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कारी माखीजा पर हुए हमले के साजिशकर्ता सुनील सिंह की अग्रिम जमानत याचिका खारिज।

       कारी हमले के साजिशकर्ता कलवा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज।

निज संवाददाता
उल्हासनगर : उल्हासनगर मनपा की पूर्व नगरसेविका लखी माखीजा के पति कारी माखीजा पर हुए जानलेवा हमले के साजिशकर्ता सुनील सिंह उर्फ कलवा की अग्रिम जमानत याचिका कल्याण सत्र न्यायालय ने खारिज कर दिया। याचिका 5 नवंबर 2022 को दाखिल की गई थी जो आज 23 नवंबर 2022 को सत्र न्यायालय ने खारिज कर दिया।
       लाल घेरे में हमलावर और पीले घेरे में सुनील सिंह उर्फ कलवा 

कारी माखीजा हमले का कारण उल्हासनगर शहर में सुनील सिंह उर्फ कलवा का चल रहा अवैध रोलेट जुआघर, मटका जुआ के साथ ही अवैध निर्माणों की शिकायत करना बताया जाता है। साथ ही मनोज पंजवानी द्वारा रिस्कबेस प्लान के नाम पर दो मंजिला इमारत का परमिशन लेकर सात-आठ मंजिला अवैध इमारतों के निर्माणों की शिकायत बताया जा रहा है। माखीजा संबंधित विभागों से बार बार शिकायत कर अवैध निर्माणों पर समुचित कार्यवाही व जुआघरों को बंद कराने की मांग कर रहे थे। उन शिकायतों को वाटशाप समूहों पर प्रकाशित कर लोगों को जागरूक कर रहे थे। परिणाम यह हुआ कि 29 अक्टूबर 2022 को कारी माखीजा द्वारा सुमित चक्रवर्ती से मिलने का फैसला भारी पड़ गया। और मिलकर लौटते समय लिंक रोड स्थित कोनार्क बैंक के सामने कारी माखीजा की अक्टिवा मोटर साइकिल को रोककर उनकी और उनके सहयोगी की आंखों में मिर्ची की बुक्की झोंककर लाठी डंडे से हमला किया गया। बचने के लिए किसी तरह भागकर पास की दुकान में घुसकर अपनी जान बचाई। फिर भी शरीर की कई हड्डियां टूट गयी और चोटीवाला के बाद क्रीटीकेयर अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। यह जग जाहिर है कि सुमित चक्रवर्ती व उनके सुपुत्र आकाश चक्रवर्ती का छिपे तौर पर अवैध निर्माणों और जुआघरों में निवेश है। शायद इसी दर्द की दवा ढूंढने के लिए कारी को कार्यालय बुलाया था। परंतु मामला तय न होने पर हमले का सहारा लेना पड़ा। 
        कारी माखीजा 

बतादें सुमित चक्रवर्ती का कार्यालय अमन टाकीज के पास, सत्यनारायण मंदिर के सामने है। जहाँ माखीजा मिलने गये थे। कहा जाता है हमला सुमित चक्रवर्ती की सय पर हुआ है। कारी माखीजा सुमित चक्रवर्ती से मिलने आनेवाले हैं यह सूचना कलवा और हमलावरों तक कैसे पहुँची? यह एक गूढ़ प्रश्न है। चक्रवर्ती के कार्यालय से कारी माखीजा के घर जाने के लिए कई रास्ते हैं। हमलावर अगर सुमित के कार्यालय के बाहर न होते तो माखीजा का पीछा करना नामुमकिन था। इससे यह स्पष्ट होता है कि पीछा सुमित चक्रवर्ती के कार्यालय के सामने से शुरू किया और जैसे ही थोड़ी दूर पहुंचे हमला कर दिया। पुलिस ने अब तक न तो सुमित से पूछताछ की और न ही मनोज पंजवानी से पूछताछ किया है। और न ही किसी धारा के तहत मुकदमा ही दर्ज किया है। इसका कारण लोगों की समझ से परे है। जबकि कलवा अपने मिलने-जुलने वालों से कह रहा है कि "मैं सुमित के चक्कर में फंस गया, मुझे नगरसेवकी का चुनाव लड़ना था" इसका मतलब पुलिस द्वारा तलाशे जाने की जरूरत है। इस मारपीट की गुत्थी कलवा के पकड़े जाने और पूछताछ के बाद ही सुलझेगी, शायद इसीलिए न्यायालय ने कलवा को अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया। अब आगे की कहानी पुलिस की जांच पर निर्भर है। अब देखना यह है कि कब पुलिस सुनील सिंह उर्फ कलवा को ढूंढ निकालती है और पकड़कर जांच कर दूध का दूध और पानी का पानी करती है। 

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