बदलापुर : बदलापुर में बच्चियों के साथ की गई अश्लील कारस्तानी की रिपोर्ट दर्ज करने में देरी करवायी रुपये लेकर वरिष्ठ निरीक्षक के वाचक अभिजीत राजपूत व कलेक्टर धुमाल ने, निलंबित हुआ निरपराध! परिजनों को अभिजीत और धुमाल ने अपने रुम में ही बैठाये रखा, रिपोर्ट करने के लिए टेबल तक जाने ही नहीं दिया। यही कारण है रिपोर्ट में देरी होने की और बदलापुर दहल उठा।
बदलापुर आदर्श विद्यामंदिर में सफाईकर्मी अक्षय शिंदे द्वारा दो बच्चियों के साथ अश्लील हरकत का मामला इतना तूल न पकड़ता और राजनीति न होती अगर बीच में वाचक राजपूत और कलेक्टर धुमाल अगर न जाते। आदर्श विद्या प्रसारक संस्था के निदेशक मंडल के तुषार और चेतन आप्टे ने मामले को दबाने की कोशिश अगर न की होती तो शायद यह नौबत न आती। अक्षय शिंदे जो स्कूल में सफाईकर्मी है, उसके खिलाफ आरोप दर्ज होने में आठ दिन लग गए। इतने गंभीर अपराध के बावजूद, वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक शुभदा चितले को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देने में 12 घंटे लग गए। अभिभावकों का आरोप है कि आप्टे बंधु सत्तारूढ़ भाजपा के घनिष्ठ हैं। तुषार आप्टे भाजपा नेतृत्व वाली जन कल्याण समिति के अंबरनाथ जिला अध्यक्ष हैं।
पीड़िता ने किए चौंकाने वाले खुलासे एफआईआर के अनुसार, जब मां ने अपनी बेटी से पूछा, तो उसने बताया कि दादा मेरे गुप्तांगों को सहलाता था और मेरे कपड़े उतार देता था और चला जाता था और फिर नहीं आता था। पुलिस ने पोस्को एक्ट की धारा 65 (2) 74, 75,76 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। आरोपी पुलिस रिमांड पर है। एसआईटी ने भी जांच शुरू कर दिया है सरकार की पूरी तैयारी है कि 10 दिनों के भीतर चार्जशीट तैयार हो और मामला फास्ट-ट्रैक कोर्ट में चलाकर पीड़ित परिवार को जल्द से जल्द न्याय दिया जाय। परंतु पूर्ण न्याय तब ही होगा जब वरिष्ठ निरीक्षक के वाचक और धुमाल की पूर्णरूपेण जांच के साथ डीसीपी डा.सुधाकर पाठारे और उनके कलेक्टरों की जांच होगी और कलेक्टर रखने का सिलसिला बंद होना चाहिए। टेबल पर रिपोर्ट लिखने बैठे व्यक्ति के काम में कलेक्टरों का हस्तक्षेप न हो। और ऐसा तब ही हो सकता है जब तबादलों में लेन देन बंद होगा। अब देखना है कि सरकार पुलिस महकमे को चुस्त-दुरुस्त करती है या फिर बदलापुर जैसी एफआईआर में देरी और दंगों का इंतजार करती है।
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