ठाणे : ठाणे पुलिस आयुक्तालय के परिमंडल चार में कार्यरत पुलिस उपायुक्त डा.सुधाकर पाठारे का तबादला सातारा किया गया था, लेनदेन के बाद पहले उल्हासनगर में ही रोका गया, अब मुंबई समुद्र तटरक्षक पुलिस दल का पुलिस उपायुक्त बनाया गया है जहाँ तस्करों से करोड़ों की कमाई हो सके।
महाराष्ट्र सरकार समुद्र के रास्ते आये 26/11 हमलावरों और 1993 में हुये मुंबई बम ब्लास्ट की भारी तबाही को शायद भूल गई है इसीलिए भ्रष्ट पुलिस उपायुक्त डा.सुधाकर पाठारे को मुंबई समुद्री तटों की रक्षा का भार सौंपा है। जहाँ से आतंकवादियों के आनेका, विस्फोटक लाने की संभावनायें सदा बनी रहती हैं, साथ ही तस्करी की ज्यादातर घटनायें समुद्र तटों पर ही होती है।
डा. सुधाकर पाठारे के भ्रष्टाचार की कहानी
अग्निपर्व टाईम्स ने अपने चैनल के द्वारा बताया था कि ठाणे शहर, अंबरनाथ पूर्व शिवाजी नगर थाना क्षेत्र स्थित शिवमंदिर के पीछे फ्लोरा नामक इमारत से करण जुमानी नामक व्यक्ति को रात ग्यारह बजे के दरम्यान नब्बे ग्राम एमडी नामक ड्रग के साथ पकड़ा और बिना FIR दर्ज किए ही लेनदेन कर छोड़ दिया। वह खबर हमने यु टियुब चैनल व न्युज पोर्टल पर लिखा था। केवल विकमानी से रिश्वत मांगने मारपीट कर कान पकड़ उठक बैठक कराने के साथ ही महिला के साथ दुराचार कर पैसे ऐंठने, भंगार व्यवसायी मामला, सभी मामले पाठारे के कार्यकाल में हुए। उपरोक्त सभी मामलों पर पाठारे साहब ने नोटों की हरियाली देखकर आंखें मूंद ली थी अगर इसी तरह किसी तस्कर द्वारा नोटों को देखकर आंखे मूंदे रहे और वह कुछ और बताकर आरडीएक्स ले आया तो मुंबई का हाल क्या होगा? मरेगी तो जनता सरकार ने तो मलाई चाटकर डा.सुधाकर पाठारे को तटरक्षक बना दिया है।
डा. सुधाकर पाठारे रिश्वत लेने में इतने बे#शर्म हैं कि आप सोच भी नहीं सकते हैं। एक पुलिसकर्मी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कोई पुलिसकर्मी एक महीने से ज्यादा की छुट्टी यानी दो तीन महीने की छुट्टी कर लेता है तो वह मामला डीसीपी लेवल पर पहुंच जाता है। ऐसे पुलिसकर्मियों की बहाली के लिए भी पाठारे बीस से पच्चीस हजार रुपये ले लेते हैं। अगर रुपये नहीं मिले तो पाठारे साहब छुट्टी को बिना वेतन कर देते हैं। अगर रुपये मिल गये तो वेतन के साथ वाली छुट्टी बनाकर हस्ताक्षर कर छुट्टी के रुपये भी दिलवा देते हैं। इसी तरह उल्हासनगर का एक आरटीआई कार्यकर्ता ने कई जमीन घोटाले उजागर किये उससे कुछ भवन निर्माता और अधिकारी परेशान थे, तो उसकी दुकान में देशी कट्टा रखकर उसपर आर्म्स एक्ट लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में मुंबई उच्च न्यायालय ने नहीं माना और आर्म्स एक्ट रद्द कर दिया और उन पुलिसकर्मियों की जांच का जिम्मा डा.पाठारे को दे दिया, साहब ने पुलिसकर्मियों को जांच में बरी कर दिया परंतु जांच कर यह नहीं बताया की कट्टा कहां से आया? किसने रखा और पुलिस को सूचना कहां से मिली परंतु इन खबरों को प्रकाशित करनेवाले अग्निपर्व टाइम्स संपादक कमलेश विद्रोही को पाठारे साहब के नेतृत्व में जबर्दस्ती सेंट्रल पुलिस थाना निरीक्षक शंकर अवताड़े ने झूंठा चार सौ बीसी और आर्म्स एक्ट के तहत FIR दर्ज कर झूंठे मामले में फंसा दिया गया। पाठारे के कार्यक्षेत्र उल्हासनगर, अंबरनाथ, बदलापूर में अवैध ढाबे, जुआघर, रात भर चलनेवाले टर्फ जगह-जगह हाथ भट्टी शराब, डांसबार के साथ ही विदेशी लड़कियों द्वारा सितारा नामक लाज में वेश्यावृत्ति करवाया जा रहा था। पाठारे के जिला बदर होते ही सितारा लाजींग बोर्डिंग पर ठाणे पुलिस आयुक्तालय द्वारा रेड हुई और अब बंद है। ऐसे ठिकानों से हर महीने पाठारे साहब लाखों की वसूली अपने कारिंदो से करवाया करते थे। ऐसे भ्रष्ट पुलिस अधिकारी को समुद्री किनारों को सौंपकर महाराष्ट्र सरकार जनता और देश की सुरक्षा के साथ क्या खिलवाड़ नहीं कर रही है? यह आप लोग कमेंट कर बताना है।
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