उल्हासनगर: उल्हासनगर में गरीबों को मिलने वाला राशन ब्लैक होता है, ट्रक में लगा हुआ जीपीएस डिवाइस अक्टिवा में लगाकर दुकान दुकान घुमाते हैं, गेहूँ चावल जाता है शाहपुर व अन्य गोडाउन में। शीर्षक से खबर लिखा था। अब उसमे नया खुलासा हुआ है जिस दुकान में जीपीएस डिवाइस रखा था, वह मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन की हद में है। वहॉं पहुची उल्हासनगर पुलिस स्टेशन की पुलिस।
गोल घेरे में जावेद मुलानी
उल्हासनगर में राशनिंग विभाग और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से हर महीने केंद्र सरकार द्वारा गरीबों को दिए जाने वाले राशन की बड़ी मात्रा गरीबों को न देकर धन्नासेठों के गोदामों में चला जाता है। ऐसा ही एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जहां १२ टन अनाज से लदा हुआ एक ट्रक भिवंडी के गोदाम से निकलता है और कुछ दूर जाकर ट्रक में लगा हुआ जीपीएस निकालकर एक एक्टिवा मोटर साइकिल में लगा दिया जाता है और वह अक्टिवा ढाई घंटे कैंप चार की सात दुकानों पर बारी बारी खड़ी होती है और अक्टिवा सवार दुकानदारों का बार कोड लेकर सिस्टम को अपडेट करता रहता है इस तरह राशन तो दुकान पर नहीं पहुंचा और सिस्टम में दर्ज हो गया कि दुकानों पर राशन पहुंच गया, फिर उस जीपीएस डिवाइस को लाकर सेंट्रल पुलिस स्टेशन हद के चोपड़ा कोर्ट परिसर के शिव भोजन की एक दुकान में रख दिया जाता है। जिसको सुबह उल्हासनगर पुलिस स्टेशन के अपराध शाखा निरीक्षक चंद्रहास गोडसे के आदेशानुसार जावेद मुलानी नामक डीबी कर्मी बरामद कर पुलिस स्टेशन ले गया, जो विडियो में दिखाई दे रहा है। जो बिना मुकदमा दर्ज किए ही वापस दे दिया गया।
17 फरवरी 2025 की यह घटना है जब एक ट्रक भिवंडी के सरकारी गोदाम से 12 टन अनाज लेकर उल्हासनगर कैम्प क्रमांक 4 की सात दुकानों को देने निकला परंतु पहले ही हुई सांठ-गांठ के अनुसार गोदाम से कुछ दूर निकलने के बाद सरकार द्वारा ट्रक में लगाया हुआ जीपीएस डिवाइस निकालकर एक अक्टिवा पर रख दिया गया जो उल्हासनगर की ओर चल पड़ी और ट्रक शहापुर के गोदाम की ओर चला गया। ट्रांसपोर्ट के ट्रक में जीपीएस इसलिए लगाया जाता है कि पता चल सके कि अनाज से भरा ट्रक राशन दुकानों पर ही गया या फिर और कहीं, ट्रक चालक को दुकानों पर पहुंच कर बार कोड देना होता है जो ट्रक चालक के बजाय अक्टिवा चालक दे रहा था। लेकिन चोरों ने उसका तोड़ भी निकाल लिया है और ट्रक से जीपीएस डिवाइस निकालकर अक्टिवा पर लगा देते हैं।
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब मनोज मध्यानी नामक व्यक्ति ने इस संदिग्ध गतिविधि के बारे में एक यु-टियुब पर अपना साक्षात्कार दिया तब अग्निपर्व टाइम्स ने खबर लगाया उस खबर को देख कर एक खबरी ने जो विडियो दिखाया वह देख मेरी आंखे फटी की फटी रह गई। वीडियो मे जावेद मुलानी नामक पुलिस वाला अपने वरिष्ठ से पैसो के लेनदेन यानी की तोड़पानी की बात कर रहा है। परंतु वरिष्ठ कह रहा पुलिस स्टेशन लाओ हलवा मामला है। पंद्रह बीस लाख तो आराम से मिलेंगे और इस तरह जावेद मुलानी बोरी में रखा जीपीएस डिवाइस उल्हासनगर पुलिस स्टेशन ले गया। जहाँ गोडसे ने ट्रांसपोर्ट के मालिक और जिस दुकान में जीपीएस डिवाइस रखा था उसके मालिक सनी चैनानी के साथ ही उन सात दुकानदार को बुलाकर न जाने क्या चर्चा किया की सारा मामला रफा-दफा हो गया। जबकि निजी दुकान में रखे हुए सरकारी जीपीएस डिवाइस की बरामदगी का पंचनामा कराया जाना चाहिए था। ट्रक में लगा सरकारी डिवाइस निकालने वालों पर सरकारी चोरी का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार करना चाहिए था। सनी चैनानी ने जीपीएस डिवाइस अपने दुकान में कैसे और क्यों रखा? ट्रक बिना जीपीएस डिवाइस के सरकारी आनाज लेकर कहाँ गया यह सब जांच का विषय है। बिना मामला दर्ज किए कैसे होगा?यह पुलिस नहीं बता रही है। यह भी जांच का विषय है कि सेंट्रलपुलिस स्टेशन की हद में घटित घटना की जांच उल्हासनगर पुलिसस्टेशन के डिटेक्शन का जावेद मुलानी किसके आदेश पर वहाँ पहुँचा? जावेद मुलानी विडियो में सांठगांठ, लेनदेन की बातें की हैं और पूरी भुमिका भी निभाई है। परंतु खबरियों को कुछ नहीं दिया इसीलिए सारा मामला बाहर आ गया। जब एक पत्रकार ने थोड़े में अपने वाटशाप पर लिखा तो जावेद मुलानी ने कहा जो लिखना है लिखों मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते मैं और मेरा साहब सांसद डा. श्रीकांत शिंदे के खास आदमी हैं।
प्रशांत काले
सूत्रों ने बताया राशनिंग विभाग के डीसीआर प्रशांत काले चोरी के माल में हिस्सेदार हैं और उनका प्रतिकिलो के अनुसार रुपया तंय रहता है। इस तरह राशन ब्लैक में बिकवाकर काले ने करोड़ों की नामी बेनामी संपत्ति अर्जित की है परंतु काले की ओर ईडी सीबीआई की वक्र दृष्टि न जाने कब पड़ेगी महाराष्ट्र पुलिस के साथ अन्य जांच एजेंसिया सिर्फ वेतन लेने और भ्रष्टाचार पर आमादा हैं। यही कारण है कि 20 दिन से अधिक समय बीत जाने के बावजूद राशनिग विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। घोटाले में बड़े बड़े नेताओं के शामिल होने की आशंका है इसलिए कार्यवाही होना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा नजर आता है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर कब और क्या संज्ञान लेता है और क्या कार्रवाई करता है? इस संबंध में क्या कार्रवाई हुई यह जानने के लिए हमारे सवांददाता ने राशनिंग विभाग के डीसीआर प्रशांत काले से संपर्क करने का प्रयास किया परंतु उनसे संपर्क नहीं हो सका।
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