ताजा ख़बर

6/recent/ticker-posts

कभी कालानियों के वफादार रहे, टिओके को गुडबाय बोल सकते हैं संतोष पांडेय!!

            एकमात्र बचे उत्तर भारतीय नेता संतोष पांडेय भी छोड़ेंगे टिओके? 

उल्हासनगर : उल्हासनगर की राजनीति में टीम ओमी कालानी में उत्तर भारतीय समाज के लोगों को जोड़ने वाले संतोष पांडेय अब टिओके से टूटने के कगार पर, अपनी अनदेखी किए जाने से मन ही मन घुट रहे पांडेय कभी भी कर सकते हैं टिओके को जय झूलेलाल! 

.                  सफेद शर्ट में संतोष पांडेय 

बतादें अभी हाल ही में धोबीघाट से टीओके ब्रिज बिहारी शुक्ला ने पार्टी को छोड़ भाजपा का दामन थामा, संजय सिंह ने टिओके ही नहीं छोड़ा बल्कि टिओके प्रवक्ता कमलेश निकम से दो दो हाथ भी किया उन्हें लूसी नाम तक दे दिया। इसी तरह अब पिछले 15 वर्षों से टीम ओमी कालानी का परचम हाथो मे लेकर चलने वाले संतोष पांडेय भी अब किसी भी समय भाजपा का दामन थाम सकते हैं। कालानी परिवार की पार्टी टिओके के कई पुराने व समर्पित कार्यकर्ता जैसे प्रभु

नाथ गुप्ता, संजय सिंह, सुधीर सिंह, बृजेश श्रीवास्तव और उर्मिला गुप्ता पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं। यही कहते हुए कि उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है और बाहर से आए चेहरों को तरजीह दी जा रही है। वही राग अब संतोष पांडेय भी अलाप रहे हैं यही कारण है कि पार्टी कार्यक्रमों में अनुपस्थित नजर आ रहे हैं। बतादें उत्तर भारतीय समाज की उल्हासनगर में एक बड़ी आबादी है, और वे कयी वार्डों में निर्णायक भूमिका में हैं। यदि उनके प्रतिनिधियों को मंच से दूर रखा जाय, तो यह समुदाय की उपेक्षा है। मंच पर अपना प्रतिनिधि न पाकर उत्तर भारतीय समाज अपने आप पार्टी से दूरी बना लेगा, टिओके उत्तरभारतिय कार्यकर्ता और मतदाता विहीन हो जायेगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह असंतोष यूं ही बढ़ता रहा, तो पार्टी को आगामी चुनावों में उत्तर भारतीय समाज का समर्थन न मिलने से पार्टी को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। कालानी महल उत्तर भारतियों के बल पर ही उल्हासनगर पर राज करता रहा है यह जग जाहिर है। इस तरह उत्तरभारतियों का कालानी महल से दूर कालानी परिवार की राजनीति का कहीं अंत तो नहीं ऐसी चर्चा भी अब सुनने को मिल रही है। 

संतोष पांडेय पार्टी से बाहर हों मेरा एकछत्र राज कायम हो ऐसा ओमी के इर्दगिर्द मंडराने वाला व्यक्ति सोच रहा है और उनके पार्टी से बाहर जाने का रास्ता बना रहा है। ओमी कालानी कान के कच्चे हैं। कानाफूसी पर ज्यादा भरोसा करते हैं। यही कारण है कि ओमी कालानी से कयी लोगों ने दूरी बना ली है। कालानी महल से लोगों की भीड़ कम होती जा रही है। यह किसी भी पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है। सुत्रों ने बताया कि कालानी महल में अब फैसला वह लोग करते हैं जो कभी गद्दारों की लिस्ट में हुआ करते थे। अगर इसी तरफ चलता रहा तो आने वाले दिनों में कालानी परिवार की पार्टी टिओके का अस्तित्व खत्म होने में देर न लगेगी। उल्हासनगर महानगर पालिका चुनावों की घोषणा हो चुकी है, १५ जनवरी २०२६ को मतदान और दूसरे दिन १६ को मतगणना होने वाली है। शिवसेना और भाजपा मिलकर चुनाव में जाती है तो टिओके अलग थलग पड़ जायेगी और ऐसे में कार्यकर्ताओं ने भी दूरी बना लिया तो उल्हासनगर से विपक्ष का अस्तित्व ही खत्म हो जायेगा। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ