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केवल विकमानी को न्याय, उपनिरीक्षक सुहास विठ्ठल पाटिल को देना होगा मुआवज़ा और निलंबन!!

       महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग न्यायालय ने दिया ऐतिहासिक निर्णय! 

अंबरनाथ:- ठाणे शहर पुलिस द्वारा पीड़ित शिकायतकर्ता केवल विकमानी को बड़ी राहत,अंबरनाथ शिवाजी नगर पुलिस थाने के आरोपी एसआई (उपनिरीक्षक) सुहास विट्ठल पाटिल को बड़ा झटका। 

         Adv. Ganesh Gholap.                                       Keval vikmani 

बतादें केवल विकमानी नामक व्यक्ति अंबरनाथ शिवाजी नगर पुलिस थाना अंतर्गत टर्फ चलाते थे। टर्फ में कोई अनधिकृत कार्य नहीं होता जो लोग दिन में क्रिकेट, फुटबाल जैसे अन्य खेल नहीं खेल पाते उनके खेलने के लिए रातको टर्फ चलाया जाता है। रातको चलने के कारण पुलिस को हर महीने हफ्ता देना पड़ता है। पुराने हफ्ता लेने वाले पुलिसवाले का तबादला हो गया और नवनियुक्त कलेक्टर एसआई सुहास विठ्ठल पाटिल को मिलने वाला हफ्ता कम लग रहा था। सुहास के अनुसार हफ्ता देने में विकमानी ने असमर्थता जताई, यही कारण रहा कि रात्री डेढ़ बजे कलेक्टर सुहास टर्फ पर अपने साथियों के साथ पुलिस जीप पर सवार हो पहुंचा और वहां खड़े वाहनों की हवा निकाल दिया, केवल के साथ हाथापाई कर उनको कान पकड़ कर उठक बैठक लगाने पर मजबूर किया। केवल ने सुहास पाटिल और उनके पुलिस साथियों के खिलाफ डेढ़ वर्ष पहले शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की परंतु कलेक्टर की नियुक्ति तो वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक ही करता है, सो पहले तो कोई मुकदमा दर्ज ही नहीं किया गया। विकमानी को डराने धमकाने की बड़ी कोशिश किया गया परंतु उन्होंने डीसीपी और सीपी का पीछा नहीं छोड़ा और अंत में एनसी दर्ज हुई परंतु डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। विकमानी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार न्यायालय में मुकदमा दर्ज करवा दिया। इसी बीच चुनाव शुरू हो गया तब भी शिकायत जारी ही रही। 
.          Suhas Vitthal Patil 

ठाणे अतिरिक्त आयुक्त संजय जाधव ने दी जान से मारने की धमकी ! 

ठाणे पुलिस आयुक्त व चुनाव आयोग से हुई शिकायत। आदेशानुसार केवल विकमानी को जांच के लिए 06/11/2024, सुबह 11.30 बजे डीसीपी जोन-4, कार्यालय उल्हासनगर में उपस्थित होने का नोटिस भेजा गया वे समय पर पहुंच गये। लिखित उत्तर दर्ज किया गया, उत्तर की प्रति मांगा, लेकिन प्रति नहीं दी गई, फिर उन्हें डीसीपी कार्यालय में बुलाया गया, जहाँ अतिरिक्त आयुक्त संजय जाधव ने शिकायत के बारे में पूछा, मामला उनके समक्ष रखा गया, सबूत दिखाए गये। अतिरिक्त आयुक्त पूर्वी संभाग संजय जाधव ने धमकाते हुए कहा "अगर तुम पीछे नहीं हटे तो मैं तुम्हें देख लूंगा, मैं तुम्हारा कार्यक्रम बदलापुर जैसा फर्जी एनकाउंटर करवाकर कर दूंगा, किसीके बाप को भी पता नहीं चलेगा, मैं किसी के बाप से सरकार से नहीं डरता। सब मेरी जेब में हैं। मैं आयपीएस अधिकारी हूँ धमकाते हुए आगे कहा कि तुम्हारा जीना मुश्किल हो जाएगा। इस तरह उन्होंने पाटिल व अन्य पुलिसवालों के खिलाफ दायर शिकायतें व मुकदमे वापस लेने के लिए दबाव बनाया। अंत में कहा, "तुम नहीं जानते हम पुलिस अधिकारी हैं, हमारी बात न मानने वालों के परिवार वाले उनकी लाश भी नहीं ढूंढ पाते।'' इस तरह जान से मारने की धमकी देते हुए कहा ''चल निकल यहाँ से।'' इस तरह एक वरिष्ठ अधिकारी फरियादी को थाने में बुलाकर धमकी देकर केस वापस लेने के लिए दबाव बनाने वाले व शिवाजीनगर पुलिस थाने के तत्कालीन वरिष्ठ निरीक्षक अशोकभगत और डीसीपी सुधाकर पाठारे तो, एसआई सुहास विट्ठल पाटिल को संरक्षण दे ही रहे थे। इस तरह डीजीपी, कमिश्नर, डिप्टी कमिश्नर, एसीपी के साथ मुख्यमंत्री, गृह मंत्री से शिकायत करने पर कहीं से न्याय नहीं मिला। परंतु मानवाधिकार न्यायालय ने न्याय किया। 
.        अतिरिक्त पुलिस आयुक्त संजय जाधव.             उपायुक्त सुधाकर पाठारे 

केवल विकमानी ने अपने वकील के माध्यम से महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार न्यायालय में शिकायत दर्ज करवाई जहाँ से केवल विकमानी को न्याय मिला। आरोपी पी.एस.आई. सुहास विट्ठल पाटिल पर निम्नलिखित धाराओं के तहत कानूनी कार्रवाई का आदेश जारी किया गया है। आरोपी पी.एस.आय. सुहास पाटिल द्वारा 5 (पांच) लाख रुपये की भरपाई शिकायतकर्ता केवल विकमानी को 6 सप्ताह के भीतर करनी होगी। आरोपी एस.आई.सुहास विट्ठल पाटिल पर शिकायतकर्ता केवल विकमानी के साथ की गई मारपीट, गाली-गलौज, दुर्व्यवहार तथा सरकारी पद का दुरुपयोग व मानवाधिकार पर अतिक्रमण करने पर ठाणे पुलिस आयुक्त को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया है। पूरे मामले की दोबारा जांच के साथ आरोपी पी.एस.आई. सुहास विट्ठल पाटिल को निलंबित किया जाने का भी आदेश दिया। साथ ही कहा कि पुलिस लोगों की मदद करे, अच्छा व्यवहार करे और यह सभी कार्य हो रहे हैं या नहीं इसका जायजा लेने के लिए हर महीने सेमिनार आयोजित करे सभी आदेशों पर जरूरी कदम उठाकर मानवाधिकार कोर्ट में अहवालपत्र दाखिल किया जाए। इस तरह आयोग के फैसले से विकमानी को राहत तो मिली है, पूर्ण न्याय नहीं मिला। जबतक डीसीपी सुधाकर पाठारे वरिष्ठ निरीक्षक अशोक भगत व धमकीबाज अतिरिक्त आयुक्त संजय जाधव की जांच का आदेश नहीं होता, तबतक पूर्ण न्याय मिला ऐसा नहीं कहा जा सकता। क्योंकि ऐसे कनिष्ठ कर्मचारियों को वरिष्ठ अधिकारियों के सय पर ही हफ्ता वसुली की जवाबदारी मिलती है। और अवैध वसुली के लिए आम लोगों के साथ मारपीट व एफआईआर न लिखने का अन्याय होता है। महाराष्ट्र पुलिस विभाग में लगभग हर अधिकारी ने अपना कलेक्टर (वसुलीबाज) मुकर्रर कर रखा है। सरकार को ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों की गहन जांच करना चाहिए और विभाग में पदस्थ होने के बाद कितनी अवैध संपत्ति जमा किया गया है उसका भी जायजा लेना चाहिए। और ऐसे भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों को विभाग से बर्खास्त कर देना चाहिए। आदेश और शिकायत की प्रति अग्निपर्व टाइम्स के पास है। देखना होगा कि मुख्यमंत्री और गृहमंत्री जनता की सुनते हैं या भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों पर मेहरबान रहते हैं।

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