अपटा निज संवाददाता
उल्हासनगर: ठाणे पुलिस आयुक्तालय अंतर्गत आने वाले उल्हासनगर में शहाड स्टेशन के पास 25 फरवरी 2023 के सांयकाल छह बजे के दरम्यान एक काले- पीले सवारी आटो रिक्शे पर दो तीन बोरे में गुटखा भरकर लाया गया था। मोटर साइकिल पर आये एक व्यक्ति ने अपने आपको नारकोटिक्स विभाग का अधिकारी बताकर वह माल पकड़ लिया। गुटखे के बोरे को जब्त न करने और मुकदमें से बचाने के लिए पच्चीस हजार मांगने लगा, मोलभाव कर दस हजार लिए और चलता बना।
गोल घेरे में है नारकोटिक्स अधिकारी बताकर 10 हजार लेने वाला
उल्हासनगर में लगभग हर पान व किराना दुकान पर प्रतिबंधित गुटखा पान मसाला बिकता है। यही कारण है कि ठाणे और मुंबई के पुलिस वाले भी वसूली के लिए उल्हासनगर खिंचे चले आते हैं। देखा गया है कि शहाड स्टेशन के बाहर उल्हासनगर पुलिस स्टेशन की हद में आधा दर्जन से अधिक ठेले लगते हैं, उन ठेलों पर खुलेआम लटका कर प्रतिबंधित गुटखा बेचा जाता है। जिसकी खबर कई बार अग्निपर्व टाइम्स ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है परंतु उस खबर का संज्ञान न ही खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने लिया और न ही पुलिस प्रशासन ने। आज भी सुबह शाम दोनों समय गुटखा सरेआम बिकता है। परंतु आज खबर यह नहीं है कि वहाँ गुटखा विकता है।
महाराष्ट्र में प्रतिबंधित गुटखा
आज की कहानी तो कुछ और ही है। शहाड उड़ान पुल के नीचे और आसपास लगने वाले ठेलों पर बेचने के लिए 25 फरवरी की सायं छह बजे के आसपास एक सवारी आटो रिक्शा में भरकर गुटखा लाया गया। माल उतारने ही वाले थे तभी एक व्यक्ति आम लोगों की तरह कपड़े पहने हुए रिक्शे के करीब आकर बोला "मैं नारकोटिक्स विभाग से हूँ चलो पुलिस स्टेशन" यह सुनकर रिक्शा चालक और माल लानेवाले दोनों के होश उड़ गये। वे गिड़गिड़ा कर कहने लगे साहब कुछ लेकर छोड़ दो। परंतु साहब ने एक न सुनी और रिक्शे पर बैठ गये। रिक्शे को 'सी' ब्लाक रोड की ओर चलने को कहा, पर थोड़ी दूर ले जाकर रोक कर साहब बोले 'बोल पच्चीस हजार देगा' सामने वाले ने कहा इतने तो नहीं हैं। फिर होतेकर्ते मामला दस हजार पर तय हुआ। साहब ने दस हजार लिए और कहा आज पच्चीस तारीख है। अगली छब्बीस तारीख यानी 26 मार्च को फिर आऊंगा सब ठेले वाले दो- दो हजार रुपये तैयार रखना और साहब बिना मुकदमा दर्ज किए दस हजार लेकर चले गये। न अपना नाम बताया और न ही पता। अग्निपर्व टाइम्स ने जब तस्वीर दिखा कर खोज बीन की तो पता चला नारकोटिक्स बताने वाले साहब कुछ वर्ष पहले उल्हासनगर पुलिस स्टेशन में कार्यरत थे इसलिए यहाँ के खबरियों से जान पहचान है। जिसका फायदा उठाने अब भी साहब चले आते हैं। यह कहानी पढ़कर आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि शहर में क्या चल रहा है और पुलिस प्रशासन सेवा के बदले क्या दे रहा है।
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