राजेश नागदेव उमनपा मुख्यालय उपायुक्त को पत्र देते हुए
नीलम कदम बोडारे
उल्हासनगर: उल्हासनगर मनपा की कक्षा दसवीं पास कर संकलक नीलम कदम बोडारे (दसवीं के बाद की सभी डीग्रियां फर्जी बतायी जा रही है) बाप और चाचा के रसूख के चलते उमनपा के शिक्षण बोर्ड में उंचे पद पर पहुंची और पद पर बैठकर किए बड़े घोटाले, इन घोटालों को उल्हासनगर मनपा के पूर्व वरिष्ठ नगरसेवक व शिवसेना नेता राजेंद्र सिंह भुल्लर महाराज ने बढ़चढ़कर उठाया था परंतु निलम कदम पर कोई कार्रवाई नहीं हुई बल्कि उनको टैक्स संकलन विभाग का मुखिया बनाया गया और उन्होंने वहाँ भी घोटालों के पहाड़ खड़े कर दिए।अब नीलम के भ्रष्टाचार को लेकर समाज सेवक राजेश नागदेव सामने आये हैं। उन्होंने नीलम कदम की नियुक्ति में हुई अनियमितता से लेकर शिक्षण व कर विभागों में किये गये वित्तीय घोटालों के मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग को लेकर मनपा आयुक्त/प्रशासक से मुलाकात किया है। घोटालों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, पुलिस महानिदेशक और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायती पत्र भेजा है।
उल्हासनगर महानगर पालिका आयुक्त
राजेश नागदेव का अथक प्रयास और प्रशासन का टालमटोल भरा रवैया
१५ अप्रैल २०२५ को उल्हासनगर की आयुक्त तथा प्रशासक श्रीमती मनीषा आव्हाळे से मुलाकात कर, उन्हें इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी और शिकायती पत्र देकर नीलम कदम पर उचित करवाई करने की मांग की है। नागदेव ने करवाई न किए जाने पर "उमपा प्रशासन जागो"आंदोलन व उपोषण करने का इशारा दिया। आयुक्त ने मनपा उपायुक्त मुख्यालय दिपाली चौगुले के साथ सहायक आयुक्त विशाल कदम को मामले की जांच कर 15 दिनों में अहवाल सादर करने का आदेश दिया। साथ ही नागदेव को १५ दिनों के लिए उपोषण स्थगित करने के लिए कहा। दिपाली चौगुले ने २ मई २०२५ को नागदेव ईमेल के माध्यम से एक पत्र भेजा जिसमें उन्होंने नीलम पर कार्रवाई करने का आश्वासन देते हुए उपोषण तथा आंदोलन स्थगित रखने का अनुरोध किया। ५ मई २०२५ को नागदेव व्यक्तिगत रूप से उल्हासनगर मनपा आयुक्त/प्रशासक से फिर मुलाकात की। बैठक में उन्होंने नीलम कदम के खिलाफ पूर्व विधायक गणपत गायकवाड द्वारा की गई शिकायत पर तत्कालीन आयुक्त द्वारा गठित समिति का अहवाल, नीलम कदम के निलंबन प्रस्ताव की प्रति और विधायक द्वारा की गई शिकायतों से संबंधित सभी दस्तावेज प्रस्तुत कर आयुक्त से तुरंत कार्यवाही करने की मांग की। साथ ही उचित कार्रवाई नहीं हुई यह बताते हुए, उपोषण व उमनपा प्रशासन जागो आंदोलन करने हेतु निवेदन भी सौंपा। आयुक्त ने तुरंत कार्रवाई का आश्वासन देने के साथ ही आयुक्त ने शिकायती पत्र और संबंधित सभी दस्तावेज उपायुक्त, मुख्यालय श्रीमती दिपाली चौगुले को सौंपने के लिए कहा। नागदेव ने वैसा ही किया और सारे दस्तावेज दिपाली चौगुले को सौंप दिया।
आयुक्त पर गुमराह करने का आरोप
२० मई २०२५ को राजेश नागदेव ने आयुक्त तथा प्रशासक से फिर मुलाकात किया तब बताया गया कि नीलम कदम बोडारे को शिक्षण विभाग के *उपलेखापाल* (जो पद वास्तव में शिक्षण विभाग में अस्तित्व में नहीं है) व कर विभाग के *कर निर्धारक व संकलक* दोनों पद समाप्त कर दिए गए हैं। और पदच्युत किये जाने संबंधी पत्र उसी दिन नागदेव को दिया जाएगा। उपायुक्त, मुख्यालय श्रीमती दीपाली चौगुले ने शाम 6:30 बजे तक पत्र देने के लिए नागदेव को बैठाकर रखा। शाम को नागदेव को दो पत्र मिले। एक पत्र में नीलम कदम बोडारे के दोनों पद समाप्त करने का उल्लेख था, तो वहीं दूसरे पत्र में एक सामान्य कार्यालयीनआदेश था। जिसमें लिखा था कि नीलम के वैद्यकीय अवकाश पर होने के कारण उनका पदभार सहायक आयुक्त मयूरी कदम को सौंपा गया है। इन दोनों पत्रों पर उपायुक्त मुख्यालय दीपाली चौगुले के हस्ताक्षर थे। इससे स्पष्ट होता है कि नीलम कदम के खिलाफ आयुक्त द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। और इसका सीधा अर्थ यही निकलता है कि मनपा प्रशासन द्वारा नीलम कदम को बचाया जा रहा है।
*नीलम कदम के खिलाफ प्रमुख आरोप*
*निलम कदम बोडारे की नियुक्ति नियम बाह्य जाकर हुई है। शिक्षा विभाग में विभिन्न खरीद में अनियमितताएं व भ्रष्टाचार हुआ। नियुक्ति के बाद उन्होंने शिक्षा विभाग के सभी वित्तीय अधिकार अपने हाथ ले लिया और हस्ताक्षर के अधिकार का उपयोग करते हुए विभाग में सभी वित्तीय मामलों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया। *अवैध पदोन्नति: २०१९ में, उन्हें शिक्षा विभाग में *उपलेखापाल* के रूप में पदोन्नत किया गया, जबकि शिक्षा विभाग में ऐसा कोई पद आस्तित्व में ही नहीं है। २०२४ में, उन्हें मनपा के सबसे महत्वपूर्ण पदों में से एक *कर निर्धारक और संकलक* का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। कर विभाग में, उन्होंने कोलब्रो कंपनी, मनोज गोकलानी, अन्य पदाधिकारियों व कंप्यूटर सॉफ्टवेयर से छेड़छाड कर लगभग १०/१२ करोड़ रुपये या अधिक घोटाले का अनुमान है। इस तरह निलम बोडारे के भ्रष्टाचार व उनके अवैध संपत्ति के जांच की मांग पूर्व विधायक गणपत गायकवाड़, पूर्व वरिष्ठ नगरसेवक राजेंद्र सिंह भुल्लर महाराज के बाद अब समाजसेवी राजेश नागदेव ने की है। परंतु मनपा प्रशासन उनको निलंबित कर जांच करने के बजाय मेडिकल छुट्टी पर भेजकर उनका बचाव कर रहा है। इससे यह जाहिर हो जाता है कि उल्हासनगर महानगर पालिका भ्रष्टाचारियों के चंगुल में है। और मनपा आयुक्त दबाव में काम कर रही हैं। इस तरह उल्हासनगर मनपा से भ्रष्टाचार खत्म होने से रहा। अब देखना होगा कि इस खबर के बाद महाराष्ट्र सरकार जागरूक होती है या फिर आंख कान बंद रखकर भ्रष्टाचार को अपना मूक समर्थन जारी रखती है।
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