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हम अपने जिव्हा के स्वाद के लिए किसी खूबसूरत जिव का जीवन समाप्त कर देते हैं - हान कांग

       पशुओं पर क्रूरता के खिलाफ लिखने वाली हान कांग को मिलेगा नोबेल पुरुस्कार !! 
      
                  हान कांग 

                  हेमलता म्हस्के की कलम से 

नोबेल पुरस्कार समिति ने पहली बार पशुओं की क्रूरता के खिलाफ अपने लेखन में आवाज बुलंद करने और अहिंसा के सौंदर्य की वकालत करने वाली दक्षिण कोरिया की 53 वर्षीय लेखिका हान कांग को 2024 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार उनकी कृति *इंटेंस पोएटिक प्रोज * के लिए देने की घोषणा की है। स्वीडिश अकादमी की नोबेल समिति के सचिव मैट्स माम ने स्टॉकहोम में कहा है कि हान कांग का लेखन आघातों से टकराने और मानवीय जीवन की कोमलता को उजागर है। हान अपने गहन लेखन और मानवीय भावनाओं को गहराई से प्रस्तुत करने के लिए जानी जाती हैं। हान कांग ने 2016 में *द वेजिटेरियन* नामक एक विचलित करने वाले उपन्यास के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीत कर शाकाहार प्रवृत्ति को मानवीय सौंदर्य बता कर खूब प्रसिद्धि बटोरी थी, जिसमें एक महिला के मांस खाने से इनकार करने के निर्णय के विनाशकारी परिणाम होते हैं। उनके लिए यह पुरुस्कृत उपन्यास अंतरराष्ट्रीय लेखिका के रूप में पहचान पाने का टर्निंग प्वाइंट भी साबित हुआ। अपने इस उपन्यास के बारे में हान कांग का कहना है कि उनका यह उपन्यास केवल कोरिया की पितृसत्ता के लिए नहीं है, वह समस्त मानव जाति के लिए है। सिर्फ़ भोजन के लिए किसी जानवर को मारना जबकि तमाम शाग-सब्जी उपलब्ध है। मात्र भोजन के लिए किसी खूबसूरत शरीर को क्यों नष्ट करना! किसी और ने भी पूछा है अगर आप जानवर मार सकते हैं तो मानव - भक्षण क्यों नहीं? भोजन के लिए आदमी को मारना क्यों गलत है? आदमी की माँ का माँस तो आदमी के शरीर के लिए और अधिक मुफ़ीद होगा। लेकिन हम ऐसा नहीं करते हैं क्योंकि यह संवेदनशीलता का मामला है। हान कांग के अनुसार भी ‘द वेजीटेरियन’ मनुष्य की मूल प्रवृति से जुड़ा प्रश्न है। यह उसकी कोमलता और निर्मलता का प्रश्न है। यह उसके दोहरे मापदंडों का प्रश्न है।पिछले वर्ष एक साक्षात्कार में हान कांग ने बताया था कि "द वेजिटेरियन" का लेखन उनके जीवन का एक कठिन दौर था, जहां उनके सामने यह प्रश्न खड़ा हो गया था कि क्या उन्हें उपन्यास पूरा करना चाहिए या फिर एक लेखक के रूप में जीवित रहना चाहिए। उनकी चर्चित किताबों में द वेजीटेरियन, द व्हाइट बुक, ह्यूमन एक्ट्स और ग्रीक लेसंस शामिल है। नोबेल समिति ने कहा है कि शरीर और आत्मा, जीवित और मृत्यु के बीच संबंधों पर लेखन में हान कांग को महारत हासिल है। वह उसके बारे में और प्रयोगात्मक शैली के कारण एक नव प्रवर्तक बन गई है। हान कांग का कहना है कि उपन्यास लिखना मेरे लिए सवाल पूछने का एक तरीका है। मैं लेखन से अपने सवालों को पूरा करने की कोशिश करती हूं। हान कांग के नोबेल पुरुस्कार जीतने से नोबेल समिति की जिन बातों के लिए आलोचना होती रही है उसका खंडन भी हुआ है। नोबेल साहित्य सम्मान की लंबे समय से आलोचना होती रही है। आलोचकों की दलीलें हैं कि कहानियों से ज्यादा शैली पर जोर दिया जाता है। यह यूरोपीय और उत्तरी अमेरिकी लेखन पर बहुत अधिक केंद्रित है। इसके साथ ही इस सम्मान के पुरुष प्रधान होने का भी आरोप लगता रहा है । अब तक 119 लेखकों को यह सम्मान दिया गया है। जबकि महिलाओं की संख्या नहीं के बराबर है। हान कांग 18वीं महिला हैं, जिनको यह पुरुस्कार 10 दिसंबर को दिया जाएगा। इसी के साथ हान कांग नोबेल साहित्य पुरस्कार जीतने वाली पहली एशियाई महिला और पहली दक्षिण कोरियाई लेखिका बनने के साथ दूसरी दक्षिण कोरियाई नागरिक भी बन गई है। इससे पहले कोरिया के दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति किम डे जंग ने 2000 में शांति के लिए नोबेल पुरुस्कार जीता था।
उनके जीवन की कहानी भी प्रेरणादायक है। हान का जन्म 1970 में दक्षिण कोरिया के ग्वांगजू शहर में हुआ। उनके पिता भी एक प्रतिष्ठित उपन्यासकार हैं । जब वे 9 साल की थीं तो परिवार सहित सियोल चली गई। लेखन के साथ-साथ हान कांग ने खुद को कला और संगीत के लिए भी समर्पित कर दिया । हान ने 1993 में कविता लिखना शुरू किया । शुरू में पांच कविताओं को प्रकाशित कराया और साहित्यिक सफर की शुरुआत की। उन्होंने 1994 में सियोल शिनमुन स्प्रिंग लिटरेरी प्रतियोगिता जीती और खुद को एक उपन्यासकार के तौर पर स्थापित करना शुरू किया। 1995 में कहानी लेखन के क्षेत्र में उतरीं। इसी साल उनका पहला कहानी संग्रह *येओसु *प्रकाशित हुआ। 1998 में आर्ट्स काउंसिल कोरिया के समर्थन से 3 महीने के लिए यूनिवर्सिटी आफ आयोवा इंटरनेशनल राइटिंग प्रोग्राम में भाग लिया।

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