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पूर्व डान व विधायक पप्पू कालानी का मुकदमा सुनने से पीछे हटे हाईकोर्ट के जस्टिस !!

 पप्पू कालानी का मुकदमा सुनकर फैसला देने से पीछे हटे न्यायाधीश डर या कुछ और? 
          यह तस्वीर 20 नवंबर 2024 की है जब पप्पू, कुमार आयलानी को धमकाने पहुंचे थे। 

उल्हासनगर : माफिया डान व पूर्व विधायक पप्पू कालानी को 14/65 में चलने फिरने में असक्त, मृत्युसय्या पर पड़ा दिखाकर कांग्रेस, शिवसेना और राकपा की सरकार ने जेल सेे छोड़ दिया था। परंतु सरकार बदली मुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री गृहमंत्री बने देवेन्द्र फडणविस ने उस फैसले में त्रुटियां पायीं और फैसले को उच्च न्यायालय के समक्ष विचार केलिए रखा, मामला स्वीकार हो गया कई तारीखों के बाद आज 8 जनवरी 2025 को उल्हासनगर के पूर्व विधायक व डान रहे, पप्पू कालानी के मामले पर विचार करने के लिए बनी दो जजों की बेंच में एक जज सारंग विजयकुमार कोतवाल अपने को असमर्थ पाते हैं। किसी और न्यायाधीश के समक्ष रखने के लिए कहकर अपने आपको अलग कर लिया। मामला अगली तारीख, अन्य न्यायाधीश के इंतजार में टल गया, देखना होगा कि अगला जज कौन होता है? वह भी सुनता है या अपना हाथ खींच लेता है। 

उल्हासनगर के डान पप्पू कालानी ने वैसे तो अनेक कांड किये परंतु 1990 में मतदान की संध्या पर घनश्याम बठिजा का कत्ल करने वाला कांड किसीके दिल दिमाग से उतरने को तैयार नहीं यही नहीं मुख्य गवाह रहे सगे भाई इंदर बठिजा को भी एक महीने के भीतर ही मौत के घाट उतार दिया गया। इस तरह दो सगे भाईयों के परिवार को लावारिस कर दिया गया। इंदर बठिजा मुकदमे में पप्पू कालानी को उम्रकैद की सजा लगी, जबतक जीवित हैं जेल में ही रहेंगे, लाश ही जेल से बाहर आयेगी। अब आप कहेंगे जब न्यायालय ने कहा कि जिवित बाहर नहीं आयेंगे तो पप्पू जेल से बाहर कैसे घूम रहा है। तो इसकी एकमात्र जिम्मेदार है कांग्रेस, शिवसेना व राष्ट्रवादी की वसूली सरकार, सरकार ने हष्ट-पुष्ट व्यक्ति को अशक्त का झूंठा सर्टिफिकेट देकर जेल से छोड़ दिया। महाराष्ट्र शासन निर्णय क्रमांक एमआयएस ४५०५/५/५२९ पीआरएस-३,दि.१०.०१.२००६ में संशोधन कर एक नियम बना कि जो बिस्तर पर पड़ा हो उसको अंतिम सांसे लेने के लिए जेल से बाहर परिवार के साथ छोड़ देना चाहिए। शासन के उस नियम का फायदा उठाकर चलते फिरते हृष्ट-पुष्ट पप्पू कालानी को जेल से छोड़ दिया गया। वह अधिसूचना संख्या जेएलएम 1013/1 सीआर 115/13/पीआरएस-2/ दिनांक 01.12.2015 है। उपरोक्त अधिसूचना अनुसार 03.09.2021 को नासिक रोड सेंट्रल जेल में 14/65 के तहत एक समिति ने निर्णय दिया कि प्रस्तुत कैदी संख्या सी/12562 पप्पू उर्फ सुरेश बुधरमल कालानी व अन्य जिनको विट्ठलवाड़ी पुलिस स्टेशन सी.आर क्र. 89/1990 धारा 120बी, सह 302 भा.द.वि. सेशन केस नं. 218 /199 में उच्च सत्र न्यायाधीश कल्याण द्वारा दिनांक 03.12.2013 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। सजा काटने के लिए कैदी को 12.09.2020 को यरवदा सेंट्रल जेल में दाखिल किया गया था। उस पप्पू को नियम 14/65 के तहत 03.09.2021 को नासिक रोड सेंट्रल जेल में कैदियों की रिहाई के लिए बनी समिति के समक्ष पेस कर, उक्त कैदी पप्पू उर्फ सुरेश बुधरमल कालानी को आंखों पर नोटों की गड्डियों की माइक्रोस्कोपी से देखने पर चलने फिरने में अशक्त पाया। जो शौंच के लिए नहीं जा सकते, बिस्तर गंदा कर देते हैं और उनकी उम्र 65 वर्ष से अधिक है। ऐसी जानकारी नोटों की माइक्रोस्कोपी से देखने के बाद मिली और सर्वसम्मत से निर्णय लिया कि कैदी क्रमांक सी/12562 पप्पू उर्फ सुरेश बुधरमल कालानी को नियम 14/65 के तहत रिहा कर दिया जाना चाहिए और कर दिया गया। 

उम्रदराज व अशक्त पुरुष बंदियों की मुक्ति के लिए 3 सितंबर 2021 के समिति सदस्य व निर्णायक अधिकारी जिन्होंने नियम २०१५ का हवाला देते हुए प्रमाणपत्र जारी किया था उस समिति के अध्यक्ष वैद्यकीय सलाहकार श्री योगेश देसाई थे और सदस्यों में कारागृह उपमहानिरीक्षक मध्य विभाग औरंगाबाद विजय हिंगणे, जिल्हा सत्र न्यायाधीश नाशिक, एस.बी.निपुंगे, पोलीस उपअधीक्षक नाशिक ग्रामीण, थोरात, जिल्हा शल्य चिकीत्सक सामान्य रूग्णालय,नाशिक आहेर, जिल्हा आरोग्य अधिकारी प्रभादे बी.वाघ, अधिक्षक नाशिक मध्यवर्ती कारागार आबीद आबु अत्तार, मुख्य वैद्यकिय अधिकारी नाशिक रोड मध्यवर्ती कारागृह ती. मंदा प्रकाश फड, अशासकिय सदस्य, वैद्यकिय मंडळ समिति ने अपनी आंखों पर रिश्वत की पट्टी बांधकर, करोड़ों रुपये लेकर हष्ट-पुष्ट, तंदरुस्त पप्पू कालानी को अशक्त दिखाकर रिहा कर दिया था। आज उसी अशक्त कमजोर पप्पू कालानी का मुकदमा सुनने से जस्टिस सारंग विजयकुमार कोतवाल ने इंकार कर दिया न जाने क्या डर उनको सता रहा था यह तो वही जानें परंतु मैं तो यही कहुंगा कि भारत में न्याय धनाढ्यों की रैखैल बन कर रह गया है। बाकी पप्पू कितने अशक्त हैं यह तो देश की जनता देख रही है। तत्कालीन सरकार को जनता ने औकात बता दिया उनको अपनी करनी का फल मिल गया। रुपयों के मोह में अपना धरम ईमान सब बेच देनेवाले न्यायाधीशों अधिकारियों का न्याय तो कुदरत को ही करना पड़ेगा उन न्यायविदों से क्या उम्मीद करें जो पप्पू कालानी का नाम सुनते ही अपने आपको मुकदमें से अलग कर लेते हैं। इस तरह अब सरकारी तंत्र और न्याय से लोगों का विश्वास खत्म होता जा रहा है। अब देखना होगा कि कौन सा न्यायाधीश मुकदमा सुनता है और सही फैसला लेकर 14/65 के तहत झूंठा फैसला देने वाली समिति की जांच कराकर न्याय करता है। 




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