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आनलाईन लाटरी, क्रिकेट सट्टेबाजी ऐप, बेवसाइट ले रहे हैं युवा पीढ़ी की जान, सरकार अंजान?

                       क्रिकेट सट्टेबाजी व ऑनलाइन लाटरी का मायाजाल। 
                  बर्बाद होती युवा पीढ़ी ऐप, वेबसाइटों के जाल में फंस कर। 

अग्निपर्व टाइम्स समाचार सेवा - विधानसभा में मुद्दा गरमाया
उल्हासनगर ता.31: रात के अंधेरे में शुरू होने वाला खेल, मोबाइल स्क्रीन पर घूमते नंबरों का रोमांच,एक क्लिक में करोड़ों रुपए गंवाने का खतरा, अब सिर्फ किसी रोमांचकारी फिल्म की कहानी नहीं रह गई है, बल्कि उल्हासनगर व देश की हकीकत का भयावह रूप बन गई है। 
               नामचीन क्रिकेट सटोरिये जिनकी तस्वीर अक्सर अखबारों में छपती रहती है 

IPL 2025 की पृष्ठभूमि में शहर में ऑनलाइन लाटरी व क्रिकेट में सट्टेबाजी इस कदर चरम पर है, कि युवाओं की जान खतरे में पड़ गई है। कई युवा मोबाइल एप्स, वेबसाइट की यूजर आईडी लेकर सट्टेबाजी की हार जीत में डिजिटल ट्रांसफर के जाल में फंसकर सचमुच बर्बाद हो गए/रहे हैँ।
सट्टा बाजार मामले का विवाद अब विधानसभा के पटल तक पहुंच गया है। विपक्ष ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की और आईपीएल के दौरान पुलिस और प्रशासन की ढिलाई पर सवाल ही नहीं उठाया, खुले तौर पर यह संदेह व्यक्त किया कि उल्हासनगर,अंबरनाथ,बदलापुर और कल्याण जैसे इलाकों में बड़े पैमाने पर चल रही विनगेम व क्रिकेट सट्टेबाजी पर कार्रवाई न होने के पीछे कहीं किसीका 'संरक्षण' तो नहीं है? जहाँ युवा लोग 'रातों-रात अमीर बनने' के सपने के साथ सट्टेबाजों के जाल में फंसते जा रहे हैं और अंततः कर्ज, अपमान और मनोवैज्ञानिक दबाव से थककर अपनी जान ले लेते हैं। 'ऑल पैनल', 'देव बुक', 'एनआर बुक' जैसे ऐप्स का उपयोग करके मोबाइल पर सट्टा खेला जाता है। इसके लिए यूजर को एक 'आईडी' दी जाती है, जिसके जरिए वह मैच के दौरान हर गेंद पर दांव लगाता है। सट्टेबाजों द्वारा संचालित ये वेबसाइट और ऐप रोजाना करोड़ों रुपए का कारोबार करते हैं। 

शहर के बाहर सुरक्षित स्थान पर सट्टेबाज

धुले पुलिस की कार्रवाई के अनुसार सट्टा संचालक वहां बैठकर 'पंटर्स' के माध्यम से पूरे नेटवर्क का संचालन करते हैं। पुलिस की नजरों से बचने के लिए अब सभी लेन-देन डिजिटल हो गए हैं। इससे अपराध साबित करना और अधिक कठिन हो गया है। शहर और देश में कई युवा इस जुए के जाल में फंस चुके हैं। कईयों ने कर्ज लिया, जुआ खेला, हार गए और अंततः अवसाद में डूब कर आत्महत्या का रास्ता चुन लिया। युवाओं को इस संकट से बाहर निकालने की जिम्मेदारी पुलिस के साथ-साथ समाज, अभिभावकों, स्कूलों और कॉलेजों की भी बन गयी है। उल्हासनगर में पनप रहा ऑनलाइन सट्टेबाजी का यह साम्राज्य न केवल अपराध का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक पतन का कारण भी बन गया है। दिसंबर 2023 में भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका मैच के दौरान सट्टेबाजी की सूचना मिलने के बाद धुले क्राइम ब्रांच ने होटल अमित प्लाजा,कमरा नंबर 112 में छापा मारा। वहां नीलेश राव नामक व्यक्ति के कब्जे से दो मोबाइल फोन मिले, जिसमें 'ऑल पैनल' ऐप चल रहा था, ऐप में यूजरनेम और राशि दर्ज किया गया था।पूछताछ के दौरान उसने स्वीकार किया कि उल्हासनगर के नरेश रोहरा द्वारा उपलब्ध कराए गए आईडी का उपयोग करके जुआ खेला था। इस मामले में धुले क्राइम ब्रांच पुलिस ने उल्हासनगर में विभिन्न स्थानों पर छापे मारे थे। नरेश रोहरा, विक्की एनआर, राहुल बुलानी, मनीष गिदवानी, हितेश फर्जी, राहुल एनआर, बंटी एनआर समेत 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। अब पता चला है कि 'देव बुक' और 'एनआर बुक' नामक फर्जी वेबसाइटों के जरिए लोगों को सट्टेबाजी में फंसाया जा रहा है।यदि आज सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो कल शहर अंधेरे में डूब जाएगा। पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है। हालाँकि यह पर्याप्त नहीं है। यह 'अटकलबाजी' का प्रश्न नहीं है, बल्कि 'भविष्य के बर्बाद होने' का प्रश्न है! यह बर्बादी केंद्र राज्य सरकारों को क्यों नहीं दिखाई दे रही है, वे मोबाइल फोन पर चलने वाले जुआ ऐपों और कंप्यूटर पर चलने वाले तरह-तरह के जुआ ऐपों को बंद कराने के साथ, जुआ ऐप बनाने वाले इंजिनियरों को भी सलाखों के पीछे ढकेल देना चाहिए, ऐसे लोगों को खुला छोड़ना भी इस तरह की ऐपों और बेवसाइटों के बढ़ने का एक कारण है।
                      विनगेम लाटरी दुकानें बोर्ड पर लिखा है आनलाईन सर्विसेस 

स्कूल कालेजों मे कयी तरह के प्रोजेक्ट करने के लिए मोबाइल लैपटॉप और कंप्यूटर का इस्तेमाल करना मजबूरी बन गया है। ऐसे में मोबाइल खोलते ही जुआ का ऐप या उसका प्रचार दिखाई देना और बताया जाना के मैने अमुक ऐप से खेलकर करोड़ रुपये कमाये हैं। जिज्ञासा वस युवा ट्राई करते हैं और जाल में फंस जाते हैं और अंत में अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। उल्हासनगर में दर्जनों युवा आत्महत्या कर चुके हैं। वहीं देश में किसानो की आत्महत्या के बाद जुए के कारण आत्महत्या दूसरे नंबर पर है। फिर भी सरकार न जाने क्यों इस ओर से आंखे मूंदे हुए है? अब देखना होगा कि इस खबर के बाद सरकार जागरूक होती है या फिर ऐसे ही आंखे मूंदे रहती है, यह तो समय बतायेगा।

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