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क्या कल्याण लोकसभा के भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी को नजरअंदाज कर देंगे चयनकर्ता?

कल्याण सीट से डा.श्रीकान्त शिंदे की हार निश्चित! भाजपा कार्यकर्ता भविष्य व हाथ कमजोर कर नहीं चाहते कि मोदी मजबूत हों! पांच वर्षों की अनदेखी, अत्याचार व भ्रष्टाचार बने मुद्दे!

कल्याण: कलवा से अंबरनाथ तक पूरे कल्याण लोकसभा में भाजपा कार्यकर्ता ही नहीं आम लोग भी श्रीकांत से नाराज, मनपाओं, सरकारी संस्थाओं में भ्रष्टाचार आमजनों की अनदेखी पाले गये गुंडों को संरक्षण के चलते भाजपा कार्यकर्ता करेंगे चुनाव से किनारा, कार्यकर्ताओं ने कहा हम ही नहीं रहेंगे तो देश की खुशहाली देखेगा कौन?

कल्याण लोकसभा सांसद श्रीकांत शिंदे को अगर टिकट दिया जाता है तो एनडीए के ४०० पार के नारे से धोखा होगा, एनडीए को अगर चार सौ पार जाना है तो हर सीट पर पैनी नजर रखनी होगी चाहे वह सीट भाजपा के किसी साथी दल की ही क्यों न हो। २०२४ के लोकसभा चुनाव में जहाँ देश का कोना कोना मोदी को सराह रहा है वहीं कल्याण लोकसभा सीट के भाजपा कार्यकर्ता और जनता सांसद श्रीकांत शिंदे के अत्याचार और लालच से कराह रही है। यही कारण है कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपने वरिष्ठों तक विरोधी स्वर पहुंचाना शुरू कर दिया है। उल्हासनगर भाजपा कार्यालय में मोदी का हाथ मजबूत करने के लिए बुलायी गयी सभा में चुनाव के बहिष्कार का नारा गूंजा मुद्दा चाहे जो हो। इसी तरह कल्याण से शिवसेना पूर्व नगरसेवक व शहर प्रमुख महेश गायकवाड़ पर हिल लाइन पुलिस स्टेशन में ही भाजपा चार बार के विधायक गणपत गायकवाड़ ने फायरिंग कर दी, अब आप समझ सकते हैं कि वह शिंदे के इस नेता से कितने परेशान रहे होंगे, और पुलिस उनका सुन नहीं रही होगी तब ही ऐसा आत्मघाती कदम उन्होंने उठाया होगा! इस तरह सतह पर आ गई भाजपा विधायक गणपत गायकवाड़ और मुख्यमंत्री शिंदे की जंग, उन्होंने कैमरे के सामने आरोप लगाया कि मेरे करोड़ों रुपये शिंदे ने लिए हैं जो दे नहीं रहे हैं और मेरी खरीदी गई जमीन पर जबरन कब्जा करवा रहे हैं अपने गुर्गों से ऐसे में भाजपा नेता कैसे उम्मीद लगा रहे हैं कि अपना यह दुख भूलकर भाजपा कार्यकर्ता शिंदे के समर्थन में तन मन धन से उतरेंगे! इसी तरह अंबरनाथ के भाजपाइयों ने विरोध का स्वर उभारा है। खड़कपाड़ा पुलिस स्टेशन में भाजपा नेता पर झूंठा मामला दर्ज कराने में भी श्रीकांत शिंदे का हाथ बताया जा रहा है, बड़ी कोशिश के बाद ही उस पुलिस अधिकारी का तबादला भाजपा करा पाये जबकि गृहमंत्री भाजपा का है। इसी तरह के अनेकों कारण है शिंदे का बायकाट करने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं के पास।

अग्निपर्व के पड़ताल में जो जानकारी सामने आई है अगर किसी और को यहाँ से टिकट दिया जाता है, चाहे वह नया चेहरा क्यों न हो, उसका जीतना आसान होगा श्रीकांत शिंदे की अपेक्षा। लोगों ने यह भी बताया कि श्रीकांत शिंदे का घमंड सातवें आसमान पर है। वह किसीको तवज्जो नहीं देते उनकी पार्टी में भी लोग अंदरखाने यह चाहते हैं कि शिंदे को टिकट न मिले और अगर मिले तो वे हार जायें। इस तरह अगर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जो श्रीकांत शिंदे के पिता भी हैं उनके दबाव में कल्याण लोकसभा से श्रीकांत शिंदे को टिकट दिया जाता है तो एनडीए के चार सौ पार के नारे पर ग्रहण लग सकता है। अब देखना होगा कि भाजपा कार्यकर्ताओं की राय को दरकिनार कर श्रीकांत शिंदे को टिकट देकर एक सीट गंवाती है या फिर उम्मीदवार बदल देती है। 

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