उल्हासनगर : उल्हासनगर शहर के मध्य से बहने वाली वालधूनी नदी आज नाला बनकर रह गई है। परंतु अब भी भू-माफिया और उल्हासनगर महानगरपालिका के भ्रष्ट अधिकारियों का मन नहीं भरा अब नाली बनाने की ओर अग्रसर हैं। नदी में भराव डालकर जलभराव (CRZ) की जमीन कब्जा कर उसपर बनाई जा रही है, दुकानें और मकान इस तरह करोड़ो रुपये की जमीन भू-माफिया कब्जा कर उमनपा आयुक्त और गणेश शिंपी की जेबें भर देगा परंतु शहर के पर्यावरण का क्या होगा? वर्षा के दिनों में पानी क्या सड़कों पर बहेगा? यह विचार शहर के विधायक और कथित नेताओं के मन में क्यों नहीं आ रहा है। शहर के नेताओं ने "नाली, गटर, मैदान, गार्डन, फुटपाथ तक बेच खाया अब नदी बेचने की बारी है? सभी आंखे मूंदकर बिल्ली की तरह मलाई खा रहे हैं और सोच रहे हैं कोई देख नहीं रहा है।
ज्ञात हो कि पहले नेता जनता की भलाई के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया करते थे, परंतु आज खासकर उल्हासनगर में सरकारी जमीन हड़पने के लिए, अवैध निर्माण करने के लिए या फिर तोड़पानी (मांडवली) दलाली करने के लिए नेता बनते हैं। उल्हासनगर के निन्यानवे प्रतिशत नेता यही कार्य कर रहे हैं।
उल्हासनगर शहर की हालत ऐसी हो गई है कि कई जगह नाले पाटकर कब्जा कर लिए गये कई इमारतें नालों पर बनी हैं या इतनी सटी हुई हैं कि नाला साफ नहीं किया जा सकता है। हल्की सी बरसात में शहर के रास्तों पर पानी भर जाता है। फिर भी किसी की आंखे नहीं खुलती हैं। आयुक्त अजीज शेख को गिरेबान से पकड़ कर यह नहीं पूछता की अतिक्रमण विभाग सिर्फ तनख्वाह लेने और अवैध निर्माणों से वसूली के लिए बनाया गया है। या फिर शहरहित में भी कोई कार्य करेगा? वालधुनी नदी के किनारे कई जगहों पर अतिक्रमण हुआ है बजाय इसके कि वह अतिक्रमण हटाया जाय और अतिक्रमण करवाया जा रहा है। अब उल्हासनगर शहर का भगवान ही मालिक है।
"बर्बाद गुलिश्ता करने को एक ही उल्लू काफी है
हिराली फाउंडेशन नामक संस्था जो उल्हासनगर की बचीखुची हरियाली बचाने के लिए हर समय प्रयासरत है। उन्होंने नदी के आसपास चल रहे अवैध निर्माणों की फोटोग्राफी कर फेसबुक पर अपलोड किया है और उल्हासनगर मनपा आयुक्त/प्रशासक के अलावा संबंधित विभागों को मेल भी किया है। ताकि नदी बचाई जा सके अब आगे देखना है कि वालधुनी नदी बचती है या अन्य जगहों की तरह यह भी कब्जा हो जाती है।
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