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उल्हासनगर महानगरपालिका मेहरबान है सेन्चुरी रेयान कंपनी पर, बचाने के लिए महामार्ग हुआ चालिस फुट का।

सेन्चुरी रेयान पर मेहरबान उल्हासनगर महानगरपालिका! हादसा होने पर जिम्मेदार कौन कंपनी या उमनपा?

बूस्टर सड़क के मध्य में, कालोनी से बाहर निकलने वाला रैम्प सड़क फुटपाथ राष्ट्रीय महामार्ग पर, चौड़ाई हुई चालीस फुट।

अपटा निज संवाददाता
उल्हासनगर : उल्हासनगर महापालिका से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय महामार्ग 61, यानी कल्याण मुरबाड रोड पर सड़क की चौड़ाई को बाधित करने वाली रहवासी इमारतों मकानों दुकानों को तोड़ा गया और सड़क को चौड़ा किया गया। अन्य जगहों पर सड़क की चौड़ाई 100, फुट है परंतु जहाँ - जहाँ सेन्चुरी रेयान की मालमत्ता तोड़ने की बारी आई वहां आंखे बंदकर छोड़ दिया गया भले ही वहां की सड़क 40 फिट ही चौड़ी क्यों न हो। कंपनी का बूस्टर पंप बीच सड़क के बीच में खड़ा होकर अमीर और गरीब का भेद बता रहा है। साथ ही पाईप लाईन पर किया गया सीमेंट कांक्रीट मूल सड़क से ऊपर है, जिसके कारण कभी भी कोई भी दुर्घटना हो सकती है। 

रिजेंसी एंटिलिया 
उल्हासनगर महानगरपालिका के अधिकारी और नगरसेवक रुपया कमाने का कोई मौका नहीं छोड़ते इसी तरह का एक मामला फिर संज्ञान में आया है। कई तरह के झोलझाल कर सरकारी जमीन हथियाने के बाद "रिजेंसी एंटिलिया" नामक इमारतों के संकुल का निर्माण शुरू हुआ। प्लान में कुछ और जगह पर कुछ और होने के कारण सारा संकुल विवादास्पद हो गया। शहर के ही नहीं पूरे महाराष्ट्र से विरोध में आवाजें उठने लगी, विधानसभा में भी मुद्दा गरमाया परंतु यह विरोध अपनी अपनी जेबें भरने के लिए था और अपनी अपनी औकात के अनुसार मंत्री से संत्री तक ने जेबें भरी और हर नियम कानून को पैसों के जोर पर ठेंगा दिखाते हुए भवन निर्माताओं ने संकुल का निर्माण किया और लोग रहने के लिए भी आ गये या आ रहे हैं।

सेंचुरी रेयान कंपनी का राष्ट्रीय महामार्ग पर कब्जा 
यहाँ हम रिजेंसी एंटिलिया के वैध या अवैध होने के मुद्दे को उजागर करने के लिए यह लेख नहीं लिख रहे हैं। हम आपको यह बताना चाहते हैं कि हमारे देश में नेता, कार्यकर्ता और अधिकारी किस तरह जहाँ अपना फायदा हो वहाँ आंखे मूंद लेते हैं भले ही उनके इस कार्य से किसी के जान पर क्यों ही न बन आये। रिजेंसी एंटिलिया तक आराम व आसानी से पहुंचा जा सके इसलिए आनन फानन में राष्ट्रीय राजमार्ग को मनपा का रिंग रोड दर्शाया गया और सारे नियमों कानूनों को ताक पर रखकर १०० फिट का सीमेंट कांक्रीट का बनाया गया जबकि रिंगरोड शहर विकास नक्शे में १२०, फुट का है। अब शहाड उड़ान पुल से लेकर सेंचुरी रेयान कंपनी तक तो सड़क सौ फुट की बनी परंतु सेंचुरी कंपनी की ही रहवासी कालोनी सी टाईप से आगे सड़क चालीस फुट की हो गयी, उसमें भी कालोनी के अंदर-बाहर आने-जाने के लिए बने गेट का रैम्प सड़कों पर है तो वहीं कंपनी का बूस्टर पंप भी सड़क पर ही खड़ा है। रात के समय या तेज गति से आने वाले वाहनों की नजर चूकी की दुर्घटना हुई, देखने में ऐसा लगता यह महामार्ग बनाते समय आटो रिक्शा और दो पहिया वाहनों का ध्यान रखा ही नहीं गया है। साथ ही कई जगहों पर पैदल चलनेवालों के लिए बनाया जाने वाला पदपथ भी नहीं है। ऐसे में होने वाली दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार कौन होगा? अभी कल ही सड़क निर्माण में हुई थोड़ी चूक और ट्रक चालक की गैरजिम्मेदाराना हरकत और जल्द बाजी में ओवरटेक करने की वजह से शहाड उड़ान पुल पर एक महिला की जान चली गयी और एक परिवार उजड़ गया पर इन बातों से सरकार और हमारे नेताओं को क्या फर्क पड़ता है उनका परिवार तो सही सलामत है वे करोड़पति से अरबपति बन रहे हैं। जनता मरती है तो मरे उसका वाली कौन है? हमारे देश का न्यायालय भी अमीर गरीब में जब भेद करता है तब आम लोगों के लिए एक ईश्वर का ही सहारा बचता है। अब देखना यह है कि आम लोगों की परवाह करने के लिए ईश्वर कब अवतार लेते हैं। 

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