नवनियुक्त पुलिस उपायुक्त सचिन गोरे
बदलापुर: भ्रष्टाचार विवादों के बावजूद लंबे समय तक कार्यभार संभालने के बाद आखिर चुनाव आयोग के फटकार पर उल्हासनगर से स्थानांतरित किए गए डीसीपी डा.सुधाकर पठारे, अब उनकी जगह उल्हासनगर में सचिन गोरे की एंट्री हुई है। उन्होंने पदभार स्वीकार कर लिया है। पुणे के मूल निवासी सचिन गोरे पुलिस विभाग में सेवा करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने एमपीएससी के अध्ययन पर ध्यान केंद्रित किया और वर्ष 2010 में परीक्षा उत्तीर्ण किया। उनकी पहली पोस्टिंग भंडारा जिले में डीवाईएसपी के रूप में हुई। बाद में उन्होंने त्रंबकेश्वर में एडिशनल एसपी,एसआरपीएफ के अलावा महाराष्ट्र पुलिस अकादमी में एसपी कमांडेंट के रूप में काम किया।नासिक, चालीसगांव होते हुए अब उल्हासनगर परिमंडल 4 के पुलिस उपायुक्त के रुप में तैनात हुए हैं। बेशक सचिन गोरे की यह पहली पोस्टिंग है। परिमंडल-4, में उल्हासनगर, अंबरनाथ, बदलापुर मिलाकर कुल 8 पुलिस स्टेशन हैं।
भ्रष्टाचारियों का देवता पुलिस उपायुक्त डा. सुधाकर पाठारे
बदलापुर में डेढ़ महिने पहले 4 वर्षीय, 2 बच्चियों पर लैंगिक अत्याचार हुआ था। स्थानीय पुलिस स्टेशन ने अपने उपायुक्त डा सुधाकर पाठारे के दबाव के चलते समय रहते मामला दर्ज कर कार्यवाही नहीं किया पैसों के लेन देन होने की भी चर्चा रही। उसके बाद जनता सड़कों पर उतर आई, रेल रोको आंदोलन हुआ। उसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर मुख्य आरोपी अक्षय शिंदे को गिरफ्तार किया। तलोजा जेल से कस्टडी में लाते समय पुलिस से हाथापाई हुई और शिंदे की खोपड़ी पर गोली मारकर खेल समाप्त कर दिया। आत्मरक्षा में की गई कार्रवाई का हवाला देते हुए पुलिस और राजनीतिकों ने अपनी कहानी सुनायी। परंतु पुलिस और सरकार के लिए यह शर्मनाक बात सामने आई है की स्कूल के संचालक व सचिव जो इस मामले में सह-आरोपी थे, वे लगभग 40 दिनों से फरार थे। सूत्र बताते हैं कि दोनो बाहर देश भाग गए हैं, ऐसा अपने वरिष्ठों को पाठारे साहब ने बताया था। परंतु जैसे ही 30/09/2024 को डीसीपी डॉ.सुधाकर पाठारे को ज़ोन-4 से मुक्त कर विदा किया गया। और उनकी जगह जोन-4, का पदभार सचिन गोरे ने संभाला और वैसे ही 2 दिनों में 02/10/24 को दोनों फरार आरोपी महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले की कर्जत तालुका से पकड़े गये। लोग चर्चा कर रहे थे कि डीसीपी सुधाकर पाठारे मामले में मैनेज हैं क्योंकि उनको बहुत रुपये मिले हैं। और बिचौलिया सत्ताधारी दल से जुड़ा हुआ व्यक्ति है। मामले पर नजर डालें तो दाल में काला नहीं पूरी की पूरी दाल काली है। परंतु डीसीपी डॉ.सुधाकर पाठारे की जांच तो हो नहीं सकती क्योंकि वे साहब के खास हैं। अगर उपायुक्त पाठारे की पूरी तरह से जांच हो तो उन्हें भी पोस्को के तहत आरोपी बनाया जा सकता है? परंतु जांच का आदेश देगा कौन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री साहब को तो भ्रष्टाचार से बहुत प्रेम है।
गृहमंत्री देवेन्द्र फडणविस और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
डीसीपी डॉ.सुधाकर पाठारे एक नराधाम इंसान है जो बलात्कार के आरोपियों को संरक्षण देता है। और उनको बचाने की कोशिश करता है, गुनाहगारों को सपोर्ट कर उनसे पैसों की लेनदेन करता है। जिसका खुलासा हर बार अग्निपर्व ने किया है। अब देखना होगा कि मौके की नजाकत को देखते हुए गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस सुधाकर पाठारे की गहन जांच करते हैं या फिर भ्रष्टाचार कर कमाये गये रुपयों से पाठारे को अय्याशी करने का एक और मौका देते हैं।
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