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महाराष्ट्र में भाजपा की अप्रत्याशित जीत ने सबको चौंका दिया।

                        संपन्न हुआ महाराष्ट्र और झारखंड का चुनाव। 

उल्हासनगरः झारखंड में डारखंड में मुिक्त मोर्चा की सरकार बनी तो वहीं महाराष्ट्र में भाजपा ने सभी पार्टियों को पीछे छोड़ते हुए अकेले ही 132 सीटें जीत ली हैं भाजपा की इस अप्रत्यासित जीत से सभी पार्टियों के होष उड़े हुए हैं। तो वहीं जनता ने विरोधियोेेें को विराधी पक्ष नेता बनाने तक के लिए भी सीट नहीें दी है। ऐसे में अब विरोधियों को अब ईवीएम को दोष देने और रोना रोने के सिवा कुछ नजर नहीं आ रहा है। विरोधी पक्ष को उम्मीद थी मुस्लिम मतदाता एकजुट होकर मतदान करते हैं परंतु हिंदू बंट जाते हैं, परंतु इस बार ऐसा नहीं हुआ। बहराइच में पाकिस्तानी झंडा उतारने के कारण करीब तीन दर्जन गोलियां मारी गयी, इसी तरह महाराष्ट्र में गणपती विर्सजन के समय जगह जगह हुई पत्थर बाजी इस बार हिंदू भूला नहीं और भूलता भी कैसे योगी महराज हर सभा में याद जो दिला रहे थे। यही कारण है कि इस बार हिंदूओं ने एकजुट होकर मतदान किया। यह और बात है कि अभी भी पूरा हिंदू समाज एक नहीं हुआ है। अगर पूरा हिंदू समाज एकजुट हो जाता तो इससे भी बुरी दषा हो सकती थी। मेरे मतानुसार भारत का एक और विभाजन अगर हिंदू समाज नहीं चाहता हंै तो हिंदुओं को इसी तरह एकजुटता दिखाना होगा। कांग्रेस हिंदुओं को जातियों में बांटकर खत्म करना चाहती है। तो वहीं विदेषियों ने भी वामन मेश्राम जैसे कुछ लोगों को विदेषी फंडिग देकर इसी काम में लगा रखा है। अब हिंदूओं या फिर कहें भारतियों को अपने भविष्य का फैसला खुद ही करना होगा कि वे अपना अस्तित्व बचाये रखना चाहते हैं या फिर बंटकर खत्म होना चाहते हैं। अखंड भारत का विभाजन इसी आधार पर हुआ था, क्योंकि मुस्लिम हमारे साथ रहना नहीं चाहते थे, उनके संस्कार हमसे नही मिलते थे। फिर कुछ लोग हम गैर संस्कारी लोगों के साथ रुक गये और अब जब उनकी आबादी फिर लड़ने लायक हो गयी तब फिर उन्होंने हमारे त्योहारों में अड़ंगा लगाना षुरु कर दिया है। जहां इनकी आबादी ज्यादा है वहां तो अभी से हिंदू डरे सहमें और दबे दबे रहते हैं। यह लोग लाउडस्पिकर लगाकर अजान देकर कहते हैं हमारा अल्लाह सबसे बड़ा है और हम इनके मुहल्ले के आसपास भी जय श्रीराम बोल दे ंतो हम दंगा फैलाने वाले बन जाते हैं। यह दोगला मापदंड कब तक चलेगा? क्या र्धमनिरपे क्षता का सारा ठेका हिंदुओं ने ही लिया है? यह प्रष्न खड़ाकर मैं इस लेख को यहीं विराम देता हॅ़।

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