ठाणे : महाराष्ट्र भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए अब तक 24 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं तो वहीं एकनाथ शिंदे ने भी अपने 8 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है।भाजपा, शिवसेना व एनसीपी के बीच सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय होने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन अब भी कई सीटों पर पेच फंसा हुआ है। शिंदे द्वारा गुरुवार को घोषित की गई 8 सीटों में ठाणे व कल्याण का नाम नहीं है। यहां तक कि कल्याण डोंबिवली शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे का नाम भी सूची से नदारद है।
बताया जा रहा है कि एकनाथ शिंदे और भाजपा के बीच नासिक,कोल्हापुर, हिंगोली सीट को लेकर मतभेद था ही दोनों ही इन तीन सीटों पर अपने अपने दावे कर रहे थे। वहीं अब एकनाथ शिंदे के गृहजिले ठाणे को लेकर भी तनातनी की स्थिति दिखाई दे रही है। ठाणे जिले की कल्याण और ठाणे दोनों सीटों पर भाजपा ने अपना दावा कर दिया है, जिसे छोड़ना एकनाथ शिंदे के लिए मुश्किल हो रहा है। ठाणे सीट उनकी गृहसीट होने के साथ ही गढ़ भी है। दरअसल ठाणे का इतिहास रहा है कि यह १९९६ तक भाजपा के पास ही रहती थी। यहां से भाजपा ने सांसद के रुप में रामभाऊ म्हालगी जगन्नाथ पाटिल और राम कपसे जैसे नेता दिये थे जो जनप्रिय थे। लेकिन एकनाथ के राजनीतिक गुरु रहे आनंद दिघे ने इस सीट को लेकर दबाव बनाया और शिवसेना के खाते में आ गई। इसके बाद से ही ठाणे सीट से शिवसेना का उम्मीदवार होता रहा और भाजपा मदद करती रही। परिसीमन के बाद ठाणे को ही काट छांटकर दो और सीट बनी कल्याण और भिवंडी इस तरह थाने जिले में कुल तीन लोकसभा सीट बन गयी। जिसमें से कल्याण, थाना शिवसेना के पास और भिवंडी भाजपा के पास। अब परिस्थितियाँ अनुकूल देख भाजपा अपनी सीट फिर हथियाना चाहती है। यही कारण है कि शिवसेना की पहली लिस्ट जारी हुई परंतु उसमें ठाणे और कल्याण सीट नदारद है। अगर 2009 को छोड़ दें तो हर बार इस सीट से भाजपा के समर्थन से शिवसेना कैंडिडेट को जीत मिली है।भाजपा दावा कर रही है कि ठाणे में उसकी ताकत ज्यादा है। ठाणे के कुल 6 विधायकों में से तीन भाजपा के हैं। एक निर्दलीय विधायक भी भाजपा के ही समर्थन में है। इसके अलावा स्थानीय निकायों में भी भाजपा से जुड़े ज्यादातर लोग पदों पर बैठे हैं। यही वजह है कि भाजपा एकनाथ शिंदे से कह रही है कि वह इस सीट पर अपना दावा छोड़ दें। 2014 व 19 में शिवसेना के राजन विचारे यहां से सांसद रहे, लेकिन अब वह उद्धव ठाकरे खेमे में हैं। उन्हें फिर से उद्धव ने टिकट भी दे दिया है। शिवसेना की असल परेशानी यही है कि मौजूदा सांसद उनके खेमे में नहीं हैं। भाजपा थाने सीट से संजय केलकर या फिर पूर्व सांसद संजीव नाइक को उतारना चाहती हैं। वहीं एकनाथ शिंदे अपने किले को ढहता देखना नहीं चाहते, वे यहां से विधायक प्रताप सरनाइक या फिर पूर्व मेयर नरेश म्हस्के को उतारना चाहते हैं। कहा जा रहा है कि इस सीट को लेकर विवाद इसलिए बढ़ा है क्योंकि खुद देवेंद्र फडणवीस जोर दे रहे हैं कि ठाणे फिर से भाजपा के पास आ जाए। वहीं कल्याण लोकसभा सीट से अबकी बार श्रीकांत शिंदे को जीतने के लिए लोहे के चने चबाने होंगे क्योंकि भाजपा कार्यकर्ताओं ने हराने के लिए कमर कस ली है वे किसी भी सूरत में श्रीकांत को जीतते देखना नहीं चाहते हैं। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में सियासी ऊंट किस करवट बैठता है यह तो समय ही बतायेगा।
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