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पहले क्लब और डांसबार में चीटिंग अब फर्जी कंपनियां बनाकर देश को चूना!!

खबर का असर फर्जी कंपनियों के उतरे फलक ! UK से आता है, हवाला द्वारा रुपया? 

उल्हासनगर: कनवर्टेट क्रिश्चियन, जॉन विल्सन लोबो जो डांसबार, क्लब जैसे धंधों में पांच दस प्रतिशत का हुआ करता था हिस्सेदार, रुपया औरों का, गेट कीपरी व पुलिस को हफ्ता देने की सांठगांठ के लिए मिलती थी हिस्सेदारी! उस विल्सन ने कलवा में खरीदा एक करोड़ का मकान और खोला दर्जनों फर्जी कंपनियां, झोपड़पट्टी वालों को बनाया डायरेक्टर दस हजार के मासिक वेतन पर, ईमेल, सिमकार्ड व सभी दस्तावेज विल्सन के पास, ट्रांजेक्शन और रुपये कहाँ-कहाँ से आ रहे हैं और कहॉं जा रहें हैं इसकी डायरेक्टरों को कोई जानकारी नहीं! 
बतादें कल्याण, डोंबिवली, अंबिवली, बदलापूर व ठाणे के कयी अन्य क्षेत्रों में दर्जनों फर्जी कंपनियों के कार्यालय खुले हैं। परंतु कंपनी करती क्या है? बनाती क्या है? और बेचती क्या है? किस चीज का कारोबार करती है, बताने में असमर्थ है जॉन विल्सन जबकि इन कंपनियों के खातों में करोड़ों रुपयों का लेन देन हो रहा है। कंपनियों के संचालक (Director) रिक्शा चलाते हैं। डांसबारों में वेटर व कैप्टन भी हैं। झोपड़पट्टी में रहते हैं। बेगारी का काम करते हैं। ऐसे लोग कंपनी के संचालक (Director) हैं। कंपनी का मुख्यालय का पता शायद ही मालूम हो, उनका काम सिर्फ अपना आधार कार्ड, पेन कार्ड व पता देकर अपने नाम बैंक में खाता खोलना है।खाता खुलने के बाद खाते से जुड़े सभी कागजात चेकबुक विल्सन या कोई और हवाला संचालक रख लेता है। यहाँ तक की खाते से जुड़ा मोबाइल सीम भी विल्सन के पास ही रहता है। इस तरह फर्जी डायरेक्टर को हर महीने मिलने वाले अपने दस हजार के वेतन से मतलब रह जाता है। उनके नाम खुली कंपनी क्या करती है? खाते में कितना लेनदेन (Transection) होता है और रुपये कहाँ से आते हैं और किस मद में खर्च होते हैं, इसकी जानकारी संचालकों (Director’s) को नहीं होती!
      अग्निपर्व टाइम्स ने जब भांडा फोड़ा उसके बाद अंबिवली, टिटवाला के पंद्रह कार्यालयों के फलक उतार लिए गये। जिन फलकों के सहारे कंपनियों का जीएसटी नंबर, आधार और पेन कार्ड लिया गया था। सूत्र बताते हैं यह रुपया ज्यादातर युके से आता है। इन रुपयों का उपयोग धर्म परिवर्तन हिन्दू से क्रिश्चियन बनाने के साथ ही, देश की उन संस्थाओं को दिया जाता है, जो देश विरोधी गतिविधियों में संलग्न होती हैं। आयडीबीआय बैंक में खुले कुछ खातों और उन खातों में हुए लेनदेन के कागजात अग्निपर्व टाइम्स के पास मौजूद हैं। इस देश विरोधी घिनौने कार्य में कुछ सरकारी लोगों के साथ ही कुछ नीजी बैंकें भी शामिल हैं। क्या सरकार ऐसे बैंको और फर्जी आधार और पेन कार्ड बनाने वालों पर कार्यवाही कर जेल भेजेगी, यह एक ज्वलंत मुद्दा है। ऐसे ही लालची अधिकारियों के कारण धर्म परिवर्तन होता है। और अवैध बंग्लादेशी, रोह्ंग्याओं को आधार कार्ड जैसा रहवासी दाखिला मिल जाता है। 

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