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सार्वजनिक निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला मुख्यमंत्री बने मूकदर्शक!!

उल्हासनगर की सड़कों पर ख़ूनी गड्ढे, गड्ढ़ो के कारण होती दुर्घटनाओं में मरते लोग!! 

उल्हासनगर : उल्हासनगर शहर का कुल क्षेत्रफल लगभग 13 वर्ग किमी है, शहर भर में बनीं सड़कों की कुल लंबाई 61.94 किलोमीटर है,पिछले पाँच सालों में सड़कों के गड्ढे भरने में करोड़ों रुपये खर्च किया गया है। उसके बावजूद भी शहर की सड़कें गड्ढामुक्त नहीं हुई।
इस वर्ष यानी 2022 के मानसून के दौरान गड्ढा भरने के लिए 8 करोड़ की निधि मंजूर किया गया और गड्ढा भरने का ठेका झा कंपनी को दिया गया। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार यह कंपनी कई मनपा क्षेत्रों में काली सूची में शामिल है। फिर भी न जाने किस मोह में उल्हासनगर मनपा ने आजाद नगर में सीमेंट कांक्रीट सड़क बनाने का ठेका काली सूची में शामिल झा कंपनी को दिया है। सड़क का निर्माण कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है, परंतु सड़क में कई जगह दरारें पड़ गयी है। हर वर्ष गड्ढे भरने का काम कुछ ऐसे ही ठेकेदारो को दिया जाता है। गड्ढे भरने के लिए जो निविदा मंगायी जाती है। उस निविदा में सांठगांठ कर चुने हुए ठेकेदार को दी जाती है। यही कारण है कि नियमानुसार काम नहीं होता है। जब सांठगांठ कर ठेकेदार मुकर्रर होता है तो काम किस दर्जे का होगा यह जगजाहिर है। उल्हासनगर मनपा का सार्वजनिक बांधकाम विभाग भ्रष्टाचार के लिए किस कदर बदनाम है यह किसी से छिपा नहीं है। जो कार्य प्रत्यक्ष रुप से नहीं किया जाता, सिर्फ फाइलों में दर्ज रहता है। और भुगतान कर दिया जाता है। इस तरह के कई मामले उजागर हो चुके हैं। शहर के कई कथित नेता सार्वजनिक निर्माण विभाग से फाईल चोरी करते हुए पकड़े गये हैं। जो नहीं पकड़ में आये वह अभी बचे हुए हैं। उल्हासनगर मनपा क्षेत्र के रहवासियों की यह बदनसीबी ही है कि हर बार निष्क्रिय या भ्रष्ट आयुक्त मिलता है। इसलिए कभी निष्पक्ष जांच नहीं हो पाती है। इसलिए थोड़ी सी बरसात में सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे नजर आते हैं। 
        उमनपा आयुक्त अजीज शेख 

मनपा प्रशासन से लोग हर बार शिकायतें करते हैं। आंदोलन करते हैं। परंतु न ठेकेदारों पर और न ही सार्वजनिक बांधकाम विभाग के किसी अधिकारी व कर्मचारी पर किसी तरह की कार्यवाही होती है। इससे लोगों में गलत संदेश जाता है कि कहीं न कहीं कोई सांठगांठ हो गयी है। इस तरह संगठन और आंदोलनकर्ता भी बदनाम हो जाते हैं। 

बरसात शुरू होते ही सड़कों में पड़ी दरारें गड्ढों का रूप ले लेते हैं। गड्ढे बड़े हो जाते हैं जिनमें लोगों की गाड़ियां गिर जाता हैं और लोग घायल होते हैं। जिस ठेकेदार को सड़क बनाने का ठेका दिया गया था उसने काम ठीक से नहीं किया हो, तो उसीसे दिए गए रुपयों की एवज में दोबारा काम करवा कर लेना चाहिये, ऐसा सरकारी आदेश है। अगर वो नहीं करे तो उसे ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिए परंतु उमनपा में ऐसा होता नहीं है। पिछले सालों में सीमेंट की सड़कें बढ़ी है, डामर की सड़कें कम हुई है, बावजूद इसके गड्ढे भरने के टेंडर की रकम में कोई कमी नहीं आयी है। इस तरह उमनपा की तिजोरी को लूटने का कारोबार कर रहे हैं अधिकारी और नेता। एक तरफ देश के प्रधानमंत्री देश से भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करते हैं तो वहीं उल्हासनगर मनपा के भ्रष्टाचारों पर कई बार रोशनी डालने के बाद भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणविस कोई संज्ञान नहीं लेते हैं। यही कारण है कि उल्हासनगर महानगरपालिका में भ्रष्टाचार दिन दूना और रात चौगुना बढ़ रहा है।

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