उल्हासनगर में गणेश शिंपी के भ्रष्टाचार का नंगानाच संवेदनहीन बनी बैठी है महाराष्ट्र सरकार,लोकतंत्र में नागरिकों का बुरा हाल भ्रष्टाचारी मालामाल !!
उल्हासनगर: उल्हासनगर महापालिका में गणेश शिंपी के भ्रष्टाचार का नंगानाच शिंपी पर कार्यवाही को लेकर राजेश नागदेव 66 दिनों से आजाद मैदान धरने पर फिर भी मिडिया, नेता विधायक, आयुक्त सभी संवेदनहीन बने बैठे हैं। कहने को लोकतंत्र है,सभी तंत्र आम जनता के लिए हैं परंतु देखा जाय तो भारत में आम नागरिकों का कोई मोल नहीं है।
उल्हासनगर महानगरपालिका भ्रष्टाचार के कारण कंगाली का दंश झेल रही है। जगह-जगह अवैध निर्माण चल रहा है। कई सरकारी प्लाट भी भू-माफियाओं ने हड़प लिए हैं। परंतु शहर के नेता, विधायक, आयुक्त इस भ्रष्टाचार पर मौन है। इसी प्रकार के भ्रष्टाचार में लिप्त एक भ्रष्टाचारी गणेशशिंपी के खिलाफ उल्हासनगर कैम्प क्रमांक-4 के रहवासी राजेश नागदेव 66 दिनों से मुंबई के आजाद मैदान में धरने पर बैठे हुए हैं। भ्रष्ट शिंपी के पास अपनी बात न बनती देख उल्हासनगर विधानसभा के विधायक कुमार आयलानी ने शिंपी के खिलाफ नगरविकास मंत्रालय को एक पत्र लिखकर जांच और कार्यवाही की मांग कर दिया था। परंतु जैसे ही शिंपी आयलानी के कार्यालय पंहुचकर नतमस्तक हुए और अपने भ्रष्टाचारी हाथों से पूजा कर प्रसाद चढ़ाया उनका क्रोध शांत हो गया और वे भी भ्रष्टाचार की बहती गंगा की धारा में बह निकले। उल्हासनगर के नेता हर बार जन विकास की बातें तो करते हैं परंतु उनके कर्तव्यों से दिखाई यह देता है कि "अपना काम बनता भाड़ में जाय जनता" वैसे यह बतादें राजेश नागदेव भाजपा के ही कल्याण पूर्व विधानसभा से विधायक गणपत गायकवाड़ की विधानसभा क्षेत्र के रहवासी हैं।
उल्हासनगर महानगर पालिका में रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े जाने और जेल जाने को पदोन्नति का मानक माना जाता है। यही कारण है कि रिश्वत लेते पकड़े गए गणेश शिंपी आज शहर के नोडल अधिकारी हैं। शिंपी के गुनाहों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है। इनपर उल्हासनगर के सभी पुलिस स्टेशनों में मामले दर्ज हैं। जैसे मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में दर्ज, (1)अदखलपात्र गुनाह रजि. क्र. 67/2018 भा.द.वि. 323, 504, 506, 34, (2) 1075/2019 भा.द.वि. 504, 506 इसी तरह मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में ही (3) रजि. क्र. 148/2011 अनुसार 306, 34, (4) रजि. क्र. 177/1201 अनुसार 354, 509, 504, 506, 34 सहित अ.जा.ज.अधिनियम 1989 की कलम 3 (1)(10)(11)(12), 2 (7) विठ्ठलवाडी पुलिसस्टेशन में (5) रजि. क्र. 15/2013 भ्रष्टाचार प्रतिबंधक अधि. अनु.सन 1988 की कलम 7, 13,(1) (ड) (2) हिललाइन पुलिसस्टेशन में चार मामले दर्ज हैं मामला क्र.(6) 68/2013 भा.द.सं. अनुसार 385, 389, 34, मामला क्र. (7) 1689/15 भा.द.सं. अनुसार 507, 506, (8) 438/16 भा.द.सं अनु. 507,506 (9) 1199/17 अनु. 323, 504 इस तरह गणेशशिंपी के खिलाफ उल्हासनगर, मध्यवर्ती व विठ्ठलवाडी पुलिस स्टेशन मिलाकर नौं मुकदमे दर्ज हैं और 14 अर्जियां दाखिल हैं। इनमें से कई अर्जियों पर अभी जांच शुरू है तो कई कार्यवाहियों के लिए आयुक्त के पास भेज दी गयीं है। यही नहीं शिंपी पर कार्यवाही करने के लिए प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति व राज्यपाल कार्यालयों से भी कई पत्र आयें हैं। परंतु अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई इससे जाना जा सकता है। महाराष्ट्र में शासन प्रशासन के भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहराई तक हैं।
अगर आप महाराष्ट्र के नागरिक हैं तो आप जानते होंगे कि एक आम नागरिक पर एक अदखलपात्र मामला दर्ज होने पर दो पुलिस कर्मी आते हैं और घसीटते हुए पुलिसस्टेशन ले जाते हैं। यही नहीं अगर किसी पर दो मामले दर्ज हो जाते हैं तो उसपर चाप्टर और तड़ीपार करने की कोशिश की जाती है। परंतु एक भ्रष्टाचारी सरकार को इतना प्यारा है की उसकी जांच और बर्खास्तगी के लिए एक आम शहरी 66 दिनों से धरने पर बैठा है परंतु सरकार आम नागरिक की चिंता न करते हुए आंखे मूंदे हुए बैठी हुई है। यह है एक आम आदमी की किमत। एक ओर जहाँ भाजपा शासित प्रदेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक आम भारतीय के दुख को देखकर द्रवित हो आते हैं वहीं महाराष्ट्र की भाजपा शिवसेना शासित प्रदेश महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री को आम नागरिकों से ज्यादा भ्रष्टाचारी लिपिक गणेश शिंपी की चिंता है।
उल्हासनगर महानगरपालिका भ्रष्टाचार के कारण कंगाली का दंश झेल रही है। जगह-जगह अवैध निर्माण चल रहा है। कई सरकारी प्लाट भी भू-माफियाओं ने हड़प लिए हैं। परंतु शहर के नेता, विधायक, आयुक्त इस भ्रष्टाचार पर मौन है। इसी प्रकार के भ्रष्टाचार में लिप्त एक भ्रष्टाचारी गणेशशिंपी के खिलाफ उल्हासनगर कैम्प क्रमांक-4 के रहवासी राजेश नागदेव 66 दिनों से मुंबई के आजाद मैदान में धरने पर बैठे हुए हैं। भ्रष्ट शिंपी के पास अपनी बात न बनती देख उल्हासनगर विधानसभा के विधायक कुमार आयलानी ने शिंपी के खिलाफ नगरविकास मंत्रालय को एक पत्र लिखकर जांच और कार्यवाही की मांग कर दिया था। परंतु जैसे ही शिंपी आयलानी के कार्यालय पंहुचकर नतमस्तक हुए और अपने भ्रष्टाचारी हाथों से पूजा कर प्रसाद चढ़ाया उनका क्रोध शांत हो गया और वे भी भ्रष्टाचार की बहती गंगा की धारा में बह निकले। उल्हासनगर के नेता हर बार जन विकास की बातें तो करते हैं परंतु उनके कर्तव्यों से दिखाई यह देता है कि "अपना काम बनता भाड़ में जाय जनता" वैसे यह बतादें राजेश नागदेव भाजपा के ही कल्याण पूर्व विधानसभा से विधायक गणपत गायकवाड़ की विधानसभा क्षेत्र के रहवासी हैं।
उल्हासनगर महानगर पालिका में रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े जाने और जेल जाने को पदोन्नति का मानक माना जाता है। यही कारण है कि रिश्वत लेते पकड़े गए गणेश शिंपी आज शहर के नोडल अधिकारी हैं। शिंपी के गुनाहों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है। इनपर उल्हासनगर के सभी पुलिस स्टेशनों में मामले दर्ज हैं। जैसे मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में दर्ज, (1)अदखलपात्र गुनाह रजि. क्र. 67/2018 भा.द.वि. 323, 504, 506, 34, (2) 1075/2019 भा.द.वि. 504, 506 इसी तरह मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में ही (3) रजि. क्र. 148/2011 अनुसार 306, 34, (4) रजि. क्र. 177/1201 अनुसार 354, 509, 504, 506, 34 सहित अ.जा.ज.अधिनियम 1989 की कलम 3 (1)(10)(11)(12), 2 (7) विठ्ठलवाडी पुलिसस्टेशन में (5) रजि. क्र. 15/2013 भ्रष्टाचार प्रतिबंधक अधि. अनु.सन 1988 की कलम 7, 13,(1) (ड) (2) हिललाइन पुलिसस्टेशन में चार मामले दर्ज हैं मामला क्र.(6) 68/2013 भा.द.सं. अनुसार 385, 389, 34, मामला क्र. (7) 1689/15 भा.द.सं. अनुसार 507, 506, (8) 438/16 भा.द.सं अनु. 507,506 (9) 1199/17 अनु. 323, 504 इस तरह गणेशशिंपी के खिलाफ उल्हासनगर, मध्यवर्ती व विठ्ठलवाडी पुलिस स्टेशन मिलाकर नौं मुकदमे दर्ज हैं और 14 अर्जियां दाखिल हैं। इनमें से कई अर्जियों पर अभी जांच शुरू है तो कई कार्यवाहियों के लिए आयुक्त के पास भेज दी गयीं है। यही नहीं शिंपी पर कार्यवाही करने के लिए प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति व राज्यपाल कार्यालयों से भी कई पत्र आयें हैं। परंतु अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई इससे जाना जा सकता है। महाराष्ट्र में शासन प्रशासन के भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहराई तक हैं।
अगर आप महाराष्ट्र के नागरिक हैं तो आप जानते होंगे कि एक आम नागरिक पर एक अदखलपात्र मामला दर्ज होने पर दो पुलिस कर्मी आते हैं और घसीटते हुए पुलिसस्टेशन ले जाते हैं। यही नहीं अगर किसी पर दो मामले दर्ज हो जाते हैं तो उसपर चाप्टर और तड़ीपार करने की कोशिश की जाती है। परंतु एक भ्रष्टाचारी सरकार को इतना प्यारा है की उसकी जांच और बर्खास्तगी के लिए एक आम शहरी 66 दिनों से धरने पर बैठा है परंतु सरकार आम नागरिक की चिंता न करते हुए आंखे मूंदे हुए बैठी हुई है। यह है एक आम आदमी की किमत। एक ओर जहाँ भाजपा शासित प्रदेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक आम भारतीय के दुख को देखकर द्रवित हो आते हैं वहीं महाराष्ट्र की भाजपा शिवसेना शासित प्रदेश महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री को आम नागरिकों से ज्यादा भ्रष्टाचारी लिपिक गणेश शिंपी की चिंता है।
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