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उल्हासनगर महानगर पालिका में 20 हजार लेकर फर्जी कामगारों का अंगुठा मैच कराया जाता है।

ऐसा सिर्फ उल्हासनगर में होता है.. जयंती पठान के बदले बीस वर्षों से सलीम शेख नौकरी कर रहा है। राजू कंगारे के बदले शोभा, एडू सिरसाठ के बदले गन्या।

                     उल्हासनगर महानगर पालिका का फर्जी कामगार सलीम शेख 

उल्हासनगर : उल्हासनगर महानगर पालिका एक ऎसी पालिका है जहाँ कुछ भी हो सकता है। अब तीन ऐसे नामों का खुलासा हुआ है जो बीस वर्षो से डियुटी पर आये ही नहीं परंतु उनके नाम का वेतन हर महीने दिया जा रहा है! क्योंकि उनके बदले नियुक्त होकर उनके नाम का मस्टर कोई और साइन कर रहा है! मस्टर में तैनाती किसीकी और काम पर कोई और! 

उल्हासनगर में कुछ महीने पहले शहर नियोजन विभाग में फर्जी नियुक्तियों का मामला सामने आया था। वैसा ही मामला फिर सामने आया है जहाँ सार्वजनिक निर्माण विभाग में सलीम शेख अपनी सास जयंती पठान की जगह करीब बीस वर्ष से नौकरी कर रहा है। और मजे की बात है कि हाजिर होने पर अपना अंगुठा लगाता है या फिर अपनी सास का अंगुठा अपनी जेब में रखता है, इसका जवाब कौन देगा? बताया जाता है कि बीस हजार रुपये लेकर हाजरी विभाग अंगुठा मैच कर देता है। यह काम करीब बीस वर्षों से चल रहा है। नियुक्त जयंती पठान की आंखों से दिखाई नहीं देता इसलिए, बिना स्तिफा दिये ही अपनी जगह दामाद को नौकरी पर भेजने लगी और इस नेक काम में उनके इस नेक काम में मददगार बने जीतू और सेवकानी, उन्होने सलीम को उसकी सास की जगह नौकरी पर रख लिया जिससे भले ही उमनपा का घाटा हो रहा हो, चार सौ बीसी हो रही हो, परंतु उनका अपना फायदा हो रहा है। नियुक्ति महिला की और कार्य पर पुरुष, उमनपा अधिकारियों को क्यों दिखाई नहीं दे रहा है। सलीम के पास भले ही उल्हासनगर महापालिका का परिचय पत्र न हो परंतु वह अपनी मोटरसाइकिल पर UMC लिखना, लोबो लगाना नहीं भूलता। सूत्र बताते हैं सलीम शेख, गन्या और शोभा यह तीनों मनपा में फर्जी कामगार हैं।ऐसी लिखित शिकायत भी कई बार हुई है फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसा ही एक शिकायती पत्र अग्निपर्व टाइम्स के पास भी आया है। बताया जाता है कि यह लोग अपने वेतन का कुछ हिस्सा वरिष्ठ अधिकारियों को दे देते हैं। और कुछ अपने रिश्तेदारों को जिनके बदले रोज डियुटी बजा रहे हैं। ऐसा है उल्हासनगर महानगर पालिका का फर्जी कारोबार, नीचे से ऊपर तक भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार। नवनियुक्त उमनपा आयुक्त मनीषा अह्वाले सुधारने में लगी हैं देखना है कितना सुधार पाती हैं? या फिर वे भी उसीमें रच बस जाती हैं। 

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