प्रतिनिधि
उल्हासनगर : महाराष्ट्र में सिंगलयुज प्लास्टिक थैलियों पर प्रतिबंध होने के बावजूद उल्हासनगर शहर के कई ठिकानों पर इस तरह की पन्नी बनाने वाले कारखाने स्वछंद रुप से चल रहे हैं। यही कारण है कि एक ही बार उपयोगी प्लास्टिक की थैलियां हर फेरीवाले व हर दुकान पर धड़ल्ले से मिल रही हैं और उपयोग में लायी जा रही हैं। पन्नियां बंद हैं। मनपा कर्मचारियों और पर्यावरण विभाग के लोगों का हर महीने बंधा हुआ हफ्ता बंद न हो जाय इसलिए दिखावे के लिए इक्का दुक्का दुकानों पर कार्यवाही कर दिया जाता है।
सिंगलयुज पन्नियां बनाने वाली फैक्ट्रियों को छोड़कर छोटे मोटे तौर पर ठेला गाड़ियों पर छापेमारी कर उल्हासनगर महानगरपालिका के कर्मचारी अपनी पीठ थपथपा लेते हैं। और हर महीने की दस से बारह तारीख को अपना हफ्ता लेने पहुंच जाते हैं। वैसे कुछ बड़े अधिकारियों और नेताओं को उनका हिस्सा उनके स्थान पर पहुंचा कर मिलता है। यही कारण है कि उल्हासनगर में इन प्लास्टिक थैलियों के उत्पादन पर कोई रोक नहीं लग पा रही है। यह प्लास्टिक बनाने वाले कारखाने बिना किसी वैध परमीशन के चल रहे हैं। फिर भी महानगरपालिका चल रही फैक्ट्रियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। इसलिए यह देखा गया है कि उल्हासनगर की हर दुकान पर ग्राहकों को प्लास्टिक की थैलियों में भरकर सामान दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। फिर भी प्लास्टिक की थैलियां बनाने वाली फैक्ट्रियां बंद नहीं हो रही हैं। और उल्हासनगर में चल रही इन फैक्ट्रियों में प्लास्टिक की थैलियों का उत्पादन बदस्तूर जारी है। कैंप-2, में गजानन कंपाउंड व अग्रवाल कंपाउंड में प्लास्टिक पन्नियां बनाने वाली फैक्ट्रियां हैं। उल्हासनगर कैम्प क्र.-3, पहलूमल कंपाउंड व मुरलीधर कंपाउंड में प्लास्टिक की फैक्ट्री हैं और यह फैक्ट्रियां सुचारू रूप से चल रही है क्योंकि इन फैक्ट्रियों के मालिक नगर निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों व कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं को हर माह हफ्ता दे रहे हैं। इस तरह बेईमान लोग पर्यावरण संरक्षण के साथ भी बेईमानी कर रहे हैं। उल्हासनगर शहर के पर्यावरणप्रेमी पूछ रहे हैं कि महानगरपालिका प्लास्टिक थैलियों के कारखानों को कब बंद करेगी? पर्यावरण संरक्षण विभाग कब जागेगा?
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