आयुक्त अजीज शेख. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
उल्हासनगर : अग्निपर्व टाइम्स की खबर का असर पर्यावरण विभाग और उल्हासनगर मनपा कर्मियों ने सब्जी विक्रेताओं व छोटे दुकानदारों से दंड वसूला तथा कुछ पन्नियां व प्लास्टिक साहित्य जब्त किया। कारखानों व गोदामों का पता उमनपा नहीं लगा पाई! एक हफ्ताखोर छुटभैया नेता दुकानें बंद करवाने व खुलवाने का करता रहा ड्रामा।
महाराष्ट्र राज्य व भारत देश में एक ही बार उपयोगी (singal use) थैलियों व अन्य कई प्रकार के प्लास्टिक सामानों पर प्रतिबंध होने के बावजूद धड़ल्ले से शहर में प्रतिबंधित पन्नी व चम्मच जैसे कई प्रकार के सामान बनाने वाले कारखाने स्वछंद रुप से चल रहे हैं। कैंप-2, गजानन कंपाउंड, अग्रवाल कंपाउंड व कैम्प क्र. 3, पहलमल कंपाउंड, मुरलीधर कंपाउंड में प्लास्टिक फैक्ट्रियां शुरू हैं। इन फैक्ट्रियों को छोड़कर ठेला गाड़ियों व दुकानों पर छापेमारी कर उल्हासनगर महानगरपालिका के कर्मचारी अपनी पीठ थपथपा लेते हैं। और हर महीने की दस-बारह तारीख को उल्हासनगर कैम्प क्रमांक -2 के एक दलबदलू छुटभैये नेता के कार्यालय में हफ्ता लेने पहुंच जाते हैं। कुछ बड़े अधिकारियों व नेताओं को उनका हिस्सा उनके स्थान पर ही पहुंच जाता है। पिछले दिनों अपने बयान में राकांपा प्रवक्ता कमलेश निकम ने एक चैनल के साक्षात्कार के दौरान खुलेआम बताया था, कि यह बंदर की तरह उछलकूद मचानेवाला खंडनी लेने और बांटने के लिए ही व्यापारियों का संगठन बनाकर उसका अध्यक्ष बन बैठा है। और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्लास्टिक बंदी मिशन को ठेंगा दिखाने वाले इस दलबदलू को भाजपा विधायक कुमार आयलानी का भी समर्थन प्राप्त है। इसीलिए शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है कि उल्हासनगर भाजपा के 90 प्रतिशत लोग भाजपा के विचारों से नहीं बल्कि फायदा कमाने के लिए जुड़े हैं। और भाजपा के साफ़ सुथरी पार्टी होने की अपनी छवि पर लांक्षन लग रहा है।
आश्चर्य की बात है कि उल्हासनगर मनपा व पर्यावरण विभाग सांप छोड़कर लकीर पीट-पीटकर वाह वाही लूट रहा है। उल्हासनगर शहर में ज्यादातर संगठन जनहितार्थ कार्यों के लिए नहीं बनाये गये हैं बल्कि व्यापारियों को गलत कार्यो के लिए प्रोत्साहित कर आम जनता को तकलीफ देने के लिए बनाए गए हैं। यही कारण है कि शहर अस्त व्यस्त शहर बन गया है। व्यापारियों ने फुटपाथ कब्जा कर अपना व्यापार जमा रखा है। शहर की हर दुकान व ठेले पर प्लास्टिक की थैलियों में भरकर सामान दिया जा रहा है। सड़कों पर पार्किंग फिर भी कुछ झूंठे व मक्कार नेता बता रहे हैं, शहर का विकास हुआ है और हो रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया हुआ है, फिर भी प्लास्टिक थैलियां व प्रतिबंधित साहित्य बनाने वाली फैक्ट्रियां बंद होने का नाम नहीं ले रही हैं।और शहर के कुछ नेता व छुटभैये पत्रकार हफ्ता लेकर पर्यावरण के साथ बेईमानी कर रहे हैं। शहर व पर्यावरण प्रेमियों मेें चर्चा है महानगरपालिका प्लास्टिक थैलियां कब बंद करेगी?
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