पंजू बजाज
विधायक कुमार आयलानी
उल्हासनगर: उल्हासनगर कैम्प तीन स्थित हिंदमाता कार्यालय के सामने 26 जनवरी के दिन पंजू बजाज पर हुआ जानलेवा हमला, मास्टर माइंड अभी भी फरार, स्थानिय पुलिस तलाश में। कयी लोग हिरासत में हमले की पूरी जानकारी गुनाह निरीक्षक को रोकने के बदले धाराओं को कम करने और जांच में मुकदमे की तार्किकता कम करने के लिए दलाल बाबला से हुई थी सांठ-गांठ, दलाल बाबला और संरक्षक टोनी सिरवानी भी जांच के दायरे में, विधायक का हस्तक्षेप टोनी और बाबला पर मुकदमा न दर्ज करने का पुलिस पर दबाव देखिए क्या होता है?
टोनी सांई बाबला
गणतंत्र दिवस के दिन तंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला
आपको बतादें कि 26 जनवरी का दिन हम सभी भारत वासियों के लिए एक विशेष दिन होता है क्योंकि 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था। पुलिस का खासा बंदोबस्त रहता है। परंतु उसी दिन लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को ढहाया जाय तो आपको कैसा लगेगा यह सवाल अग्निपर्व टाइम्स का महाराष्ट्र सरकार, पुलिस और अपने आपको समाजसेवक व देश का शुभचिंतक माननेवाले लोगों से है। 26 जनवरी का दिन और जगह-जगह पुलिस बंदोबस्त और उस बंदोबस्त के दौरान बिना नंबरों की एक बाइक पर सवार दो लोग न जाने कितने चौक चौराहों से हथियारों से लैस होकर आये गये, पर हमारे काबिल पुलिस प्रशासन को दिखाई नहीं दिया। पुलिस की चाक चौबंद व्यवस्था के बीच बिना नंबर की गाड़ी दौड़ रही है और उस पर दो कातिल सवार होकर पत्रकार पंजू बजाज का पीछा कर उनपर हमले की ताक में हैं और पुलिस निष्क्रिय यह क्या दर्शाता है? सूत्र बताते हैं कि मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन का एक दलाल जो टोनी सांई की कुटिया का कर्मचारी है। परंतु दिन रात मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में जमा रहता है और बड़े-बड़े संगीन मामलो का निपटारा करवाकर वर्ष में करोड़ों रुपये की आमदनी करता है। आमदनी से उल्हासनगर के साथ ही अपने पैत्रिक गांव में करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन बैठा है। उसने पहले ही गुनाह पश्चात गुनाहगारों के सरंक्षण के लिए अपराध शाखा निरीक्षक से बात कर लिया था।
हमला होने का कारण?
पंजूबजाज स्वर्ण तस्करों के पीछे पड़े थे बार-बार उनकी खबरें लिख रहे थे जिससे तस्करों को काफी नुकसान हुआ था। तस्कर अपने पाले हुए प्यादों को पंजू को ठिकाने लगाने के लिए कहा। स्वर्ण तस्कर, तस्करी के लिए जहाँ सोना सस्ता मिलता है उस देश में अपने वाहक भेजते हैं जो गुप्तांगों में छिपाकर सोना तस्कर तक पहुंचाते हैं। जिसके बदले वाहक को बीस से पच्चीस हजार रुपये प्रति सफर मिलता है। जबकि माल लाखों करोड़ों में होता है। अगर किसी वाहक का मन डोल गया और वह सोना या फिर कैरंसी लेकर चंपत हो गया तब यह प्यादे उनको पकड़कर प्रताड़ित कर वसूली करते हैं। कयी बार पुलिस भी भुमिका अदा कर विदेशी मुद्रा और सोना वाहकों से वसूल कर तस्करों को देती हैं और उसके बदले अपना मेहनताना लेती है। यही कारण है कि पुलिस व तस्करों में आपस में अच्छी खासी मित्रता होती है। इसी तरह उल्हासनगर के एक स्वर्ण तस्कर गिरोह के संरक्षण बने हुए हैं गुरविंदर सिंह उर्फ सनी पाजी, जिनसे अपने तस्करी गिरोह का नुकसान न देखा गया और उन्होंने पंजू बजाज को रास्ते से हटाने के लिए साजिश की और हमला करवाया। इस समय गुरविंदर और उसके कयी साथी जेल हिरासत में हैं। और कइयों की तलाश जारी है। जांच पर पुलिस उपायुक्त सचिन गोरे खुद नजरें गड़ाये हुए हैं। यही कारण है कि जांच यहाँ तक पहुंची है वर्ना अब तक सांठ - गांठ कर लिपापोती कर रफा-दफा हो जाती जैसा कि दलाल बाबला चाहता था। कथांश का अगला भाग अगले कुछ दिनों में.....
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