उपायुक्त सुधाकर पाठारे
उल्हासनगर : उल्हासनगर पुलिस प्रशासन के हालात ऐसे हैं कि समाजसेविका द्वारा इंगित करने के बावजूद भी एक परित्यक्त बुजुर्ग महिला को बचाने और एक गैरसरकारी संगठन के सुपुर्द करने में लापरवाही बरतने को लेकर समाजसेवी श्रीमती अक्षता उतेकर ने ठाणे पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर, उल्हासनगर के डीसीपी, एसीपी पीआई के खिलाफ तत्काल FIR दर्ज कर कार्यवाही करने की मांग की है।
परित्यक्त महिला
ठाणे पुलिसआयुक्त को अपने पत्र में लिखा है कि एक परित्यक्त बुजुर्ग महिला को बचाने में महाराष्ट्र पुलिस विभाग द्वारा अपनी प्रतिबद्धता पूरा करने में विफल होना मानवीय चिंता का अत्यंत गंभीर उदाहरण है। 12 दिसंबर 2023 को उल्हासनगर पुलिस डीसीपी जोन 4, डॉ.सुधाकरपठारे, एसीपी अमोल कोली व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से वृद्ध महिला को अपने कार्यक्षेत्र की सड़क से उठाकर महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले की कर्जत स्थित गैर- सरकारी संगठन श्रद्धा फांउडेशन रिहैबिलिटेशन को सौंप देने में लगने वाली कानूनी प्रक्रिया पूरी करने का अनुरोध किया था। दुर्भाग्यवश अनुरोध किए हुए छह दिन बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। मसले पर कार्यरत श्रीमती अक्षता उतेकर जो एक समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता हैं। और इस मामले पर अथक प्रयास कर रही हैं। उन्हें इस बात की गहरी चिंता भी है कि परित्यक्त बुजुर्ग महिला वर्तमान में पड़ रही कड़ाके की ठंड में सड़कों पर दयनीय स्थिति में रह रही है। जबकि वह महिला सिज़ोफ्रेनिया और क्रोनिक मस्तिष्क जैसे विकारों से पीड़ित है, जिसके कारण उसका जीवन अत्यधिक खतरे में है। सड़क पर पड़ी परित्यक्त को बचाने में सहायता के लिए डीसीपी, एसीपी जैसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मदद व समर्थन करने का अनुरोध कर रही थी समाजसेवी उतेकर। मगर अफसोस की बात है कि उस समय श्रीमती उतेकर के साथ अभद्र व्यवहार किया गया। इस तरह का अहंकारी व्यवहार जो न केवल सार्वजनिक सेवा सिद्धांतों के विरुद्ध है बल्कि कानून पालन और जनसमुदाय के बीच सहयोग में भी बाधक है। पुलिस को यह ध्यान रखना चाहिए था कि श्रीमती उतेकर का अनुरोध एक कमजोर व बुजुर्ग महिला के लिए सहायता मांगने की भावना से किया गया था। जन कल्याण के प्रति उनके इस समर्पण व सहयोग को सम्मान के साथ पुलिस प्रशासन द्वारा पूरा किया जाना चाहिए था। क्योंकि पुलिस विभाग इस तरह के कामकाज को सुनिश्चित किए जाने के लिए एक अभिन्न अंग है अतः सभी आवश्यक कानूनी औपचारिकताओं को पूरा कर श्रीमती अक्षता उतेकर की सहायता करनी चाहिए थी।
परंतु क्या कहें मौजूदा पुलिस उपायुक्त डा.सुधाकर पाठारे का एकमात्र लक्ष्य है, ज्यादा से ज्यादा रुपये इकट्ठा करना, उसके लिए उन्होंने सभी पुलिस स्टेशनों के निरीक्षकों को काम पर लगा रखा है। और जो उनके इस अवैध वसूली में मदद नहीं कर रहा है उसको बदनाम करने के लिए साहब उसीके पुलिस स्टेशन से किसी न किसी अधिकारी को तैयार कर लेते हैं। परिमंडल की कानून व्यवस्था इस समय काफी खस्ता है। जगह-जगह जुआघर, डांसबार और रुपये लेकर फर्जी एफआईआर दर्ज करने जैसे अनेकों मामले हर दिन अखबारों की सुर्खियां बने हुए हैं। इसी तरह का एक मामला अंबरनाथ पूर्व छत्रपति शिवाजी नगर पुलिस स्टेशन के खोजी दस्ते के एक पुलिसकर्मी संभाजी काले और उसके साथ छापे में गये सहयोगियों का है, जिन्होंने पूरा का पूरा 90 ग्राम एमडी पावडर हजम कर लिया न एफआईआर न जांच मामला सिधा रफा-दफा उसका विडियो यु टियुब पर मौजूद है। कयी खबरों के बाद भी न उपायुक्त की आंखे खुली और न ही सहायक आयुक्त की, इसी तरह उल्हासनगर के एक व्यापारी की दुकान में देशी कट्टा रखवाकर उसे गिरफ्तार कर लिया था। वह मामला मुंबई उच्च न्यायालय में पहुंचा न्यायपालिका द्वारा जांच का निर्देश दिया गया परंतु अबतक क्या जांच हुई कौन-सा पुलिस अधिकारी कर्मचारी शामिल था, उनपर क्या कार्यवाही हुई? इसी तरह कई नई पुरानी अर्जियों पर रुपये लेकर डीसीपी पाठारे साहब ने संबंधित पुलिस स्टेशनों को आदेश देकर एफआईआर दर्ज करवाया, जिसका ठीकरा वरिष्ठ निरीक्षकों पर फूटा? पाठारे साहब ने अवैध वसूली करने के लिए तीन कलेक्टर रख छोड़े हैं। उसमें से एक तो कडोमपा के अतिक्रमण विभाग की सुरक्षा में तैनात है परंतु सारा दिन उल्हासनगर में भटकता रहता है और रातको श्रीराम चौक के एंजल डांसबार पर तैनात रहता है। कहा जाता है इस डांसबार में उपायुक्त साहब का रुपया लगा है, रखवाली की जिम्मेदारी भी उनके खास आदमी की ही है। यह सब जांच का विषय है और जांच नवनियुक्त आयुक्त साहब को कराना चाहिए। इन सब विषयों की जांच के लिए एक कमेटी गठित कर जांच करवायें ताकि पुलिस विभाग पर लगे कलंक को धोया जा सके। पिछले पुलिस आयुक्त जयजीतसिंह ने तो यह उम्मीद पूरी की नहीं, परंतु अब नये आयुक्त आशुतोष डुंबारे से लोगों को काफी उम्मीदें बंधी हैं।
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