आखिर रिश्वतखोर भ्रष्टाचारी गणेश शिंपी पर कब होगी कार्रवाई? पुछती है जनता
उल्हासनगर : कनिष्ठ लिपिक के पद पर भर्ती हुए गणेश शिंपी को 25 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े जाने के बाद प्रभाग व नोडल अधिकारी बनाया गया है। मुकदमें का अभी निस्तारण भी नहीं हुआ है। यही नहीं जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत बताया गया है कि उल्हासनगर महापालिका में नोडल अधिकारी जैसा कोई पद नहीं है। हजारों अवैध निर्माणों को संरक्षण देने वाले शिंपी पर कार्रवाई नहीं हुई क्योंकि शिंदे परिवार का संरक्षण प्राप्त था। अब क्या फडणविस को भी भेंट चढ़ाया जा रहा है?
बतादें उल्हासनगर मनपा में स्टेनो (क्लर्क) पद पर पदस्थ होते ही गणेश शिंपी ने तत्कालीन आयुक्त के नामपर 25 हजार रुपये की रिश्वत ली और रुपये लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। उस रिश्वत कांड का मुकदमा आज भी भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा १९८८ कलम ६ (१३) (१) (ड) (२) के तहत कल्याण सत्र न्यायालय में विचाराधीन है। जिसकी पंजीकरण संख्या २, १५/२०१३ है। शिंपी ने 25 हजार से ज्यादा टियर गाटर और आरसीसी के छोटे बड़े अवैध निर्माण करवाया जिससे उल्हासनगर को अवैध निर्माणों के शहर की संज्ञा दी जाने लगी। मिली जानकारी अनुसार कई अवैध निर्माण में शिंपी की हिस्सेदारी भी होती है। अवैध निर्माणों और भूमी हड़पने के व्यापार में शिंपी ने अरबों रुपये कमाए। शिंपी ने अपनी मातहत महिला कर्मचारी से छेड़छाड़ हाथापाई के अलावा हत्या का प्रयास किया। वह मामला उल्हासनगर के मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में निम्न धाराओं के तहत दर्ज है। रजि.नं.१, १४८/२०११ भा.द.सं की धारा ३०६/३४ और गु.रजि.नं.१,१७७/२०११ के साथ भा.द.सं. की धारा ३५४,५०९,५०४,५०६/३४, व अ.आ.ज. अधिनियम १९८९ की धारा ३ (१)(१०) (११) (१२) २ (७) जातिवाचक शब्दों का प्रयोग कर प्रताड़ित करने, गाली देने जैसी धाराओं के तहत अनेकों मामले दर्ज हैं। गणेश शिंपी की कारगुजारियों को देखते हुए शिंपी की बर्खास्तगी के लिए कई बार महाराष्ट्र सरकार के शहर विकास मंत्रालय से पत्राचार किया गया। दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर भी धरना दिया गया। देश के राष्ट्रपति को भी पत्र लिखा गया परंतु एकनाथ शिंदे और श्रीकांत शिंदे की छत्रछाया में शिंपी पनपता रहा। विधायक कुमार आयलानी ने पत्र दिया उस पत्र को कचरे की टोकरी में डाल दिया गया। अब सरकार बदली मुख्यमंत्री बदले देवेन्द्र फडणविस मुख्यमंत्री बन गये फिर भी गणेश शिंपी का भ्रष्टाचार जस का तस बना हुआ है। इसी तरह निलम कदम बोडारे पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे परंतु जांच नहीं हुई। इससे ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री कोई हो पार्टी कोई भी हो भ्रष्टाचार पर कोई अंकुश नहीं लगेगा?
0 टिप्पणियाँ