उल्हासनगर : ठाणे जिले के उल्हासनगर महानगरपालिका में अवैध निर्माण रोकने को लेकर सांसद, विधायक और न्यायलय सभी संजीदा होने का नाटक करते हैं। परंतु अवैध निर्माण पर रोक लगाने व कार्यवाही करने के लिए कोई सख्त नजर नहीं आता यही कारण है कि उल्हासनगर में अवैध निर्माण करने वालों का व्यवसाय फलफूल रहा है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
उल्हासनगर प्रभाग-१, के बैरेक नंबर ३३३ रुम नंबर ३, के बगल में गुरु नानिक पंचायती हाल के पीछे उल्हासनगर नंबर-२, में अनिल पापड़ नामक व्यक्ति कर रहा अवैध और गैरकानूनी, धोखादायक डबल टियर गाटर का अवैध निर्माण आसपास के लोगों ने शिकायत की परंतु प्रभाग अधिकारी और उमनपा आयुक्त ने ध्यान नहीं दिया।
ज्ञात हो गणेश शिंपी वह भ्रष्ट अधिकारी है जो उल्हासनगर महापालिका आयुक्त के लिपिक पद पर रहते हुए पच्चीस हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए भ्रष्टाचार विरोधी पथक द्वारा रंगे हाथों पकड़े जा चुके हैं। शिंपी पर भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा १९८८ की कलम ६, (१३)(१)(ड)(२) के तहत मुकदमा पंजिकरण संख्या २, दिनांक १५/२०१३ सत्र न्यायालय में विचाराधीन है। इसके अलावा शिंपी पर महिला कर्मचारी से छेड़छाड़ के अलावा अनेकों गंभीर आरोप हैं जैसे उक्त महिला के भाई को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला उल्हासनगर मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में अपराध सं. १, १४८/२०११ भादसं की धारा ३०६/३४ के तहत दर्ज है साथ ही अपराध रजि.क्र.१, १७७/२०११ में भादसं की धारा ३५४, ५०९ ५०४,५०६/३४ और इसी तरह अ.जा.ज.अधि. १९८९ की धारा ३ (१)(१०)(११)(१२) २(७) जैसे कई संगीन गुनाह दर्ज हैं। इस तरह की खबर लिखे जाने के बाद उल्हासनगर १४१, विधानसभा से विधायक कुमार आयलानी ने भी गणेश शिंपी को उनके पद से हटाये जाने की मांग की परंतु तत्कालीन नगरविकास मंत्री और अब के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को गणेश शिंपी से न जाने कितना प्यार है कि उनपर कोई कार्यवाही करना ही नहीं चाहते जिस गणेश शिंपी को सलाखों के पीछे होना चाहिए था वह गणेश शिंपी सहायक आयुक्त पद पर बैठा हुआ है। क्या इस तरह की कारगुजारी हमारी सरकार व शहर के तमाम नेताओं और समाज सेवियों के लिए शर्मनाक और चुल्लू भर पानी में डूब मरने के समान नहीं है।
भ्रष्टाचारी गणेश शिंपी पर कई और मुकदमें न्यायालयों में विचाराधीन है। क्या भाजपा द्वारा नवनियुक्त मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गणेश शिंपी जैसे भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने के लिए मुख्यमंत्री बने हैं या आम जनता की भलाई के लिए भी समय निकालेंगे, यह सवाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पद चिन्हों पर चलने का दम भरने वाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जी से है।
ज्ञात हो गणेश शिंपी वह भ्रष्ट अधिकारी है जो उल्हासनगर महापालिका आयुक्त के लिपिक पद पर रहते हुए पच्चीस हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए भ्रष्टाचार विरोधी पथक द्वारा रंगे हाथों पकड़े जा चुके हैं। शिंपी पर भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा १९८८ की कलम ६, (१३)(१)(ड)(२) के तहत मुकदमा पंजिकरण संख्या २, दिनांक १५/२०१३ सत्र न्यायालय में विचाराधीन है। इसके अलावा शिंपी पर महिला कर्मचारी से छेड़छाड़ के अलावा अनेकों गंभीर आरोप हैं जैसे उक्त महिला के भाई को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला उल्हासनगर मध्यवर्ती पुलिस स्टेशन में अपराध सं. १, १४८/२०११ भादसं की धारा ३०६/३४ के तहत दर्ज है साथ ही अपराध रजि.क्र.१, १७७/२०११ में भादसं की धारा ३५४, ५०९ ५०४,५०६/३४ और इसी तरह अ.जा.ज.अधि. १९८९ की धारा ३ (१)(१०)(११)(१२) २(७) जैसे कई संगीन गुनाह दर्ज हैं। इस तरह की खबर लिखे जाने के बाद उल्हासनगर १४१, विधानसभा से विधायक कुमार आयलानी ने भी गणेश शिंपी को उनके पद से हटाये जाने की मांग की परंतु तत्कालीन नगरविकास मंत्री और अब के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को गणेश शिंपी से न जाने कितना प्यार है कि उनपर कोई कार्यवाही करना ही नहीं चाहते जिस गणेश शिंपी को सलाखों के पीछे होना चाहिए था वह गणेश शिंपी सहायक आयुक्त पद पर बैठा हुआ है। क्या इस तरह की कारगुजारी हमारी सरकार व शहर के तमाम नेताओं और समाज सेवियों के लिए शर्मनाक और चुल्लू भर पानी में डूब मरने के समान नहीं है।
भ्रष्टाचारी गणेश शिंपी पर कई और मुकदमें न्यायालयों में विचाराधीन है। क्या भाजपा द्वारा नवनियुक्त मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गणेश शिंपी जैसे भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने के लिए मुख्यमंत्री बने हैं या आम जनता की भलाई के लिए भी समय निकालेंगे, यह सवाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पद चिन्हों पर चलने का दम भरने वाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जी से है।
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