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नौ वर्षो से एकही पुलिस स्टेशन, शिवाजीनगर थाने में तैनात है कैलाश पारधी।

ऐसा सिर्फ महाराष्ट्र पुलिस में होता है, वसूलीबाज नौ वर्ष तक एक ही थाने में तैनात रहता है।

अंबरनाथ: ठाणे पुलिस आयुक्तालय क्षेत्र के परिमंडल 4 स्थित शिवाजीनगर पुलिस थाने में चालक के पद पर तैनात कैलाश पारधी नामक पुलिसकर्मी का तबादला सिर्फ इसलिए नहीं हुआ क्योंकि वह कलेक्टर यानी वसुलीबाज है। अगर इस पुलिसकर्मी की जांच लोकायुक्त या फिर सीबीआई से कराई जाय तो इनके पास करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति और कालाधन मिलेगा।
        
       वसुलीबाज कलेक्टर कैलाश पारधी 

अंबरनाथ शिवाजीनगर पुलिस स्टेशन अपने अवैध कार-गुजारियों के लिए मशहूर रहा है। यहाँ पूर्व में तैनात रहे वरिष्ठ निरीक्षक रहे अशोक भगत ने हर वह कार्य किया जो एक पुलिस अधिकारी को नहीं करना चाहिए था। उन्होंने ड्रग के साथ ड्रग पेडलर को छोड़ा। पैसों की लालच में एक महिला के साथ दुर्व्यवहार किया। ऐसे न जाने कितने घृणित कार्य किए जिनकी जांच किए जाने की जरूरत थी परंतु ऐसा हुआ नहीं, क्योंकि अवैध वसुली के रुपयों का कुछ अंश तत्कालीन पुलिस उपायुक्त डा. सुधाकर पाठारे को भी जाया करता था। भगत और डा. सुधाकर पाठारे दोनों की रक्षा कर रही थी तत्कालीन सरकार, यही कारण है कि उनको मुवत्तल करने के बजाय प्रमोशन देकर एसीपी बना दिया गया।
     
चालक कैलाश पारधी भी सुधाकर पाठारे और अशोक भगत के जमाने से कलेक्टर (वसुलीबाज) का काम करते आया है। और नौ (9)वर्षों से शिवाजीनगर पुलिस थाने में ही तैनात है। अब तो वह चैलेंज करता है कि "उसकी बदली कोई भी नहीं करा सकता" क्योंकि वह पुलिस आयुक्तालय तक हर महिने रुपये पहुंचाता है। अब यह कितना सच है यह तो कैलाश पारधी या हर महीना रुपया लेने वाला ही जाने। लेकिन नौ वर्षो तक एक ही जगह तैनात रहने का कोई न कोई राज तो जरूर होगा।अब देखना होगा कि इस खबर के बाद पुलिस प्रशासन की आंख खुलती है, या फिर बिल्लियों की तरह आंखे मूंदकर मलाई चाटते रहते हैं। 

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