उपायुक्त डा.सुधाकर पाठारे
उल्हासनगर : उल्हासनगर शहर में वैसे तो अनेकों बार डांसबार बन गये हैं। परंतु इस समय चर्चा में श्री राम सिनेमा चौक पर चल रहा 100 डेज नामक बार काफी चर्चा में है, जहाँ हर दिन कोई न कोई बखेड़ा खड़ा रहता है। कभी किसी ग्राहक को विडियोग्राफी के सक में पीट दिया जाता है तो कभी बिल भुगतान के कारण, बार के सामने पुलिस को रुपए बांटने के लिए गुंडा प्रवृति के लोग बैठते हैं जो राह चलते लोगों से भी झगड़ लेते हैं यह और बात है कि विठ्ठलवाड़ी पुलिस डांसबार चालक का ही समर्थन करती है और क्यों न करे सारे पुलिसस्टेशन को यह डांसबार वाले हर रोज रुपए देते हैं, नाइट वालों का पांच सौ और अन्य को दो सौ यह सिपाही हवलदार का खर्च है। वरिष्ठ निरीक्षक हर महीने 1 लाख 25 हजार इसी तरह सबकी किमत कुछ न कुछ तंय है।
वैसे तो हर बार/डांसबार के संचालन की समय सीमा तंय है, पर यह डांसबार समय नहीं मानते और न ही परवाने में दी गयी शर्तों को मानते हैं। जैसे नौकरनामें में छह से आठ महिला वेटर रखने की इजाजत लेते है परंतु कभी भी कोई भी अंदर जाकर देख सकता है कि 25 से 40 बालिक नाबालिक महिलायें मौजूद रहती हैं और वह महिला किसी तरह के ड्रेस कोड में नहीं होती बल्कि अधनंगी अवस्था में रहकर अपना अंग प्रदर्शन कर अश्लील इशारों से लोगों को उत्तेजित कर उनके परिवार और धन दोनों पर डाका डालती हैं। यही कारण है कि शारीर और नजर सुख के लिए लोग अपने बाप दादा की बनाई हुई इज्जत, दौलत दोनों हार जाते हैं। और अंत में फुटपाथ के सहारे हो जाते हैं। यही देखकर महाराष्ट्र के तत्कालीन गृहमंत्री आर आर पाटिल ने 2005 में डांसबारों पर पाबन्दी ला दिया था। परंतु कानूनी लड़ाई के बाद कोर्ट ने इन्हें कुछ शर्तों के साथ डांसबार चलाने का निर्देश दे दिया और फिर से यह गंदगी समाज में फैल गई। जब पुलिस के छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारी तक डांसबारों के हफ्ते पर जीवित हैं तो नियम कानून का पालन हो रहा है या नहीं यह कौन देखेगा? श्रीराम चौक पर कई डांसबार चलते हैं परंतु 100 डे, राखी, एंजल काफी बदनाम हैं मारपीट और बेईमानी के लिए। फोन पर पुलिस से शिकायत करने पर वह साथ चलकर दिखाने के लिए कहती है, ताकि शिकायतकर्ता की पिटाई डांसबार के बाहर बैठे गुंडे कर सकें और पुलिस हफ्ता वसूली का झूंठा मामला दर्ज कर शिकायतकर्ता को जेल भेज सके। और यह गोरखधंधा चलता रहे पुलिस हफ्ता लेकर अपना जेब गर्म करती रहे। थाने पुलिस आयुक्तालय में जबसे आयुक्त पद पर आशुतोष डुम्बारे की नियुक्ति हुई तब से जुए का सरेआम चल रहा अवैध कारोबार बंद हो गया है परंतु डांसबार बंद कराने में अक्षम नजर आ रहे हैं और क्यों न हों 99% प्रतिशत पुलिस अधिकारी और कर्मचारी रिश्वतखोर हैं, जो झूंठी रिपोर्टिंग करते हैं। कई इमानदार और बेईमान पुलिस अधिकारियों का तबादला हुआ परंतु अव्वल दर्जे के भ्रष्ट पुलिस उपायुक्त डा.सुधाकर पाठारे अब तक हमारे सीने पर मूंग दल रहे हैं इनकी जांच महाराष्ट्र सरकार क्यों नहीं कराती यह समझ से परे है। देखना है कि सरकार जन - मानस की ओर कोई ध्यान देती है या फिर अपने प्रतिनिधियों की खुशी में ही अपनी खुशी ढूंढती है।
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