उल्हासनगर : उल्हासनगर महानगरपालिका में क्लार्क के पद पर नियुक्त गणेशशिंपी जो अब नोडल अधिकारी बन गए हैं। उनके भ्रष्टाचार के खिलाफ मुंबई के आजाद मैदान पर 45 दिनों तक का साखली उपोषण, दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को शिकायत पत्र देकर वहां धरना देना। जन सूचना अधिनियम के तहत जानकारी मांगकर शिंपी को परेशान रखने वाले कमलेश खुतुरानी पर हुआ जानलेवा हमला। उन्होंने अपनी जान ही नहीं बचाई बल्कि गंभीर रुप से घायल होने से बच गये। सिर्फ मामुली चोटें आईं।
कमलेश खतुरानी
कमलेश खतुरानी
वीनस चौक से अपने बच्चों के साथ घर जा रहे कमलेश खुतुरानी को एक एक्टिवा पर सवार चार लोगों ने धर लिया और कहने लगे तुमने मेरे पैर पर गाड़ी चढ़ाई है। जिससे मेरे पैर में फैक्चर हो गया है। कुर्ला कैम्प चलो वहॉं हमारा डाक्टर है। खुतुरानी को किसी अनहोनी का अंदेशा हो गया था। इसलिए उन्होंने कुर्ला कैंप जाने से इंकार कर दिया। क्योंकि कुर्ला कैंप जाने वाली सड़क सूनसान हैं। और उस सड़क पर सीसीटीवी कैमरा भी नहीं लगे हैं। इसलिए उन्होंने कहा कि महावीर अस्पताल चलते हैं। खतुरानी की मोटरसाइकिल पर पीछे एक लड़का बैठ गया और कुर्ला कैम्प चलने का दबाव बनाने लगा। परंतु गाड़ी चला रहे खतुरारानी ने अपनी मोटरसाइकिल का रुख़ महावीर अस्पताल की ओर कर दिया। खतुरानी की मोटरसाइकिल जैसे ही पारस डेयरी के सामने पहुंची एक एक्टिवा जो बिना नंबर की थी, उसपर सवार हो चार लोग आये और उन्होंने खतुरानी की मोटरसाइकिल रोककर डंडे से खतुरानी के सर पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया। लेकिन खुतुरानी ने अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर सब वार हाथों पर झेल लिया। अपनी मोटरसाइकिल वहीं छोड़ पैदल ही भीड़ की ओर भाग निकले। अक्टिवा पर सवार चारों लड़कों ने पीछा किया पर भीड़ के कारण खतुरानी तक पहुंच नहीं पाये और किसी तरह खतुरानी की जान बच गयी। जो चलचित्र में साफ साफ दिखाई दे रहा है। फिर भी पुलिस इस हमले को साजिश करार देने में न जाने क्यों हिचकिचा रही है।
गुनाहगार गणेश शिंपी
उल्हासनगर मनपा में स्टेनो (क्लर्क) के पद पर पदस्थ होते ही गणेश शिंपी ने तत्कालीन आयुक्त के नाम पर 25 हजार रुपये की रिश्वत ली और रुपये लेते हुए रंगे हाथों पकड़े गए। रिश्वत कांड का मुकदमा आज भी पंजीकरण संख्या 2, 15/2013 के तहत भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 88 की कलम 6, (13) (1) (डी) (2) के तहत कल्याण सत्र न्यायालय में विचाराधीन है। फिर भी न जाने किस खूबी के आधार पर एक नया पद गढ़कर शिंपी को उल्हासनगर महानगरपालिका का नोडल अधिकारी बना दिया गया। अधिकारी बनकर शिंपी ने 25 हजार से ज्यादा टियर गाटर और आरसीसी के छोटे-बड़े अवैध निर्माण करवाये। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार कई अवैध निर्माण में शिंपी की हिस्सेदारी है। इस अवैध निर्माण और भूमि हड़प करने के व्यापार में अरबों रुपये कमाए। इसी दौरान संपत्ति और सत्ता के मद में चूर शिंपी ने अपनी मातहत महिला कर्मचारियों से छेड़छाड़ और हत्या का प्रयास किया। वह मामला भी उल्हासनगर के मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में रजि.नं. 1, 148/2011 में भा.द.सं की धारा 306/34 के तहत दर्ज है। और गु.रजि.नं.1,177/2011 में भा.द.सं. की धारा 354, 509, 504, 506/34 के अलावा अ.आ.ज. अधिनियम की धारा 3 (1)(10) (11) (12) 2 (7) में जातिवाचक शब्दों का प्रयोग कर प्रताड़ित करने का मामला भी दर्ज है। इतने सारे मामले दर्ज होने के बावजूद गणेश शिंपी को पदच्युत कर जेल भेजने की बजाय पदोन्नति की जा रही है।
उल्हासनगर मनपा में स्टेनो (क्लर्क) के पद पर पदस्थ होते ही गणेश शिंपी ने तत्कालीन आयुक्त के नाम पर 25 हजार रुपये की रिश्वत ली और रुपये लेते हुए रंगे हाथों पकड़े गए। रिश्वत कांड का मुकदमा आज भी पंजीकरण संख्या 2, 15/2013 के तहत भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 88 की कलम 6, (13) (1) (डी) (2) के तहत कल्याण सत्र न्यायालय में विचाराधीन है। फिर भी न जाने किस खूबी के आधार पर एक नया पद गढ़कर शिंपी को उल्हासनगर महानगरपालिका का नोडल अधिकारी बना दिया गया। अधिकारी बनकर शिंपी ने 25 हजार से ज्यादा टियर गाटर और आरसीसी के छोटे-बड़े अवैध निर्माण करवाये। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार कई अवैध निर्माण में शिंपी की हिस्सेदारी है। इस अवैध निर्माण और भूमि हड़प करने के व्यापार में अरबों रुपये कमाए। इसी दौरान संपत्ति और सत्ता के मद में चूर शिंपी ने अपनी मातहत महिला कर्मचारियों से छेड़छाड़ और हत्या का प्रयास किया। वह मामला भी उल्हासनगर के मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में रजि.नं. 1, 148/2011 में भा.द.सं की धारा 306/34 के तहत दर्ज है। और गु.रजि.नं.1,177/2011 में भा.द.सं. की धारा 354, 509, 504, 506/34 के अलावा अ.आ.ज. अधिनियम की धारा 3 (1)(10) (11) (12) 2 (7) में जातिवाचक शब्दों का प्रयोग कर प्रताड़ित करने का मामला भी दर्ज है। इतने सारे मामले दर्ज होने के बावजूद गणेश शिंपी को पदच्युत कर जेल भेजने की बजाय पदोन्नति की जा रही है।
अब कमलेश खतुरानी पर हुए हमले के साजिश की सुई भी गणेश शिंपी की ओर इशारा कर रही है। खतुरानी और उनके चाहने वाले गणेश शिंपी पर आरोप लगा रहे हैं। अब देखना होगा कि क्या होता है। परंतु होगा क्या? एक कहावत है, हाकिम मेहरबान तो कारिन्दा पहलवान। उसी तरह "मुख्यमंत्री मेहरबान तो शिंपी जैसा भ्रष्टाचारी पहलवान" शिंपी की कहानी के कई अध्याय पूरे हो चुके हैं। परंतु महाराष्ट्र में बनने वाली हर सरकार का भ्रष्टाचार से चोली दामन का साथ रहा है और है। यही कारण है कि प्रशासन कान में तेल और आंखो पर गुलाबी नोटों की पट्टी बांध कर गांधारी बना हुआ है। शिंपी की कहानी न देखना चाहता है और न ही सुनना चाहता है। कार्यवाही का सवाल ही कहाँ उठता है।
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