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फिर एक फर्जी प्राथमिकी उल्हासनगर के मध्यवर्ती पुलिस थाने में हुई दर्ज, दाम तीन लाख.??

       मध्यवर्ती पुलिस का नया कारनामा मारपीट के मामले को बनाया डकैती !!
              सुजीत पंजाबी ने वरिष्ठ निरीक्षक शंकर अवताडे को दिए रुपये ?
                गोल घेरे में सुरजीत पंजाबी 

उल्हासनगर : महाराष्ट्र ठाणे जिले के उल्हासनगर तालुका के कैम्प क्र.-3 स्थित मध्यवर्ती (सेंट्रल) पुलिस स्टेशन में 17 जुलाई 2024 को 3.44 बजे छह लोगों के खिलाफ सुरजीत पंजाबी ने एक प्राथमिकी दर्ज कराया है। जिसका पंजीकरण क्र.0923 है। और यह प्रथम सूचना शस्त्र अधिनियम 1959 की धारा 25, 27, 4, व महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम 1951,की धारा 135, 37(1) व न्याय संहिता 2023 की धारा 312 के तहत दर्ज की है। 
      थानेदार शंकर अवताडे 

ज्ञात हो कि सुरजीत पंजाबी युवा-शिवसेना अधिकारी के पद पर कार्यरत था, अब वहाँ से हटा दिया गया है। सुरजीत जो कार लेकर घुमता है उसमें काले रंग के सीसे लगे हुए हैं। सूत्रों ने बताया कि कार हमेशा हथियारों से लैस रहती है और क्यों न हो सुरजीत किसी न किसी से अक्सर मारपीट करता ही रहता है। सुरजीत पर मारपीट के कई मामले थानों में लंबित हैं। जिन लोगों पर मध्यवर्ती पुलिस ने अनेकों धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, कुछ दिनों पहले उनसे भी सुरजीत की मारपीट हुई थी और उसी का बदला लेने के लिए यह लोग सुरजीत के घर तक पहुंच गये। परतुं पुलिस ने सुरजीत को साफ-साफ बचा लिया और एकतरफा मामला दर्ज कर लिया। क्यों न करे सुरजीत ने मध्यवर्ती पुलिस थाना प्रभारी शंकर अवताडे को रुपए की भेंट जो चढ़ाई है। प्राथमिकी में लिखा है 14 तारीख रात 3.45 बजे चोर आये और दरवाजा पीटकर चले गये। सिर्फ सवा घंटे बाद सुबह 5 बजे सुरजीत आया और जाकर सो गया। मात्र 75 मिनटों का अंतर है। चोर रुके नहीं आये और चले गये, दरवाजे की चाभी सुरजीत के पास ही थी परिवार वाले सब आराम से पांच बजे तक सो रहे थे। पवने चार बजे चोर दरवाजा तोड़ रहे हैं और पांच बजे परिवार गहरी नींद में है। दोस्तों की मदद से सुरजीत ने पता लगाया और 17 को रिपोर्ट दर्ज कराया। चोरों के चले जाने के बाद भी परिवार का कोई व्यक्ति न पुलिस को फोन करता है और न पुलिस स्टेशन जाता है, जबकि सरकार ने 112 की सुविधा दे रखी है। है न अजब बात। सुरजीत का अवैध निर्माण बालकनजी बारी के सामने चल रहा है। 

अग्निपर्व ने जब जांच की तो पता चला कि सुरजीत ने अपने साथियों के साथ आदित्य सावंत, सुमित गुरचरण सिंह लबाना,सागर लबाना, ओम राजपूत तथा रतनसिंह लबाना से पहले झगड़ा किया था। जिसका बदला लेने वह लोग आये थे। जब मारपीट में सुरजीत की टीम डर गई तो भागकर घर में छिप गयी। इसलिए आये हुए लड़के सीसीटीवी कैमरा तोड़कर चले गये। दो दिनों तक सुरजीत पैसों का जुगाड़ करता रहा जब रुपये जमा हुए और थानेदार साहब को दिये तब सुरजीत के मन मुताबिक एफआईआर दर्ज हुई और पकड़े गए लड़कों के जीवन की ऐसी तैसी कर दी अवताडे साहब ने। इस तरह रुपये लेकर एकतरफा फर्जी एफआईआर लिखने का चलन हो गया है, उल्हासनगर के मध्यवर्ती थाने का। पहले भी कई फर्जी एफआईआर दर्ज कर मोटी रकम कमाया है। क्या इस मामले की जांच वरिष्ठ अधिकारी करायेंगे और दोषी पाये जाने पर शंकर अवताडे को बर्खास्त किया जायेगा? यह एक यक्ष प्रश्न है। बतादूं कि मै स्वंय थाने में बैठा था तभी मध्यवर्ती थाने में एक व्यक्ति आया। उसने हाफ पैंट पहन रखा था इसलिए टेबल शिकायत दर्ज करने बैठे पुलिसवाले उसे भगा दिया। और वह मिन्नत करने लगा तो पूछा क्या बात है उसने कहा "मैं गोवा गया था खेलने, आते समय मोबाइल खो गया, फोन करता हूँ तो उठाता है पर देता नहीं " पुलिसवाले ने कहा शिकायत दर्ज कराने गोवा जाना पड़ेगा और लौटा दिया। इस तरह बिना पैसे और पहुंच के एफआईआर दर्ज कराने गोवा जाना पड़ता है। और रुपये दो तो झूंठी एफआईआर भी दर्ज हो जाती है उल्हासनगर के मध्यवर्ती पुलिस थाने में। 

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