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अवैध हबीब पैलेश को किस किसने रुपये लेकर अभयदान दिया अगले अंक होगा खुलासा।

        चोपड़ा कोर्ट रोड पर बनी "हबीब पैलेस" इमारत को तोड़ने आयी जेसीबी लौटी? 

उल्हासनगर : उल्हासनगर मनपा क्षेत्र के, चोपड़ा कोर्ट जाने वाली सड़क के किनारे इलेक्ट्रिक मोटर साइकिल शोरुम के बगल "हबीब पैलेस" नामक सात मंजिला इमारत पास हुऎ नक्शे के अनुरूप न बनकर, भवन निर्माता के फायदे अनुसार बनाया गया है। पास प्लान में छेड़छाड़ के कारण इमारत अवैध घोषित कर मनपा ने नोटिस सर्व किया और इमारत तोड़ने के लिए जेसीबी मशीन लेकर इमारत तक आने के बाद लौट गयी, अवैध इमारत कैसे वैध हो गयी, किस की सलाह पर लौट गई? 
बता दें कि शहाड से चोपड़ा कोर्ट जाने वाले रास्ते पर इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल शोरूम के बगल, सी ब्लाक में सड़क के किनारे "हबीब मंजिल" नामक सात मंजिला इमारत का निर्माण हुआ है। १.१ की F.S.I. के हिसाब से प्लान पास हुआ है। 0.5% प्रिमियम पर सात मंजिला इमारत बन नहीं सकती तो नौ प्रतिशत टीडीआर दिखाया गया है जबकि इमारत बनाने से पहले या बनाते समय कोई भी जमीन किसी विकास कार्य मे उपयोग नहीं हुई है। विकासक ने जो प्लान में दिखाया है और जो स्थित है वह एकदम भिन्न है! ऐसे में इमारत के (CC) स्टार्टिंग सर्टिफिकेट, पिलिंथ सर्टिफिकेट, कंपलीसन (CC) और (OC) आक्युपेसन सर्टिफिकेट कैसे दिए गये? या दिए ही नहीं गये हैं। अगर नहीं दिए गये तो उल्हासनगर मनपा का टीपीडी विभाग समाचारपत्र में प्रकाशित कर खरीददारों को अवगत क्यों नहीं कराता है ? इमारत पर बैनर लगाकर लोगों के खरीदकर फंसने से पहले अवगत कराया जाना मनपा की जवाबदेही है। भवन निर्माता अवैध इमारत का निर्माण करता है, सारी जानकारी मनपा के टाऊन प्लॅनिंग विभाग के पास होती है और वह रिश्वत खाकर आंखे बंद कर आम शहरियों को फंसने देता है। ऐसे में भवन निर्माता और विभाग दोनों कमाकर निकल जाते हैं और आम जनता फंस जाती है।  दिखाए गये /पास किए गये प्लान से जमीनी हकीकत में इतना ज्यादा फर्क है कि दस लाख रुपया भर चुके खरीददार ने बुकिंग कैंसल कर दिया और अब अपना दस लाख रुपया वापस मांग रहा है जो कि भवन निर्माता देने को तैयार नहीं है वह कह रहा है रुपया मिला ही नहीं। अपना रुपया वापस पाने के लिए एजाज अहमद नेवास अलीखान दर दर भटक रहे हैं उन्होने पुलिस को भी अर्जी देकर अपने रुपये वापस दिलाने की मांग की है। उस अर्ज़ की कापी अग्निपर्व टाइम्स के पास मौजूद है। सूत्रों ने बताया कि भवन निर्माता मकसूद अलीखान 'हबीब' बिल्डर की यह इमारत तोड़ने के लिए जेसीबी मशीन इमारत तक पहुंच चुकी थी परंतु पूर्व नगरसेवक के दबाव मे आकर लौट गयी। इससे साफ जाहिर होता है कि वार्ड अफसर और नगरसेवक दोनों ने भर पेट मिठाई खाकर अवैध इमारत को अभयदान दे दिया। और जाल बिछाए बैठे हैं कि कोई मुर्गा फंसे, ऐसे हैं हमारे नगरसेवक/समाजसेवक, लोकसेवक और भवन निर्माता, जो सिर्फ आम जनता को सिर्फ लूटने का ही काम करते हैं। इस खबर के बाद क्या उल्हासनगर मनपा आयुक्त जागरूक होकर अवैध इमारत पर उचित कार्रवाई कर आम जनता को लुटने से बचाएंगी? या फिर वे भी चुप रहकर जनता को लुटता हुआ देखती रहेंगी, यह सवाल अग्निपर्व टाइम्स ही नहीं शहर की आम जनता भी पूछ रही है। 
       
          

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