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उल्हासनगर में अवैध निर्माण, शिकायतकर्ता पी रहे हैं जहर, शासन प्रशासन काट रहा है मलाई!!

"Plan Approved" का झूंठा फलक लगाकर किया जा रहा अवैध बहुमंजिला इमारतों का निर्माण, शहर रचना विभाग नींद में !! 

उल्हासनगर : उल्हासनगर महापालिका हद में अवैध निर्माणों को मनपा अधिकारी देते हैं संरक्षण, प्लान पास का फर्जी फलक लगाकर होता है अवैध निर्माण। यह कड़वा सच है कि ठेकेदार बेधड़क झूंठा "प्लान पास है" का बोर्ड लगाकर करते हैं बहुमंजिली इमारतों का निर्माण। अधिकारियों के संरक्षण के बगैर किसी ठेकेदार की ऐसी हिम्मत नहीं हो सकती।
      सोनार गली बैरेक नंबर 324 पर बन रही अवैध इमारत 

इसी तरह से उल्हासनगर कैम्प क्रमांक - 2 सोनारा गली में बैरेक क्रमांक 324 पर सहायक आयुक्त मनीष हिरवे के संरक्षण में हो रहा है। नगर रचनाकार और आयुक्त अजिजशेख़, अतिरिक्त आयुक्त व उपायुक्त से बंटी डिंगवानी ने मिलकर शिकायत की और कहा कि चंचलानी नामक ठेकेदार कहता है "मैने गणेश शिंपी को दो लाख रुपये दिए हैं मेरी अवैध इमारत पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती" फिर भी गणेश शिंपी को शर्म नहीं आई और उन्होंने उस इमारत पर कार्यवाही नहीं की। उल्हासनगर शहर के कथित नेताओं ने प्रेम दर्शाने के लिए शहर के 75 वें वर्धापन दिवस पर तमाम उन नेताओ और तत्कालीन गर्ववन रराम गोपालाचारी को विराट अम्बे के उस क्लब में याद किया जहाँ रात को हुुक्का बार और शराब का अड्डा बन जाता है। बतादें 8 अगस्त 1949 के दिन उल्हासनगर शहर की नीव रखी गयी थी और शहर खुबसूरत, खुशहाल हो लोगों को गर्व हो ऐसा बनाने का सपना देखा गया था। परंतु आज के नेताओं ने उस सपने को धूलधुसरित कर दिया। फिर भी बड़ी बेशर्मी के साथ उद्घाटित शिलांन्यास की जगह के पास जाकर विकास की बड़ी बड़ी डींगे मारते हैं। लेकिन सन 1985/86 से जो समस्याए बढ़ी वह बढ़ती ही गयीं कम होनै का कभी नाम ही नहीं लिया। बल्कि जैसे जैसे समय बदलता गया वैसे वैसे समस्याए और बेकाबू होकर व जटिल होती गयी। आमदार बदले, नगरसेवक बदले शहर नगरपालिका से महानगर पालिका मे तब्दील हो गया परंतु हालात नहीं बदले, बल्कि बद से बदतर होते चले गये। अब तो आलम यह है की शहर के रहिवाशी ही अपना ठिकाना बदलने लगे, आसपास के संभ्रांत इलाकों में अपने परिवार के साथ पलायन करने लगे।

                  उल्हासनगर महानगरपालिका प्रशासक अजीज शेख 

बड़ी ही दुःखद बात है की अवैध निर्माण की समस्याओं का कोई समधान नही मिल पा रहा है। मनपा अधिकारी पूरी तरह से बेशर्मी पर उतारु हैं। शिकायतकर्ताओं की शिकायतों पर ध्यान देने को तैयार नहीं हैं। यही कारण है की एक ओर जहाँ वर्धापन दिवस मनाया जा रहा था तो वहीं दूसरी ओर श्रीकृष्ण मानकर नामक व्यक्ति ने महापालिका अतरिक्त आयुक्त के केबिन के बाहर फिनायल पीकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। इसी तरह बंटी डिंगवानी भी हर कार्यालय में सोनार गली में बैरेक नंबर 324 पर चल रहे बहुमंजिला इमारत के अवैध बांधकाम को रोकने के लिए दौड़ रहे हैं, अत्यंत दुःखद है कि प्रशासनिक अधिकारी बंटी डिंगवानी के फिनायल पीकर आत्महत्या करने के प्रयास का इंतजार कर रहे हैं। उल्हासनगर मनपा में कार्यरत अधिकारियों कर्मचारियों की शर्मसार करने वाली हरकतों पर शहर के सभी नेताओं की आंखे क्यों बंद हैं। भ्रष्टाचार से शहर का विकास नहीं हो सकता यह तथ्य शहर की जनता को कब समझ में आयेगा और भ्रष्टाचार पर मूकदर्शक बने इन तथाकथित नेताओं से शहर का पींड कब छुड़ायेगी? अब देखना होगा कि शहर में किसकी आंखों में शर्म बाकी है जो अवैध निर्माणों को रोकने की बात करता है और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए गणेश शिंपी को हवालात में और अजीज शेख और जमीर लेंगरेकर के जांच और तबादले के लिए आंदोलन करता है। आंदोलन के सिवा पर्याय नहीं है क्योंकि भ्रष्टाचार में हिस्सेदारी नगर विकास मंत्रालय की भी है। 

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