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उल्हासनगर के लिए श्राप बने नोडल अधिकारी गणेश शिम्पी पर कब होगी कार्यवाही?

मुख्यमंत्री शिंदे के आदेश का अक्षरसह पालन होगा, कोर्ट को तो उमनपा मानती नहीं। 
    गणेश शिंपी 

उल्हासनगर : नागपुर शीतकालीन अधिवेशन के अंतिम दिन जवाब देते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र की सभी महानगर पालिकाओं व नगरपालिकाओं के प्रशासकों, आयुक्तों व मुख्या- धिकारियों को अवैध निर्माण रोकने व हुए अवैध निर्माणों पर सख्त कार्यवाही का आदेश मुख्यमंत्री के इस आदेश के बाद अधिकारियों साहित अवैध निर्माणकर्ताओ में काफी हड़कंप मच गया है। 

मुख्यमंत्री शिंदे के कड़े आदेश के बाद गुरूवार 21 तारीख को उल्हासनगर महानगर पालिका प्रसाशक/आयुक्त अजीज शेख व अतरिक्त आयुक्त जमीर लेंगरेकर ने इस विषय मे सभी प्रभागों के प्रभाग अधिकारियों की एक बैठक बुलाई और शहर मे चल रहे अवैध निर्माणों पर सख्त तोड़क कार्यवाही के साथ ही एमआरटीपी एक्ट के तहत गुन्हा पंजीकृत करने का आदेश दिया। आयुक्त/प्रसाशक अजीज शेख के आदेश के बाद कैम्प क्रमांक 2 भारत मार्बल के समीप सरकारी भूखंड पर बनायी जा रही कई दुकानों पर नोडल अधिकारी गणेश शिंपी व प्रभाग-2, के प्रभाग अधिकारी जेठानंद की अगुवाई में तोड़क कार्यवाही किया गया। महापालिका की अवैध निर्माणों के खिलाफ छेड़ी गयी यह मुहीम एक ही अवैध निर्माण के लिए थी या और भी अवैध निर्माणों पर होगी यह तो वक्त ही बतायेगा। कई बार इस तरह के आदेश आये और इक्का दुक्का कार्यवाही के बाद वह आदेश न जाने कहाँ चले गये। आज के समय में उल्हासनगर मनपा क्षेत्र में दर्जनों आरसीसी के साथ ही एक मंजिला व दो मंजिला अवैध टियर गाटर का निर्माण जारी है। 
दो चार दिन पहले ही एबीआई नामक एक समाचार पोर्टल पर अवैध निर्माणों पर अंकुश लगाने के लिए बनाए गये नोडल अधिकारी "गणेश शिम्पी पुराण" शिर्षक आधारित एक खबर प्रसारित हुई थी। जिसमें शिंपी का पूरा कच्चहा चिट्ठा खोला गया है। साथ ही बचा हुआ अगले अंक में लिखने का वादा भी किया गया है।खबर में बताया गया है कि आठ सौ की छोटी सी तनख्वाह में गैरसरकारी नौकर शिंपी एक मंत्री की छत्रछाया में कैसे भ्रष्टाचार कर बन गये अरबों खरबों रुपये की चल अचल संपत्ति के मालिक, यह संपत्ति हर दिन डांसबार में उड़ाये जाने के बाद भी खत्म नहीं हो रही है। कहानी में अय्याश गणेश शिम्पी ने एक कनिष्ठ महिला कर्मचारी को पदोन्नति देने के लिए अपने साथ रात सहवास का आग्रह किया था और इसी कारण दुखी होकर उसके भाई ने उमनपा प्रांगण में लगी महात्मा गाँधी और बाबा साहेब आंबेडकर के पुतले के सामने आत्मदहन कर लिया था। उस आरोप में भी उल्हासनगर के मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में आरोप दर्ज है। परंतु शिंपी को मुवत्तल कर जांच कराकर जेल भेजने के बजाय पदोन्नति पर पदोन्नति दिया जा रहा है। शिवसेना के मंत्री का वरदहस्त जो प्राप्त है। भारत देश का कानून मंत्रियों का गुलाम जो ठहरा। मंत्रियों का कोई धर्म इमान तो होता नहीं वर्ना ऐसे घिनौने आदमी को बचाने जैसा घृणित पाप कौन कर सकता है? अब लोग तो यह कहने लगे हैं कि गणेश शिम्पी को नोडल अधिकारी अवैध निर्माण को बढ़ावा देकर मंत्रियों और स्थानीय नेताओं को कमाकर देने के लिए ही बनाया गया था। 

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