं? 
   डाइंग स्टेटमैंट होने के बावजूद मारुती जाधव हत्याकांड मामला कोर्ट में नहीं चलाया 
       जा रहा है, विठ्ठलवाड़ी पुलिस ने कत्ल के सारे कागजात को खत्म कर दिया है! 

                 काले घेरे में अशक्त पप्पू बुधरमल कालानी 

उल्हासनगर : उल्हासनगर शहर कैम्प चार रिक्शा युनियन लिडर मारुति जाधव का कत्ल 1990 में हुआ था जिसके मुख्य साजिशकर्ता पप्पू कालानी को मुख्य आरोपी बनाया गया है। मुकदमा कोर्ट में लगभग पच्चीस वर्ष से लंबित! मुकदमा कहाँ दबा पड़ा है? न्यायालय व सरकार ध्यान नहीं दे रही है? पप्पू कालानी के अशक्त होने का झूंठा बहाना बनाकर उम्रकैद से १४/६५ के तहत जेल से छोड़ दिया गया। जेल से बाहर आकर पुत्र को विधानसभा चुनाव लड़वाया, एक दिन भी बिस्तर पर नहीं! 
        कानून व्यवस्था के रखवार ठाणे पुलिस आयुक्त आशुतोष डुंबरे 

बतादें पप्पू कालानी का उदय उल्हासनगर शिवसेना प्रमुख और रिक्षा युनियन अध्यक्ष रमेश (रमाकांत) चव्हाण के कत्ल के बाद लगे कर्फ्यू से हुआ। 1986 मे उमनपा में नगराध्यक्ष बनने के बाद 1990 में पप्पू कालानी ने विधानसभा चुनाव लड़ा उस दौरान (दिन) घनश्याम बठिजा से हुए तू तू मैं को लेकर उनका कत्ल करवा दिया और उस केस में मुख्य गवाह रहे घनश्याम बठिजा के सगे भाई इंदर बठिजा का भी कत्ल करवा दिया, इंदर केस में पप्पू बुधरमल कालानी को उम्रकैद की सजा मिली और करीब दस वर्ष जेल में रहने के बाद कोविड-19 के दरम्यान उनकी उम्र देखते हुए पे रोल पर छोड़ा गया। परंतु कोविड-19 के दौरान पे रोल पर आये और फिर कभी जेल नहीं गये क्योंकि शिवसेना राष्ट्रवादी और कांग्रेस की सौ करोड़ वसुली वाली सरकार बन गयी थी और उसने पप्पू को 14/65 के तहत बढ़ी हुई उम्र और चलने फिरने मे अशक्त होने का झूंठा सर्टिफिकेट देकर बरी कर दिया था। कहावत है "बंदर कितना ही बूढ़ा हो जाय गुलाटी मारना नहीं भूलता" यही कारण है कि पप्पू सड़कों पर नाच रहे हैं। और यह नाच विठ्ठलवाड़ी पुलिस, ठाणे पुलिस आयुक्त विडियो पर लाइव देख रहे है और मुह पर उंगली रखकर चुपचाप बैठे हुए है। भाजपा विधायक कुमार आयलानी भी डर कर पप्पू के बारे में बोलने को तैयार नही जबकि घनश्याम और इंदर बठिजा उनके सगे साले थे।

हमारे देश की न्याय व्यवस्था इतनी जर्जर और अशक्त हो गई है कि 1990 मे रिक्षा युनियन अध्यक्ष मारुति जाधव का कत्ल हुआ और उस कत्ल में भी पप्पू बुधरमल कालानी का नाम आया और उनपर IPC की धारा 302, 120 (B) 147,148,149 और आर्म्स एक्ट 25 (1) तहत मामला दर्ज तो हुआ परंतु आज 25 वर्ष बीत रहा है, मुकदमे का फैसला अब तक नहीं हुआ शायद आरोपी के मर जाने के बाद ही आयेगा। मजे की बात यह है कि सत्ता में बैठी भाजपा की उल्हासनगर में ऐसी की तैसी कर रखा है। डर ऐसा कि कुमार आयलानी विधानसभा में सवाल उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। गृहमंत्रालय भाजपा नेता देवेन्द्र फडणविस के पास है परंतु पुलिस सिर्फ शिंदे बाप बेटे का ही सुनती है। उन दोनों ने पप्पू के साथ दोस्ती का गठबंधन बनाकर भाजपा में तोड़ फोड़ मचा रखा है। भ्रष्टाचार कर उम्रकैद से बचकर जेल से बाहर, पप्पू कालानी की जांच का आदेश देने से मुख्यमंत्री/ गृहमंत्री क्यो कतरा रहे हैं? विठ्ठलवाड़ी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक अशोक कोली से जब मारुति जाधव कत्ल का एफआईआर नंबर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 25 वर्ष कागजात कौन संभालता है, हमने कागजात खत्म कर दिया। यह हाल है भारत देश की न्याय व्यवस्था का, न्यायालय ने सजा सुना भी दिया तो नेता अधिकारी सांठगांठ/लेनदेन कर मुजरिम को छोड़ देते हैं। कमेटी की नजर मे अशक्त पप्पू कालानी अंगरक्षकों के साथ सड़कों पर धमाचौकड़ी मचा रहा है, मुझे तो पुलिस और सरकार अशक्त नजर आ रही है। रुपया अगर भरपूर है तो भारत में न्याय खरीदा जाता है। जय संविधान।। 

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