पूर्व भाजपा महासचिव चंद्रकांत मिश्र
उल्हासनगर : उल्हासनगर भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य व पूर्व नगरसेवक, स्थायी समिति सभापति रहे प्रकाश माखीजा, दो बार उल्हासनगर भाजपा जिलाध्यक्ष व उपमहापौर रहे जमनु पुरस्वानी, स्थायी समिति सभापति रहे रामचार्ली पारवानी, पूर्व नगरसेवक व सिंधी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष रहे महेश सुखरामानी ने थामा टिओके का हाथ। बता दें पूर्व भाजपा महासचिव चंद्रकांत मिश्र ने उपरोक्त बातों से अपने पत्र में अवगत कराया था। उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि वर्तमान में भाजपा की कार्यप्रणाली कार्यकर्त्तानिष्ठ न हो कर कांग्रेस तथा कम्युनिस्ट पार्टी जैसी स्थिति की ओर अग्रसर है । आज के १०-१५ वर्ष पहले पार्टी के अंदर लोकतान्त्रिक रूप से अनुभवी कार्यकर्त्ता व पार्टी की अवधारणा के प्रति समर्पित लोगों को ही संगठन की जवाबदारी सर्वसम्मति या चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से दी जाती थी, परन्तु अब कौन किस नेता के कितना नजदीक या आर्थिक रूप से कितना सबल अथवा भ्रष्टाचार के माध्यम से स्व का पोषण करते हुए नेता तथा पार्टी का पोषण कर सकता है, मापदंड बन गया है |
गले में पट्टा टीओके का और झंडा शिवसेना का चारो पूर्व भाजपाई
२८ जनवरी २०१७ के दिन देवेंद्र फडणवीस के सरकारी आवास में भ्रष्ट व क्रूर कालानी परिवार को भाजपा से दूर रखने का निवेदन किया था, परंतु तत्कालीन स्थानीय मंत्री की अनुशंसा पर संगठन में स्थान देते हुए समाविष्ट किया गया, परंतु दुसरे वर्ष ही वास्तविकता सामने आई कालानी गुट शिवसेना समर्थक बन उनका महापौर बनवाकर धोखा किया। जबकि उस समय देवेन्द्र फडणविस ने यह कहते हुए आश्वस्त किया गया था कि शिवसेना रूपी लोहा काटने हेतु कालानी रूपी लोहे का उपयोग करना उचित है । तदरूप देवेंद्र जी से जो प्रति प्रश्न किया था कि सत्ता साधन हेतु चाहते है या साध्य हेतु तो उत्तर में मा देवेंद्र जी ने कहा कि साध्य हेतु । परंतु न साधन ही हमारे पास रहा न साध्य ही प्राप्त हुआ | विपरीत परिणाम यह हुआ कि अपने लोग जो अप्रत्यक्ष रूप से कालानी का साथ देते रहे थे, वे अब मुखर रूप से स्वतः उन भ्रष्टाचारों में लिप्त हो गए; जैसे प्रदीप रामचंदानी, जमुनो पुरुस्वानी, प्रकाश माखीजा, राम चार्ली पारवानी तथा कालानी ग्रुप से कल आया हुआराजेश वधारिया आदि ये वे लोग है जो नगरसेवक के रूप में सत्ता को अपनी जीविकोपार्जन व भ्रष्टाचार के माध्यम से अनैतिक कमाई का साधन मान बैठे है। जो कि जनहित व संगठन उद्देश्य से परे है, पूर्व मंत्री व वरिष्ठों को इसकी जानकारी होते हुए भी मौन रहते है, क्योंकि वही लोग इनको संरक्षण प्रदान करते है। तथा यह लोग ही घूम फिर कर पार्टी के पदों पर वर्षों से कुंडली मार कर आसीन हो सत्ता सुख ले रहे है। आगे उन्होंने अपने पत्र में लिखा संगठन संचालन हेतु आर्थिक आवश्यकता होती है, परंतु उससे भी अति आवश्यक है समर्पित व कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्त्ताओं का होना । वर्तमान में पार्टी को ऐसा लगने लगा है कि कार्यकर्त्ता पैसे से मिल जाता है, तथा पैसा ही कार्यकर्त्ता व मतदाता में समन्वय बनाने में सक्षम है। लेकिन यह अवधारणा आयुषी नहीं होती है, बल्कि उस सेवक जैसी होती है, कि यदि उसे अन्य किसी स्थापना (कंपनी) में अधिक वेतन मिल गया तो वह पूर्व स्थापना को त्याग नये के साथ आर्थिक लाभ हेतु जुड़ जाता है व उसके प्रति समर्पित हो जाता है, क्योंकि उसको स्थापना के उत्थान पतन की चिंता नहीं रहती उसे मात्र स्व के वेतन व उत्थान व स्वार्थ से मतलब रहता है।
भाजपा उल्हासनगर जिला अध्यक्ष राजेश वधरिया
पूर्व में कार्यकर्त्ता संगठन व सत्ता को ध्येय मान कर सामाजिक उद्देश्यों व जनहिताय लोक कल्याण हेतु समर्पित रहते थे, परंतु वर्तमान में संगठन व सत्ता से इसलिए समन्वय बनाते है कि वरिष्ठ पदाधिकारियों व सत्तासीनों के इर्दगिर्द रह कर उनके परिवार व आसपास के लोगों का हित सधता रहे, जनता व संगठन भाड़ में जाय । जिसका ज्वलंत उदहारण उदाहरण आज मौजूद है। फुटपाथ से उठाकर जिस भाजपा ने जमनु पुरस्वानी को नगरसेवक व पदाधिकारी बनाया वही कह रहे हैं कि उल्हासनगर में भाजपा एक सीट भी नहीं जित सकती। आपको पता होना चाहिए कि जमनु ने उल्हासनगर के दर्जनों शौचालय और उसके आसपास की जमीन हड़पकर, अवैध निर्माण कर आज अरबपतियों की सुची में शामिल हुए हैं। ऐसा स्थानीय समाचारपत्रों में उजागर ही नहीं ही नहीं हुआ लोग भी कह रहे हैं। इसी तरह रामचार्ली पारवानी व प्रकाश माखीजा का भी अवैध निर्माण करना सरकारी जमीन हड़पना ही मुख्य कारोबार रहा है। परंतु मुख्य विपक्ष होते हुए कालानी परिवार ने इनका कभी विरोध नहीं किया मतलब तेरी भी चुप मेरी भी चुप और मिलजुल कर शहर को लूट डालो। उन्होने राज्य के नेतृत्व से समय रहते उपरोक्त विषयों पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए संगठन में कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्ताओं को जवाबदारी तथा भ्रष्टाचार में लिप्त पदाधिकारियों व नगर सेवकों पर अंकुश लगाने की मांग की थी। साथ सत्ता में भागीदार व नगरपालिका में पदों पर आसीन व्यक्तियों को संगठन में जवाबदारी न देते हुए संगठन को मजबूती देने हेतु कर्तव्यनिष्ठ समर्पित कार्यकर्त्ताओं को जवाबदारी देने के लिए भी लिखा था। सबका साथ, सबका विश्वास व सबका विकास की उक्ति को चरितार्थ करने की सलाह के साथ पदों की खैरात में बांटने की वर्तमान परम्परा पर अंकुश लगाने की मांग किया था। परंतु देवेन्द्र फडणविस व तत्कालिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटिल ने उस पत्र को नजरअंदाज कर दिया था। यही कारण है कि आज उल्हासनगर भाजपा की यह दुर्दशा है। और जिसको पदों पर बैठाकर पोषित किया गया वही आज उल्हासनगर में भाजपा को खत्म करने का दम भर रहा है। अगर यह ब्लॉग भाजपा के वरिष्ठ नेताओं तक पहुंचता है तो जरा आत्ममंथन किजिए और अमित शाह और मोदी जी से थोड़ा सीखने की जरूरत है। जो कार्यकर्ता किसी लालच के बिना भाजपा के लिए समर्पित है उनको कम से कम सम्मान तो दिजिए।
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