अंबरनाथ : ठाणे पुलिस आयुक्तालय का, परिमंडल चार जो हमेशा खबरों में रहता है। अब उसी क्षेत्र के शिवाजीनगर थाने के दो रिश्वतखोर पुलिसकर्मी एक भंगार व्यवसायी से पचास हजार रुपए रिश्वत लेने के आरोप में ठाणे भ्रष्टाचार निवारण शाखा के हत्थे चढ़े। भ्रमण ध्वनी पर बातचीत की रिकॉर्डिंग के साथ ही सभी साक्ष्य विभाग को सौंपे गए, लगभग 3 महीने के टाल-मटोल या यूँ कहें कि जांच के बाद 23 जुलाई 2024 को आरोपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
ठाणे परिमंडल-4, शिवाजीनगर थाने के पुलिस कांस्टेबल, चंद्रकांत बबन शिंदे (44) और सचिन सदाशिव माने (43) इन दोनों पुलिस कांस्टेबलों ने 12 अप्रैल 2024 को कबाड़ व्यवसायी से उसका माल से भरा ट्रक छोड़ने के बदले एक लाख रुपये रिश्वत की मांग की गई थी। पचास हजार रुपए में समझौता हुआ। कबाड़ व्यवसायी ने रु. 50/हजार रिश्वत लेने की शिकायत ठाणे भ्रष्टाचार विरोधी शाखा में दर्ज करा दिया। उसी आधार पर शिवाजीनगर पुलिस थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 व 7(A) के तहत दोनों पुलिस कांस्टेबलों पर मामला दर्ज किया गया है। व्यवसायी ने यह शिकायत 12 अप्रैल 2024 को थाने भ्रष्टाचार विरोधी पथक कार्यालय जाकर दर्ज कराया था। मामले की जांच ठाणे पुलिस एंटी करप्शन विभाग निरीक्षक विजय काले कर रहे हैं।
बतादें अग्निपर्व टाईम्स का साबका अंबरनाथ पूर्व शिवाजीनगर थाने से तब हुआ था, जब शिवमंदिर के पीछे से फ्लोरा नामक इमारत से पुलिस ने करण जुमानी नामक व्यक्ति को रात ग्यारह के दरम्यान नब्बे ग्राम एमडी नामक ड्रग के साथ पकड़ा था और बिना एफआईआर दर्ज किए ही लेनदेन कर छोड़ दिया था। हमने वह खबर अपने यु टियुब चैनल पर दिखाने के साथ ही अपने न्युज पोर्टल पर लिखा था। विकमानी से रिश्वत मांगने के साथ ही मारपीट कर कान पकड़ उठक बैठक कराने का मामला उठाया, साथ ही एक महिला के साथ दुराचार के साथ ही पैसे ऐंठने की खबर लिखा था। उसी समय भंगार व्यवसायी का मामला हमारे पास एक लिखित पत्र के रुप में आया था। तब हमने अंटिकरेप्सन व्युरो से संपर्क किया था लेकिन कोई उचित जवाब न मिलने के कारण हमने खबर नहीं लिखा।
वसूली का मास्टरमाइंड अशोक भगत
अंबरनाथ के अवैध ढाबे, जुआघर, रात भर चलनेवाले टर्फ, हाथ भट्टी शराब के अलावा अनेकों ठिकानों से करोड़ों की वसूली के चलते अशोक भगत अंबरनाथ पूर्व का छत्रपति शिवाजी नगर पुलिस स्टेशन छोड़कर जाने को तैयार नहीं जबकि भगत को एसीपी का प्रमोशन था। सारी अवैध वसूली में जोन चार के पुलिस उपायुक्त डा सुधाकर पाठारे को हिस्सा मिलता है इसलिए कितनी ही खबर लिखी और पढ़ी जाय उनको कोई फर्क नहीं पड़ता जैसे उनकी वसूली के लिए ही जोन-4 में पोस्टिंग हुई हो। मुख्यमंत्री के सुपुत्र सांसद श्रीकांत शिंदे साहब उल्हासनगर में अक्सर आते रहते हैं। क्या उल्हासनगर जोन-4 की खबरें उनको नहीं मिलती या फिर इस भ्रष्टाचार को उनका भी समर्थन प्राप्त है? जो पुलिस अधिकारी नियम और कानून के अनुसार चलते थे उनका तबादला हो गया परंतु समय पूरा होने के बाद भी उपायुक्त डा.सुधाकर पाठारे और अशोक भगत का तबादला नहीं हो रहा है और न ही जांच? अब इस खबर के बाद डा.सुधाकर पाठारे और अशोक भगत की जांच होगी या सरकारी संरक्षण प्राप्त यह लोग फिर कहीं जाकर लूट मचाएंगे, यह एक प्रश्न सरकार के सामने है।
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