उल्हासनगर : उल्हासनगर महानगरपालिका क्षेत्र में आरक्षण सिर्फ कागज के नक्शे तक ही सीमित रह गया है। जगह पर कुछ और ही बन जाता है। शहाड स्टेशन के नजदीक महात्मा फुले चौक के बगल 'ए' ब्लाक रोड पर राणा ट्रेडिंग व आईस फैक्ट्री के भूखण्ड पर कोहिनूर प्राइम नामक बहुमंजिला इमारतों के एक संकुल का निर्माणकार्य शुरू है। जिस भूखण्ड पर संकुल का निर्माणकार्य शुरू है, वह भूखण्ड शहर विकास अराखड़े में बगिचे और बेघर लोगों को निवास स्थान देने के लिए आरक्षित है।
उल्हासनगर शहर में आरक्षित भूखण्डों पर फर्जी कागजातों के आधार पर मालिकाना हक (सनद) लेकर अवैध निर्माण कर आम लोगों का हक मारकर रुपये कमाने का कार्य अधिकारी, कर्मचारी व भवन निर्माता कर रहे हैं। इसी तरह का एक मामला हमारे संज्ञान में आया है कि उल्हासनगर कैम्प क्रमांक-1, शहाड स्टेशन के नजदीक महात्मा फुले चौक के पास, राणा ट्रेडिंग नामक कंपनी थी जो पत्थरों को तोड़कर खड़ी बनाने का कार्य कर रही थी। यह जमीन सरकार ने रांणा ट्रेडिंग को किराये पर दिया था। पास ही उसी जमीन के एक टूकड़े पर बर्फ बनाने का कारखाना भी था। इस जमीन से सटकर पास ही खाली पड़ी दल दल जमीन थी, जिस पर घास उगा करती थी। वह घास लोग जानवरों के लिए काटकर ले जाया करते थे। अब घास उगने वाले दल दल पर एक प्लाइवुड फैक्ट्री है और उससे सटकर कोहिनूर प्राइम नामक बहुमंजिला इमारतों के संकुल का निर्माणकार्य चल रहा है।
ब्लास्टिंग किये जाने से बड़े-बड़े गड्ढे तैयार हो गये थे, उन गड्ढों में लोग न गिरें इसलिए उल्हासनगर महानगरपालिका द्वारा लाखों रुपये खर्च कर सुरक्षा दिवार बनाया गया है। और उसी दिवार पर एक बोर्ड लिखा गया है कि "प्लाट का यह हिस्सा बेयरिंग सीटीएस क्रमांक 2447 बगिचे और बेघरों के लिए आरक्षित है" उल्हासनगर महापालिका के पास टीडीआर अनुसार सुपुर्द किया गया है। अब वह कंपाउंड वाल और जगह दोनों भवन निर्माता के हवाले कर दिया गया है। बगिचे और बेघरों के लिए आरक्षित जमीन अब सिर्फ कागजों पर सिमट कर रह गयी। लोगों की गाढ़ी कमाई के टैक्स के रुपयों से बनाया गया कंपाउंड वाल भी भवन निर्माता को मुफ्त में मिल गया। शहर में दर्जनों इमारतें गिरी हजारों लोग बेघर हुए उनको बसाने का कोई कार्यक्रम उमनपा के पास नहीं है। शहर के सड़कों की चौड़ाई बढ़ाई गयी उसमें बेघर हुए लोगों को यह जमीन नहीं दी गई। शहर विकास के चलते फिर से जो लोग बाधित होंगे उनके लिए व्यवस्था कहॉं है? प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए जमीन नहीं दी गई। परंतु भवन निर्माताओं को फर्जी कागजातों के आधार पर प्लान पास कर दिया जा रहा है रुपये कमाने का मौका। इस तरह लोगों के हितों की रक्षा करती है हमारी महानगरपालिका, जनसेवक और सरकार।
उल्हासनगर कैम्प क्रमांक-3, मध्यवर्ती अस्पताल के सामने पोस्ट अंड टेलिग्राफ के लिए आरक्षित जमीन हड़पी गयी। कई बार खबर छपी, शिकायतें हुई। परंतु गैंडे से भी मोटी चमड़े वाले अधिकारी और कर्मचारी बेशरम बने बैठे रहे। किसीने संज्ञान नहीं लिया न कोर्ट ने और न ही सरकार ने। अब बगिचे और बेघरों की जमीन भी हड़प हो रही है।
ब्लास्टिंग किये जाने से बड़े-बड़े गड्ढे तैयार हो गये थे, उन गड्ढों में लोग न गिरें इसलिए उल्हासनगर महानगरपालिका द्वारा लाखों रुपये खर्च कर सुरक्षा दिवार बनाया गया है। और उसी दिवार पर एक बोर्ड लिखा गया है कि "प्लाट का यह हिस्सा बेयरिंग सीटीएस क्रमांक 2447 बगिचे और बेघरों के लिए आरक्षित है" उल्हासनगर महापालिका के पास टीडीआर अनुसार सुपुर्द किया गया है। अब वह कंपाउंड वाल और जगह दोनों भवन निर्माता के हवाले कर दिया गया है। बगिचे और बेघरों के लिए आरक्षित जमीन अब सिर्फ कागजों पर सिमट कर रह गयी। लोगों की गाढ़ी कमाई के टैक्स के रुपयों से बनाया गया कंपाउंड वाल भी भवन निर्माता को मुफ्त में मिल गया। शहर में दर्जनों इमारतें गिरी हजारों लोग बेघर हुए उनको बसाने का कोई कार्यक्रम उमनपा के पास नहीं है। शहर के सड़कों की चौड़ाई बढ़ाई गयी उसमें बेघर हुए लोगों को यह जमीन नहीं दी गई। शहर विकास के चलते फिर से जो लोग बाधित होंगे उनके लिए व्यवस्था कहॉं है? प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए जमीन नहीं दी गई। परंतु भवन निर्माताओं को फर्जी कागजातों के आधार पर प्लान पास कर दिया जा रहा है रुपये कमाने का मौका। इस तरह लोगों के हितों की रक्षा करती है हमारी महानगरपालिका, जनसेवक और सरकार।
उल्हासनगर कैम्प क्रमांक-3, मध्यवर्ती अस्पताल के सामने पोस्ट अंड टेलिग्राफ के लिए आरक्षित जमीन हड़पी गयी। कई बार खबर छपी, शिकायतें हुई। परंतु गैंडे से भी मोटी चमड़े वाले अधिकारी और कर्मचारी बेशरम बने बैठे रहे। किसीने संज्ञान नहीं लिया न कोर्ट ने और न ही सरकार ने। अब बगिचे और बेघरों की जमीन भी हड़प हो रही है।
0 टिप्पणियाँ