उल्हासनगर मनपा व बस चालक की लापरवाही से बीस वर्षिय युवक की मौत।
उल्हासनगर: उल्हासनगर महानगर पालिका हद के शहाड चोपड़ा कोर्ट के मध्य, सिमेंट रोड पर पड़े गड्ढे में मोटरसाइकिल का चक्का जाने से मोटरसाइकल फिसल गई और बस के अगले टायर के नीचे गिरकर 20 वर्षिय युवक को अपनी जान गंवानी पड़ी। चालक चालू बस छोड़कर हुआ फरार। पुलिस ने मौकये वारदात पर पहुंचकर बस ताबे में लिया और लाश को उल्हासनगर के मध्यवर्ती अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
उल्हासनगर महानगरपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण न जाने कितने और युवाओं, महिला,पुरुषों,प्रौढ़ों, बुजुर्गों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा? हर वर्षा ऋतु में सड़कों पर बने गड्ढों के कारण दो चार लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। इसी प्रकार की एक असामयिक मौत का मामला सामने आया है जहाँ 25 अगस्त 2023 की रात 8 बजे के दरम्यान शहाड से चोपड़ाकोर्ट जानेवाली रोड पर सांईज्योत डिस्पेंसरी के सामने एक बस चालक जो मोटर साइकिल से आगे निकल जाने की होड़ में था, ले बैठा एक 20 वर्षिय नवयुवक डेविड मिश्रा की जान। बतादें दो नवयुवक एक लाल रंग की बजाज पल्सर बाईक जिसका क्रमांक MH05-I-3091 पर सवार होकर चोपड़ा कोर्ट की तरफ जा रहे थे, बगल से उसी तरफ S N ट्रैवल की एक जिसका क्रमांक MH04-FK-1665 है वह भी जा रही थी। सड़क और ब्लाक के बीच एक गड्ढा ऐसा बना हुआ है, जिसमें मोटरसायकिल (बाइक) का अगला टायर अगर चला जाय और बाइकसवार घुमाने की कोशिश करे तो, वह गिरे बगैर बच नहीं सकता है। शायद यही गलती मोटर साईकिल सवार द्रविड़ मिश्रा से हुई और वह बांयी तरफ गिरने की बजाय दाहिनी ओर गिर गया और बस के अगले टायर के नीचे आकर अपनी जान गंवा दी। आश्चर्य की बात यह है कि आजकल बस और ट्रक चालक अपने साथ दाहिनी तरफ ध्यान रखने के लिए क्लीनर लेकर नहीं चलते जबकि चालक का ध्यान आगे की ओर होता है। बांयी तरफ से बस या ट्रक के नीचे कौन आ जा रहा है यह देखना और समझना चालक के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। इस तरह एक क्लीनर की तनख्वाह बचाने के लिए और न जाने कितने ही मासूमों की जान ले लेंगे यह ट्रांसपोर्ट कंपनी वाले। सरकार व यातायात विभाग इस और कब ध्यान केंद्रित करेगा? सीमेंट की सड़कों में हो रहे गड्ढों को भरने के लिए मनपा के पास कोई संसाधन नहीं हैं। परंतु मनपा शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं, इससे यह लगता है। शहर के लोगों के जीवन से शायद कुछ लेना देना नहीं है, आखिर कब इन मौतों के लिए जिलाधीश व मनपा आयुक्त को जिम्मेदार ठहराकर उनको जेल भेजा जायेगा? जब कभी इस तरह का कानून बनेगा उसी दिन से सड़कों पर हो रही ऐसी दुर्घटनाओं की संख्या न के बराबर बचेगी। देखना होगा कि सरकार इन दुर्घटनाओं के लिए सड़क निर्माण की जांच और भुगतान करने वाले अभियंताओं, उपायुक्त, आयुक्त और जिलाधिकारी को कब मौत का जिम्मेवार मानकर उनपर मुकदमा दर्ज करती है?
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