भ्रष्टाचार हावी राजेश नागदेव २२ दिन से आजाद मैदान में सुनेगा कौन?
अपटा निज संवाददाता
उल्हासनगर : उल्हासनगर मनपा में नगरसेवक पद पर रहते हुए ज्योती रमेश चैनानी ने नियम कानून को दरकिनार कर अवैध बंगले का निर्माण किया, तोड़क कार्यवाही हेतु गणेश शिंपी ने निकाला नोटिस परंतु कार्यवाही करने की बजाय ले देकर मामले को रफा-दफा कर दिया। इस बात को लेकर राजेश नागदेव मुंबई के आजाद मैदान पर धरना दे रहे हैं। लिपिक रहते हुए 25 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े जाने के बाद भी गणेश शिंपी को पदोन्नति देकर बनाया गया नोडल अधिकारी। मुकदमें का अभी निस्तारण भी नहीं हुआ है। जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत बताया गया है कि उल्हासनगर महापालिका में नोडल अधिकारी जैसा कोई पद नहीं है। उसके बाद भी रिश्वतखोर कनिष्ठ लिपिक (Clerk) को नोडल अधिकारी बनाया गया। राजेश नागदेव
अपटा निज संवाददाता
उल्हासनगर : उल्हासनगर मनपा में नगरसेवक पद पर रहते हुए ज्योती रमेश चैनानी ने नियम कानून को दरकिनार कर अवैध बंगले का निर्माण किया, तोड़क कार्यवाही हेतु गणेश शिंपी ने निकाला नोटिस परंतु कार्यवाही करने की बजाय ले देकर मामले को रफा-दफा कर दिया। इस बात को लेकर राजेश नागदेव मुंबई के आजाद मैदान पर धरना दे रहे हैं। लिपिक रहते हुए 25 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े जाने के बाद भी गणेश शिंपी को पदोन्नति देकर बनाया गया नोडल अधिकारी। मुकदमें का अभी निस्तारण भी नहीं हुआ है। जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत बताया गया है कि उल्हासनगर महापालिका में नोडल अधिकारी जैसा कोई पद नहीं है। उसके बाद भी रिश्वतखोर कनिष्ठ लिपिक (Clerk) को नोडल अधिकारी बनाया गया। राजेश नागदेव
उल्हासनगर मनपा में स्टेनो (क्लर्क) के पद पर पदस्थ होते ही गणेश शिंपी ने तत्कालीन आयुक्त के नामपर 25 हजार रुपये की रिश्वत ली, रुपये लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गये। उस रिश्वत कांड का मुकदमा आज भी भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा १९८८, पंजीकरण संख्या-२, १५/२०१३, कलम-६, के तहत (१३)(१)(ड)(२) कल्याण सत्र न्यायालय में लंबित है। फिर भी शिंपी को पदोन्नति दी गई जबकि शिंपी ने उल्हासनगर शहर को अवैध शहर बना दिया। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार कई अवैध निर्माण में शिंपी की हिस्सेदारी भी है। अवैध निर्माणों और भूमी हड़पने के व्यापार में शिंपी ने अरबों रुपये कमाए। शायद उन रुपयों में से कुछ हिस्सा नगरविकास मंत्रालय तक पहुंचाये हैं, यही कारण है कि उनके खिलाफ बोलने वाले की नहीं सुनी जाती। शिंपी भ्रष्ट ही नहीं अय्याश भी हैं। यही कारण है कि उनके मातहत कार्यरत महिला कर्मचारी ने छेड़छाड़, हाथापाई के अलावा हत्या के प्रयास का मामला दर्ज करवाया जो उल्हासनगर के मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में निम्न धाराओं के तहत दर्ज है। रजि.नं.१, १४८/२०११ भा.द.सं की धारा ३०६/३४, गु.रजि.नं.१,१७७/२०११ व भा.द.सं. की धारा ३५४,५०९,५०४,५०६/३४, व अ.आ.ज. नियम की धारा १९८९/३ (१)(१०) (११) (१२) २ (७) जातिवाचक शब्दों का प्रयोग कर प्रताड़ित करना व गाली देने के तहत दर्ज है।
गणेश शिंपी की कारगुजारियों से नाराज राजेश नागदेव ने आजाद मैदान का रुख़ किया और वहाँ जाकर धरने पर बैठे आज २२ दिन बीत गये पर उनकी सुध लेने की फुर्सत किसी अधिकारी नेता व मिडिया को नहीं है। अब देखना होगा कि महाराष्ट्र सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही कर गणेश शिंपी की बर्खास्तगी कर उन्हें जेल भेजती है या उन्हें अभयदान देती रहती है। महाराष्ट्र शहरी विकास मंत्रालय से पत्राचार करने के अलावा दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर धरना दिया गया। भारत देश के राष्ट्रपति को भी पत्र लिखा गया जहाँ से प्रमाणपत्र व पत्र आया जिसमें कार्यवाही का आश्वासन था। परंतु महाराष्ट्र सरकार ने प्रधानमंत्री की भी नहीं सुनी और भ्रष्ट गणेश शिंपी को उल्हासनगर महानगरपालिका में नोडल अधिकारी बना दिया गया। इससे आप समझ सकते हैं कि महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार भ्रष्टाचार के प्रति कितनी असंवेदनशील है। अब देखना है कि राजेश नागदेव और कितने दिनों तक अपना कामकाज छोड़ आजाद मैदान में बैठे रहते हैं? और कार्यवाही होती भी है या नहीं।
गणेश शिंपी की कारगुजारियों से नाराज राजेश नागदेव ने आजाद मैदान का रुख़ किया और वहाँ जाकर धरने पर बैठे आज २२ दिन बीत गये पर उनकी सुध लेने की फुर्सत किसी अधिकारी नेता व मिडिया को नहीं है। अब देखना होगा कि महाराष्ट्र सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही कर गणेश शिंपी की बर्खास्तगी कर उन्हें जेल भेजती है या उन्हें अभयदान देती रहती है। महाराष्ट्र शहरी विकास मंत्रालय से पत्राचार करने के अलावा दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर धरना दिया गया। भारत देश के राष्ट्रपति को भी पत्र लिखा गया जहाँ से प्रमाणपत्र व पत्र आया जिसमें कार्यवाही का आश्वासन था। परंतु महाराष्ट्र सरकार ने प्रधानमंत्री की भी नहीं सुनी और भ्रष्ट गणेश शिंपी को उल्हासनगर महानगरपालिका में नोडल अधिकारी बना दिया गया। इससे आप समझ सकते हैं कि महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार भ्रष्टाचार के प्रति कितनी असंवेदनशील है। अब देखना है कि राजेश नागदेव और कितने दिनों तक अपना कामकाज छोड़ आजाद मैदान में बैठे रहते हैं? और कार्यवाही होती भी है या नहीं।
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