उल्हासनगर मनपा आयुक्त विकास ढाकणे
उल्हासनगर : उल्हासनगर मनपा प्रभाग समिति क्र.-१ के 'A' ब्लाक रोड स्थित दुनिचंद कालेज के सामने व प्लाइवुड कंपनी के सामने स्टार बेकरी पर टीजी का अवैध निर्माण बनकर हुआ तैयार। प्रभाग समिति एक के सहायक आयुक्त ने अपना हिस्सा ले लिया। मुकादम और बीट इंस्पेक्टर को भी मिल गया। आयुक्त विकास ढाकणे का भी हुआ विकास यही कारण है कि रास्ते से गुजरते समय अवैध निर्माण देखकर भी आंखे बंद कर लेते हैं। अवैध निर्माण बनकर हुआ तैयार।
उल्हासनगर में अवैध निर्माणों का कहर जारी है। शहर अवैध ही नहीं, सकरा और घना भी हो रहा है। प्रदुषण बढ़ने से पारा आसमान छू रहा है पर आम जनता से आयुक्त और नेताओं को क्या लेना-देना वह तो अपनी तिजोरियां भरने में व्यस्त हैं। एक साछात्कार में विधायक कुमार आयलानी ने कहा था कि टियर गाटर का अवैध निर्माण गरीब करते हैं। इसलिए देखकर भी अनदेखा करना पड़ता है। परंतु साक्षात में ऐसा है नहीं, गरीब लोग ऐसे अवैध निर्माणों के जरिए ठगे जाते हैं। घटिया दर्जे के सामान से रातो रात टियर गाटर चार गुना किमत में बनकर तैयार हो जाता हैं। इस लूट में ठेकेदार के साथ ही नगरसेवक, वार्ड अफसर, उपायुक्त, आयुक्त व बीट मुकादम रुपये लेकर शामिल रहते हैं। काम उसी ठेकेदार को मिलता है जो वहाँ के नगरसेवक का चहेता होता है। भले ही उसको बांधकाम का एबीसीडी भी न आता हो। ठेकेदारी पाने के लिए 35 से 50 हजार रुपये तक वार्ड के नगरसेवक को दिया जाता है। ताकि वह शिकायत न करे क्योंकि मनपा तो अब भी नगरसेवकों की सुनती है, भले ही वे पूर्व क्यों न हो गये हों। मैं यह नहीं कह रहा सभी पूर्व नगरसेवक लेते ही हैं, परंतु ज्यादातर लेते हैं। इसी तरह वार्ड आफिसर से लेकर आयुक्त, उपायुक्त, नोडल अधिकारी को भी हिस्सा फिक्स होता है। इस तरह अवैध टियर गाटर बनाने का खर्च, मूल खर्च से 4/5 गुना बढ़ जाता है। अब MLA साहब बतायेंगे कि इसमें गरीबों का कितना भला होता है। सारा भला तो दलालों और गुंडों का होता है? उल्हासनगर शहर के नेताओं का मुख कभी इस भ्रष्टाचार पर नहीं खुलता है।
नवनियुक्त आयुक्त विकास ढाकणे भी अवैध निर्माण पर सख्त होते नहीं दिखाई दे रहे हैं। यह भी पुराने आयुक्त के ढर्रे पर ही चल निकले हैं। यह कारण है कि शहीद दुनिचंद कालेज के सामने बन रहा अवैध टियर गाटर और प्लाइवुड कारखाने के सामने का अवैध निर्माण बनकर तैयार हो गया। अब पता चल गया कि विकास ढाकणे भी सिर्फ कमाने के लिए ही उल्हासनगर का पदभार संभाला है। अब उल्हासनगर को पूर्णतया अवैध होने से कोई नहीं बचा सकता है।
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