उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणविस. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
उल्हासनगर : मेट्रो रेल 5, का दायरा उल्हासनगर तक बढ़ाया जायगा। इसको लेकर उल्हासनगर 141 विधानसभा, विधायक कुमार आयलानी काफी उत्साहित हैं। कहते फिर रहे हैं कि उनकी मांग पर ही मेट्रो उल्हासनगर तक आनेवाली है? जबकि अभी कुछ महीने पूर्व ही कुमार आयलानी ने उमनपा सहायक आयुक्त व नोडल अधिकारी गणेश शिंपी जो रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए थे। जेल जाकर आये हुए हैं उनको पद से हटाने और उनकी संपत्ति की जांच कराये जाने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखा था। परंतु उस पत्र को मुख्यमंत्री व नगरविकास मंत्रालय ने कचरे की टोकरी में डाल दिया। उस पत्र का क्या हुआ यह बताने को विधायक तैयार नहीं हैं।
उल्हासनगर महानगरपालिका मे व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण उमनपा कंगाली का दंश झेल रही है। भ्रष्टाचार पर उल्हासनगर 141 विधानसभा विधायक कुमार आयलानी कभी मुखर नहीं होते। फिर भी जब किसी बात को लेकर उनकी अनबन गणेश शिंपी से हो गयी थी। तब उन्होंने गणेश शिंपी की जांच कर उनपर कार्यवाही करने की मांग महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से की थी। परंतु आजतक कार्यवाही नहीं हुई और शिंपी अब भी नोडल अधिकारी बनकर भ्रष्टाचार में व्यस्त हैं। मजे की बात यह है कि गणेश शिंपी कनिष्ठ लिपिक के पद पर भर्ती हुए थे। और उन्होंने उसी पद पर रहते हुए एक अवैध बांधकाम व्यवसायी से 25 हजार रुपये की रिश्वत तत्कालीन आयुक्त से मांडवली कराने के लिए लिया था। और रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े गये। रिश्वत लेने और पकड़े जाने के कारण उनके भाग्य खुल गये और वे उमनपा में पदोन्नति पाकर सहायक आयुक्त और फिर नोडल अधिकारी बन गये। शहर के भ्रष्ट नेता और नगरविकास मंत्री इसी तरह मेहरबान रहे तो अगले कुछ महीनों मे गणेश शिंपी उमनपा आयुक्त भी बन सकते हैं। अब लोग पूछ रहे हैं कि शिंपी के खिलाफ कुमार आयलानी द्वारा लिखे गये पत्र को जब संज्ञान में नहीं लिया मुख्यमंत्री ने तब मेट्रो रेल वाले पत्र पर कैसे संज्ञान लिया होगा?
उल्हासनगर महानगरपालिका में इस समय आयुक्त अजीज शेख, उपायुक्त प्रियंका राजपूत, उपायुक्त करूना जुइकर, शहर रचनाकार प्रकाश मुले, सहायक आयुक्त गणेश शिंपी के भ्रष्टाचार पर अनेकों फिल्में बन चुकी हैं और बन रही हैं। उल्हासनगर मनपा से एक वर्ष में तीन सहायक आयुक्तों के साथ 11 अन्य कर्मचारियों को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जब उल्हासनगर आये थे तब उन्होंने कहा था। हमने 1261 करोड़ रुपये उल्हासनगर मनपा को शहर विकास के लिए दिया है। अब वह रुपये कहां गये इसका हिसाब देने के लिए कोई तैयार नहीं है। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि इस बार सरकार ने ऐसा भ्रष्ट मनपा आयुक्त उल्हासनगर को दिया है कि वह ठेके की फाइल तैयार होते ही अपना हिस्सा मांगने लगता है। और दस प्रतिशत लिए बगैर कार्य आगे बढ़ने ही नहीं देता है। इस तरह 1261 करोड़ का 70 प्रतिशत उमनपा अधिकारियों, कर्मचारियों और नेताओं की तिजोरियों में पहुंच गये होंगे ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। शहर के विधायक हैं कि उनको शहर विकास का ज्ञान ही नहीं है। उनके कार्यालय के सामने बनी सड़क में एक महीने के भीतर ही सैकड़ों दरारें पड़ गयी यही नहीं पूरी सड़क पर एक भी चेंबर नहीं दिखाई देता जिससे यह अनुमान लगाया जा सके कि इस सड़क के नीचे से मलनि:शारण के लिए भूमिगत गटर की पाइप लाइन लगी हुई है। अमृत योजना के तहत जो 416 करोड़ मलनि:शारण के लिए आया है। उस रुपये को वापस भेज दिया जायेगा या फिर शहर में बन रही सीमेंट कांक्रीट सड़कों को फिर दो चार महीने बाद खोदकर शहर वासियों के गाढ़ी कमाई के रुपयों को बर्बाद करेंगी उमनपा?
उल्हासनगर महानगरपालिका में इस समय आयुक्त अजीज शेख, उपायुक्त प्रियंका राजपूत, उपायुक्त करूना जुइकर, शहर रचनाकार प्रकाश मुले, सहायक आयुक्त गणेश शिंपी के भ्रष्टाचार पर अनेकों फिल्में बन चुकी हैं और बन रही हैं। उल्हासनगर मनपा से एक वर्ष में तीन सहायक आयुक्तों के साथ 11 अन्य कर्मचारियों को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जब उल्हासनगर आये थे तब उन्होंने कहा था। हमने 1261 करोड़ रुपये उल्हासनगर मनपा को शहर विकास के लिए दिया है। अब वह रुपये कहां गये इसका हिसाब देने के लिए कोई तैयार नहीं है। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि इस बार सरकार ने ऐसा भ्रष्ट मनपा आयुक्त उल्हासनगर को दिया है कि वह ठेके की फाइल तैयार होते ही अपना हिस्सा मांगने लगता है। और दस प्रतिशत लिए बगैर कार्य आगे बढ़ने ही नहीं देता है। इस तरह 1261 करोड़ का 70 प्रतिशत उमनपा अधिकारियों, कर्मचारियों और नेताओं की तिजोरियों में पहुंच गये होंगे ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। शहर के विधायक हैं कि उनको शहर विकास का ज्ञान ही नहीं है। उनके कार्यालय के सामने बनी सड़क में एक महीने के भीतर ही सैकड़ों दरारें पड़ गयी यही नहीं पूरी सड़क पर एक भी चेंबर नहीं दिखाई देता जिससे यह अनुमान लगाया जा सके कि इस सड़क के नीचे से मलनि:शारण के लिए भूमिगत गटर की पाइप लाइन लगी हुई है। अमृत योजना के तहत जो 416 करोड़ मलनि:शारण के लिए आया है। उस रुपये को वापस भेज दिया जायेगा या फिर शहर में बन रही सीमेंट कांक्रीट सड़कों को फिर दो चार महीने बाद खोदकर शहर वासियों के गाढ़ी कमाई के रुपयों को बर्बाद करेंगी उमनपा?
उमनपा आयुक्त /प्रशासक अजीज शेख
महाराष्ट्र सरकार द्वारा उल्हासनगर महानगरपालिका को 170 करोड़ रुपए पानी की समस्या निवारण हेतु दिए गए हैं। परंतु उमनपा आयुक्त मोटे कमिशन के चक्कर में, वह रुपये फिर कोनार्क या फिर ईगल की झोली में डालने के चक्कर में हैं। बतादें यह वही कोनार्क कंपनी है जिसने जल आपूर्ति पाइप लाइन और घरों में मिटर लगाने का ठेका लिया था और ईगल कंस्ट्रक्शन कंपनी को अपना सहायक रखकर कार्य शुरू किया था। परंतु कार्य पूर्ण करने से पहले ही तीन गुना से ज्यादा रकम लेकर चंपत हो गयी। फिर भी कोनार्क जैसी भ्रष्ट कंपनी को कचरा उठाने का ठेका तीन गुने दाम पर दिया गया। दाम ही नहीं बढ़ाये गये तमाम संसाधन भी मुफ्त उपलब्ध कराये गये। यह आम जनता द्वारा कर रुप में जमा किए गए रुपयों पर डकैती नहीं हो रही है तो और क्या हो रहा है? उमनपा में हो रहे भ्रष्टाचार की इतनी खबरें चलने के बाद भी नगरविकास मंत्रालय चेतने को तैयार नहीं है और कहा यह जाता है कि जनहित में सरकार बनायी गयी है। जबकि दिखाई यह दे रहा लूटने के लिए सरकार बनायी गयी है। अब महाराष्ट्र और उल्हासनगर की जनता का राम ही मालिक है।
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