कुमार आयलानी. उमेश सोनार
उल्हासनगर : उल्हासनगर विधानसभा से विधायक कुमार आयलानी ने अपने कार्यालय में कार्यरत उमेश सोनार को उल्हासनगर स्टेशन सलाहकार समिति का बनाया सदस्य भाजपा कार्यकर्ता नाराज, नाराजगी पड़ेगी भारी?
उल्हासनगर १४१ विधानसभा विधायक कुमार आयलानी सिर्फ कमाई का जरिया ढूंढते नजर आ रहे हैं न कि अपनी पार्टी को बढ़ाना। यही कारण है कि उल्हासनगर के कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर डोंबिवली के रहवासी उमेश नरहरि सोनार को उल्हासनगर राशनिंग कमेटी, अस्पताल कमेटी, एसीओ, उल्हासनगर रेल्वे स्टेशन सलाहकार समिति सदस्य के साथ ही अपना पर्सनल सेक्रेटरी बनाया है। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार सोनार राशनकार्ड बनवाने से लेकर ठेके के काम में या ऐसा कहें कि हर काम में कमिशन लेते हैं और यह कहने से भी परहेज नहीं करते कि "साहब का हिस्सा" है। इस तरह उल्हासनगर विधानसभा के कार्यकर्ताओं के हक के सभी सम्मान व पद डोंबिवली के रहवासी को देकर आयलानी खुद साबित कर रहे हैं कि उमेश नरहरि सोनार उनका कमाऊ पू#त है! बतादें २०१९ विधानसभा चुनाव में कुमार आयलानी के जीत के कुल वोटों का अंतर मात्र 18 सौ के आसपास था, जबकि मोदी लहर थी, उस समय भाजपा चुनाव चिन्ह पर खड़े हुए लगभग सभी लोग जीत गये? इस तरह २०२४ में इस बार होनेवाले विधानसभा चुनाव में गुटबाजी एंटी-इनकंबेंसी, भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की नाराजगी के साथ ही उल्हासनगर महापालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार से शहर के काफी लोग नाराज हैं। जिसका दुष्परिणाम भी चुनाव पर पड़ेगा। अब आपको यह बताने की जरूरत नहीं है कि कुमार आयलानी से वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता नाराज क्यों है? कार्यालय में उनके पीए/लिपिक भाजपा कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं देते, जब किसी समिति में नियुक्ति की बात आती है तो अपने कार्यालय के नौकरों को ही नियुक्त करते हैं। क्या आम कार्यकर्ता सिर्फ भीड़ इक्ट्ठा करने और कुर्सी लगाने के लिए ही उल्हासनगर भाजपा में हैं। यह सवाल लगभग हर कार्यकर्ता के मन में है कुछ जाहिर कर देते हैं कुछ इसकी कसर चुनाव में निकालेंगे!
विचारधारा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने इस बार के लोकसभा व विधानसभा दोनों चुनाव में घर से न निकलने का मन बना लिया है? इसका एक कारण यह भी है कल्याण पूर्व के विधायक गणपत गायकवाड़ जो कि अपने चाल चरित्र और व्यक्तित्व के कारण काफी लोकप्रिय थे, यही कारण है कि वे दो बार निर्दलीय के रूप में विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक रहे। परंतु भाजपा में आने के बाद उनको इस कदर प्रताड़ित किया गया कि उन्हें आत्मघाती कदम उठाते हुए पुलिसस्टेशन में वरिष्ठ निरीक्षक कार्यालय में गोली चलाने पर मजबूर होना पड़ा और आज वे जेल में हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब एक विधायक और उसका व्यापार सुरक्षित नहीं है तो आम कार्यकर्ताओं पर जब बन आयेगी तो उनका क्या होगा? इसकी नाराजगी या युं कहें कि डर आम कार्यकताओं में है। इसका असर ठाणे की सभी लोकसभा और विधानसभा सीटों पर पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि पुलिस प्रशासन हो या फिर उल्हासनगर महापालिका कुमार साहब की कहीं नहीं चलती, शहरहित में कुमार साहब द्वारा दी गई शिकायतों व सुझावों को उमनपा अधिकारी कर्मचारी कचरे की टोकरी में डाल देते हैं। उल्हासनगर शहर समस्याओं का शहर बना हुआ है। पार्टी आधार पर काम का न होना और वरिष्ठों से सामंजस्य में कमी बन सकती है, वर्तमान विधायक कुमार आयलानी की हार का कारण! आगे देखना होगा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता क्षति की आपूर्ति कैसे करते हैं। चुनावी दंगल का ऊंट किस करवट बैठता है यह तो समय ही बतायेगा।
उल्हासनगर : उल्हासनगर विधानसभा से विधायक कुमार आयलानी ने अपने कार्यालय में कार्यरत उमेश सोनार को उल्हासनगर स्टेशन सलाहकार समिति का बनाया सदस्य भाजपा कार्यकर्ता नाराज, नाराजगी पड़ेगी भारी?
उल्हासनगर १४१ विधानसभा विधायक कुमार आयलानी सिर्फ कमाई का जरिया ढूंढते नजर आ रहे हैं न कि अपनी पार्टी को बढ़ाना। यही कारण है कि उल्हासनगर के कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर डोंबिवली के रहवासी उमेश नरहरि सोनार को उल्हासनगर राशनिंग कमेटी, अस्पताल कमेटी, एसीओ, उल्हासनगर रेल्वे स्टेशन सलाहकार समिति सदस्य के साथ ही अपना पर्सनल सेक्रेटरी बनाया है। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार सोनार राशनकार्ड बनवाने से लेकर ठेके के काम में या ऐसा कहें कि हर काम में कमिशन लेते हैं और यह कहने से भी परहेज नहीं करते कि "साहब का हिस्सा" है। इस तरह उल्हासनगर विधानसभा के कार्यकर्ताओं के हक के सभी सम्मान व पद डोंबिवली के रहवासी को देकर आयलानी खुद साबित कर रहे हैं कि उमेश नरहरि सोनार उनका कमाऊ पू#त है! बतादें २०१९ विधानसभा चुनाव में कुमार आयलानी के जीत के कुल वोटों का अंतर मात्र 18 सौ के आसपास था, जबकि मोदी लहर थी, उस समय भाजपा चुनाव चिन्ह पर खड़े हुए लगभग सभी लोग जीत गये? इस तरह २०२४ में इस बार होनेवाले विधानसभा चुनाव में गुटबाजी एंटी-इनकंबेंसी, भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की नाराजगी के साथ ही उल्हासनगर महापालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार से शहर के काफी लोग नाराज हैं। जिसका दुष्परिणाम भी चुनाव पर पड़ेगा। अब आपको यह बताने की जरूरत नहीं है कि कुमार आयलानी से वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता नाराज क्यों है? कार्यालय में उनके पीए/लिपिक भाजपा कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं देते, जब किसी समिति में नियुक्ति की बात आती है तो अपने कार्यालय के नौकरों को ही नियुक्त करते हैं। क्या आम कार्यकर्ता सिर्फ भीड़ इक्ट्ठा करने और कुर्सी लगाने के लिए ही उल्हासनगर भाजपा में हैं। यह सवाल लगभग हर कार्यकर्ता के मन में है कुछ जाहिर कर देते हैं कुछ इसकी कसर चुनाव में निकालेंगे!
विचारधारा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने इस बार के लोकसभा व विधानसभा दोनों चुनाव में घर से न निकलने का मन बना लिया है? इसका एक कारण यह भी है कल्याण पूर्व के विधायक गणपत गायकवाड़ जो कि अपने चाल चरित्र और व्यक्तित्व के कारण काफी लोकप्रिय थे, यही कारण है कि वे दो बार निर्दलीय के रूप में विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक रहे। परंतु भाजपा में आने के बाद उनको इस कदर प्रताड़ित किया गया कि उन्हें आत्मघाती कदम उठाते हुए पुलिसस्टेशन में वरिष्ठ निरीक्षक कार्यालय में गोली चलाने पर मजबूर होना पड़ा और आज वे जेल में हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब एक विधायक और उसका व्यापार सुरक्षित नहीं है तो आम कार्यकर्ताओं पर जब बन आयेगी तो उनका क्या होगा? इसकी नाराजगी या युं कहें कि डर आम कार्यकताओं में है। इसका असर ठाणे की सभी लोकसभा और विधानसभा सीटों पर पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि पुलिस प्रशासन हो या फिर उल्हासनगर महापालिका कुमार साहब की कहीं नहीं चलती, शहरहित में कुमार साहब द्वारा दी गई शिकायतों व सुझावों को उमनपा अधिकारी कर्मचारी कचरे की टोकरी में डाल देते हैं। उल्हासनगर शहर समस्याओं का शहर बना हुआ है। पार्टी आधार पर काम का न होना और वरिष्ठों से सामंजस्य में कमी बन सकती है, वर्तमान विधायक कुमार आयलानी की हार का कारण! आगे देखना होगा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता क्षति की आपूर्ति कैसे करते हैं। चुनावी दंगल का ऊंट किस करवट बैठता है यह तो समय ही बतायेगा।
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