अशोकभगत की बदली २७ को शिवाजीनगर से नाशिक, फिर ३१ अगस्त को शिवाजीनगर!
बतादें ठाणे परिमंडल चार के पुलिस उपायुक्त डा सुधाकर पाठारे का स्थानांतरण सतारा जिले के पुलिस अधीक्षक के रुप में हुआ था। इसी तरह शिवाजी नगर पुलिस थाने के वरिष्ठ निरीक्षक अशोक भगत को पदोन्नति देकर सहायक आयुक्त बनाकर नाशिक भेजा गया था। परंतु मात्र कुछ ही घंटों में ठाणे पुलिस आयुक्तालय ने पत्र जारी कर फिर अशोक भगत को फिर शिवाजी नगर थाना इंचार्ज बना दिया बार यह खेल देखकर लोगों का विश्वास ठाणे पुलिस आयुक्त और महाराष्ट्र के गृहमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से उठ रहा है। आखिर यह खेल क्या है? जिन दो पुलिस अधिकारियों की चर्चा हो रही है वे भ्रष्टाचार के दलदल में आकंठ डूबे हुए हैं। ऐसे भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों पर किस नेता का प्रेम फूट रहा है जो बार- पुलिस उपायुक्त आशुतोष डुंबरे और पुलिस महानिदेशक के फैसलों को चुनौती देता है और जीत उसीकी होती है। कहीं यह रुपयों का खेल तो नहीं यह चर्चा पूरे ठाणे जिले के बुद्धिजीवियों में शुरु है। अग्निपर्व टाईम्स बार बार अशोक भगत और सुधाकर पाठारे के भ्रष्टाचार को उजागर करता रहा है। बतादें अंबरनाथ शिवाजी नगर पुलिस थाना क्षेत्र दर्जनों अवैध ढाबे चल रहे हैं। जहाँ हर तरह के नशीले पदार्थ जैसे एमडी, चरस, गांजा और हाथभट्टी शराब सारी रात बिकती है। सारी रात टर्फ चलते हैं। और गैरकानूनी धंधे चलते हैं जिनसे हर महीने एक करोड़ के आसपास अवैध वसूली होती है। इस वसूली से मोहभंग नहीं हो रहा अशोक भगत और पाठारे साहब का यही कारण है कि कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद भी शिवाजी नगर थाना छोड़ने का मन नहीं हो रहा है। हर बार तबादला रुकवाने के लिए किसी न किसी सत्ता के दलाल को भिड़ा देते हैं। सूत्रों से पता चला है कि इस बार यह काम विधायक बालाजी किणीकर ने किया है। आखिर विधायक जी को ऐसे भ्रष्ट अधिकारी से इतना प्रेम क्यों है? बतादे एक वर्ष पहले अग्निपर्व टाईम्स ने एक खबर चलाया था कि, जो नब्बे ग्राम ड्रग मोटर साइकिल की डिग्गी से निकली वह कहाँ गई? पुलिस स्टेशन में वह मामला आज तक दर्ज नहीं हुआ जबकि उसका विडियो आज भी यूट्यूब पर चल रहा है और लोग देख रहे हैं। पर पुलिस प्रशासन और नेताओं ने नहीं देखा!
स्थानांतरण का आदेश पुलिस प्रशासन द्वारा रुटीन में किया गया तो इसे रोका किसने? किसके दबाव में ठाणे पुलिस आयुक्त हर बार अपनी किरकिरी करा रहे हैं? लोगों पुलिस आयुक्त आशुतोष डुंबरे को कर्तव्यनिष्ठ ईमानदार समझा था। लेकिन वह हमारी भूल थी शायद! पुलिस विभाग में अब स्वाभिमान व ईमानदारी बची ही नहीं? ऐसी स्थिति में कानून का राज होना और महाराष्ट्र की जनता की सुरक्षा मुमकिन ही नहीं, यह स्वस्थ नियमित फैसलों के लक्षण नहीं है। दोनों तबादलों का महज कुछ ही घंटों में बदला जाना संदेहास्पद है। वह कौन है जो पुलिस को अपना कर्तव्य निभाने नहीं करने दे रहा और भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों को संरक्षण दे रहा है। इसका खुलासा क्या ठाणे पुलिस आयुक्त करेंगे? या फिर हर बार इसी तरह २७/८/२०२४ को तबादला करेंगे और ३१/८/२०२४ को पुनः उसी स्थान पर नियुक्ति। अशोक भगत का तबादला रद्द होने की खुशी में स्थानीय पुलिसकर्मियों ने सभी नियमों को ठेंगा दिखाने वाले वरिष्ठ निरीक्षकों के सम्मान में समारोह रखा और वरिष्ठ अधिकारियों व गृहमंत्री को बता दिया की बिना हमारी मर्जी/मनपसंद जगह के तबादला नहीं कर सकते। हमारे कमाये गये अवैध रुपयों के आगे पुलिस आयुक्त तो क्या गृहमंत्री भी घुटने टेक रहा है। महाराष्ट्र को कब मिलेगा योगी जैसा ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ मुख्यमंत्री, जागो जनता जागो और चुनावों में जाती, अपना पराया छोड़ कर ईमानदार नेता चुनों नहीं तो इसी तरह चूहे बिल्ली के खेले देखना तुम्हारी नियति बनी रहेगी।
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