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उल्हासनगर में राशन घोटाले का पर्दा हुआ फास शासन प्रशासन कार्रवाई करने को तैयार नहीं

गरीबों को मिलने वाला राशन होता है ब्लैक, जीपीएस अक्टिवा में लगाकर घुमाते हैं राशन दुकानों पर, ट्रक में लदा गेहूँ चावल जाता है शाहपुर के गोडाउन में। 
.                 सनी चैनानी 

उल्हासनगर: उल्हासनगर में राशनिंग विभाग का एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जहां १२ टन सरकारी अनाज से लदे ट्रक में लगा जीपीएस निकालकर एक्टिवा मोटरसाइकिल में लगा दिया गया और अक्टिवा ढाई घंटे कैंप चार की सात दुकानों पर घुमती रही और बारकोड देती रही जबकि ट्रक सारा माल लेकर शाहपुर के निजी गोदाम पर खाली करने चला गया था। 

                                                                                      मनोज मध्यानी 

एक राशन दुकानदार ने बताया कि 17 फरवरी को एक ट्रक द्वारा 12 टन अनाज शहर की आधा दर्जन से अधिक दुकानों तक पहुंचाया जाना था, लेकिन अनाज दुकानों में नहीं पहुंचा। ट्रक से जीपीएस डिवाइस निकालकर एक अक्टिवा पर लगा दिया गया और उसे उन सातों दुकानों के सामने ले जाकर बारी बारी खड़ा किया गया और शासन को बार कोड दिया कि सामान उतार दिया गया। जिससे सिस्टम में दर्ज हो गया कि अनाज दुकानों पर उतर गया है। असल में ट्रक में लदा हुआ अनाज दुकानों तक पहुंचने के बजाय शाहपुर के निजी गोदाम में पहुंच गया। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब मनोज मध्यानी नामक व्यक्ति ने इस संदिग्ध गतिविधि की शिकायत उल्हासनगर पुलिस से की। उन्होंने जीपीएस डिवाइस और दो संदिग्ध लड़कों को पुलिस के हवाले भी किया, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई करने के बजाय टालमटोल कर मना कर दिया। 
                        जांच अधिकारी अपराध शाखा निरीक्षक चंद्रहास गोडसे 

जबकि पुलिस को सनी चैनानी की शिवभोजन की निजी दुकान में रखा हुआ सरकारी जीपीएस डिवाइस भी बरामद कराया गया साथ ही जिसने डिवाइस निकालकर हेराफेरी किया और राशन दुकानों पर जाकर अक्टिवा खड़ा किया सौरभ उसके साथी लड़के को भी पुलिस के हवाले किया था। जिस दुकान से डिवाइस बरामद हुआ उसका भी पंचनामा नहीं किया। जग जाहिर है कि सनी चैनानी राशन दुकान के साथ ही किराने की दुकान भी चलाता है। और शिवभोजन का ठेका भी लिया हुआ है जो शिवथाली कभी किसीको देखने नहीं मिली, उसी की दुकान से जीपीएस डिवाइस भी बरामद हुआ। पहले तो पुलिस अक्टिव हुई सारी कार्रवाई कर शिकायतकर्ताओं को संतुष्ट किया की हम मामला दर्ज करेंगे आप संतुष्ट होकर घर जाइए। सभी राशन दुकानदारों के साथ राशन सप्लाई ट्रांसपोर्टर को भी बुला लिया। फिर उन्होंने न जाने अपराध शाखा निरीक्षक चंद्रहास गोडसे के कान में क्या कहा कि जीपीएस के साथ ही सभी को छोड़ दिया बिना मामला दर्ज किए ही,पर मेरे कान में कबूतर ने बता दिया १७ पेटी में समझौता हो गया। शिकायतकर्ता कार्रवाई के लिए दौड़ने लगे तब पुलिस बहाना बनाने लगी कि जब तक राशनिंग विभाग का अधिकारी शिकायत दर्ज नहीं करता, वे मामला दर्ज नहीं करेंगे। सरकारी सस्ते राशन की दुकानदारों की पुलिस में इतनी चलती है कि कोई छोटा व्यक्ति इनकी शिकायत न पुलिस में दर्ज करा सकता है और न ही विभागों में। शूत्र तो यहाँ तक बताते हैं कि हर महीने राशन दुकानदारों का बंधा हुआ हफ्ता पुलिस स्टेशन पहुंच जाता है। इसलिए पुलिस उन्हीं की सुनती है।उल्हासनगर में मात्र दस प्रतिशत आनाज आता है, बाकी का ब्लैक में मिल में बेचा जाता है। इन्हीं राशन दुकानों की बदौलत न जाने कितनी चक्कियां चलती हैं उल्हासनगर में, बिना एक्सपायरी डेट के आंटा पैक कर बेचती हैं। मनोज मध्यानी की प्रतिक्रिया यु टियुब पर मौजूद है। राशनिंग विभाग के डीसीआर प्रशांत काले से संपर्क कर घोटाले की शिकायत दर्ज करायी गयी। परंतु 18 दिन बीत जाने के बावजूद विभाग की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस घोटाले में बड़े बड़े नेता शामिल हैं इसलिए कार्यवाही होना मुस्किल ही नहीं नामुमकिन है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर कब और क्या कार्यवाही करता है? इस संबंध में सवांददाता ने जब राशनिंग विभाग के DCR प्रशांत काले से संपर्क करने का प्रयास किया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका।

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